आखिर कौन हैं भगवाधारी सनातन धर्म के हत्यारे ! : Yogesh Mishra

इस लेख को पढ़ने के पहले साधु संतों के वेश में भगवा पहन कर कंधे पर ‘क्रॉस’ ले जाते इन धूर्त मिशनरी वालों पर विचार कीजिये ! आजकल के देश भर के ग्रामीण इलाकों में लोगो को इस तरह भ्रम फैला कर धर्मान्तरण करने के लिये आखिर इन्हें भेजता कौन है और इन्हें पैसे कौन देता है ! इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती है ! यह सारे प्रश्न भगवा की ओट में किसी बढ़े षडयंत्र का खुलासा तो नहीं करते हैं !

हालाँकि भगवा रंग पहनना प्रबुद्ध सनातन परंपरा का प्रतीक है ! जिसे प्राय: सम्मानित सन्यासी ही पहनते हैं ! क्योंकि संन्यासी का अर्थ ही है परिपक्वता अर्थात किसी भी सांसारिक वस्तु से लगाव या राग नहीं रखना !

चर्तु आश्रम व्यवस्था के तहत संन्यास भी एक आश्रम ही है । आश्रम का अर्थ होता है मर्यादित श्रम । अर्थात् संन्यास के लिये भी धर्म के अनुसार कुछ कठोर मर्यादायें बनाई गई हैं ! जो उनका पालन करता है ! वही सन्यासी है ! उसी को भगवा पहनने का अधिकार है ! जिसने भगवा पहन लिया वह संन्यासी के कर्तव्य से नहीं भाग सकता है !

संन्यास का अर्थ ही होता है “निरग्नि” हो जाना अर्थात् संन्यासी को अग्नि छूने का अधिकार भी नहीं है । अग्नि वैराग्य का प्रतीक भी है क्योंकि अग्नि में सबकुछ जलकर भस्म हो जाता है ! उसी प्रकार संन्यासी अपने कामनाओं को तप की अग्नि में भस्म कर चुका होता है ! इसलिये उसे अब अग्नि से क्या प्रयोजन ! अग्नि का रंग या वैराग्य का रंग अर्थात त्याग का रंग एक समान भगवा ही होता है !

अत: संन्यास आश्रम में प्रायः संन्यासी भगवा ही पहनते हैं ! सभी आश्रमों का प्रयोजन समाज को व्यवस्थित करना ही है और संन्यासी उनमें श्रेष्ठ है ! अत: दूर से ही देख कर पहचान जा सके इसलिये संन्यासी समाज की सुविधा के लिये भगवा पहनता है न कि अपने व्यवसाय या छल करने के लिये !

पर आजकल तो भ्रष्ट सन्यासी, भगवा व्यवसायी योग गुरु, कामी, क्रोधी, लालची, कथावाचक, हत्यारे, अपराधी, मठों के धूर्त महान्त, धर्मांतरण कराने वाले षड्यंत्रकारी, राजनेता बड़े-बड़े उद्योग धंधों के मालिक फिल्मी कलाकार गुंडे माफिया मवाली आदि आदि जिसको भी देखो वही भगवा वस्त्र पहनकर घूम रहा है !

ऐसी परिस्थिति में जब समाज की मर्यादायें टूट जाती हैं ! तब वस्त्र के अनुसार किसी के चरित्र का निर्धारण करना बड़ा कठिन हो जाता है ! गौतम बुद्ध वह प्रथम पथभ्रष्ट योगी थे ! जिन्होंने सनातन धर्म के मर्यादित भगवा वस्त्र को साधना और परिपक्वता विहीन अवस्था में धारण करके सनातन धर्म की मर्यादा का अपमान किया था ! और इसके बाद तो उन्होंने ने लाखों धर्म आचरण विहीन लोगों को शिष्यता देने के नाम पर भगवा पहना दिया था !

और गौतम बुद्ध के इस दुस्साहस पूर्ण कृत्य की सजा आज तक पूरा विश्व में पिछले ढाई हजार सालों से भोग रहा है ! गौतम बुद्ध ही वह पहले व्यक्ति थे ! जिन्होंने सनातन धर्म की मर्यादा को तोड़ते हुये सनातन धर्म के विपरीत प्रथम बौद्ध धर्म की स्थापना की फिर तो जैसे विश्व में अनेक नये नये धर्मों की बाढ़ सी आ गई !

जैन धर्म, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म, मुसलमान धर्म आदि आदि और आज विश्व में विभिन्न धर्मो की संख्या लगभग 300 से ज्यादा है ! और सभी अपने अपने समर्थ के अनुसार अपना अपना विस्तार करने में लगे हैं ! सिर्फ सनातन धर्म को छोड़ कर !

इन अनेक धर्मों की उत्पत्ति ने इस पृथ्वी पर संपूर्ण मानवता को ही जला कर रख दिया है ! आज धर्म के नाम पर मनुष्य ने मनुष्य का जितना खून बहाया है ! उतना शायद किसी और वजह इस पृथ्वी पर खून नहीं बहा होगा !

और यह परंपरा आज भी चली आ रही है ! धर्मान्तरण और आतंकवाद इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ! अब तो भगवा वस्त्रधारी छली, कामी, कपटी, ठग और धर्मांतरण कराने वाले तथा सनातन धर्म पर हमला करने के लिये भारत के कोने-कोने में प्राय: दिख जाया करते हैं और इनके ऊपर न तो समाज का कोई नियंत्रण है और न ही शासन सत्ता का भय ! बल्कि सत्ता का मौन देख कर तो यह लगता है कि वह भी इनके अपराध में मिली हुई है !

सनातन धर्म के ठेकेदार, मठ मंदिरों में बैठे हुये महान्त, कथावाचक आदि किसी में यह साहस नहीं है कि वह इन भगवा वस्त्र धारी सनातन धर्म विरोधी धर्मांतरण कराने वाले धूर्त व्यक्तियों के विरुद्ध समाज में खुली चर्चा कर सके !

अब प्रश्न यह है कि जब सर्वस्व का त्याग कर और मृत्यु का भय छोड़कर किसी सन्यासी ने भगवा वस्त्र धारण कर लिया है तो इन धर्मांतरण कराने वाले षड्यंत्रकारी और सनातन धर्म विरोधी तत्व के विरुद्ध यह अपनी आवाज बुलंद क्यों नहीं करते हैं ! आखिर इन्हें किस बात का भय है !

या तो भगवा वस्त्र पहनकर घूमने वाले यह तथाकथित सन्यासी अभी भी अपने संन्यास की साधना में इतने परिपक्व नहीं हुये हैं कि इनका ईश्वर पर विश्वास द्रण हो सके और या फिर यह लोग भी भगवा वस्त्र पहनकर बस सिर्फ अपने धर्म की व्यवसायिक दुकानें चला रहे हैं !

जो भी हो भगवा वस्त्र पहनकर जो आज देश में हो रहा है ! वह निश्चित तौर से सनातन धर्म के विनाश का सूचक है और चुनौती है उन लोगों के लिये जो निश्छल ह्रदय से सनातन धर्म की रक्षा में अपना सब कुछ समर्पित करके कार्य कर रहे हैं ! भले ही उन लोगों ने भगवा कपड़े नहीं पहने हैं ! धन्य हैं वह लोग !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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