सभी प्रमुख धर्मों की उत्पत्ति शैव उपासना से हुई है ! : Yogesh Mishra

भगवान शिव की पूजा या आराधना एक गोलाकार पत्थर के रूप में की जाती है जिसे पूजा स्थल के गर्भगृह में रखा जाता है ! सिर्फ भारत और श्रीलंका में ही नहीं, भारत के बाहर विश्व के अनेक देशों में शिव की पूजा की जाती रही है ! दुनियाभर में शिव की पूजा का प्रचलन था, इस बात के हजारों सबूत बिखरे पड़े हैं ! हाल ही में इस्लामिक स्टेट द्वारा नेस्तनाबूद कर दिए गए प्राचीन शहर पलमायरा, नीमरूद आदि नगरों में भी शिव की पूजा के प्रचलन के अवशेष मिलते हैं !

योरपीय देशों में भी शिवलिंग की पूजा की जाती थी ! इटली के शहर रोम की गणना दुनिया के प्राचीन शहरों में की जाती है ! रोमनों द्वारा शिवलिंग की पूजा ‘प्रयापस’ के रूप में की जाती थी ! रोम के वेटिकन शहर में खुदाई के दौरान भी एक शिवलिंग प्राप्त हुआ था जिसे ग्रिगोरीअन एट्रुस्कैन म्यूजियम में रखा गया है ! इटली के रोम में स्थित वेटिकन सिटी का आकार भगवान शिव के आदि-अनादि स्वरूप शिवलिंग की तरह ही है, जो कि एक आश्चर्य ही है !

1.शिव के शिष्य
शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है ! इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई ! उनके शिष्यों के नाम है- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु और भरद्वाज ! इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे !

2.सभी धर्मों का केंद्र शिव
अरब के मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी और इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है ! इस्लाम से पहले मध्य एशिया का मुख्य धर्म पीगन था ! मान्यता अनुसार यह धर्म हिंदू धर्म की एक शाखा ही थी जिसमें शिव पूजा प्रमुख थी ! सिंधु घाटी सहित मध्य एशिया की कई प्राचीन सभ्यताओं की खुदाई में शिवलिंग या नंदी की मूर्ति पाई गई है जो इस बात का सबूत है कि भगवान शिव की पूजा संपूर्ण एशिया में प्रचलित थी !

3.जैन धर्म में शिव
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को शिव ही माना जाता है जबकि हिंदू उन्हें विष्णु का आठवां अवतार मानते हैं ! शिव और ऋषभनाथ दोनों की वेशभूषा और जीवन दर्शन में समानता है ! इसके संबंध में कई प्रमाण जुटाए जा सकते हैं कि भगवान शिव और ऋषभनाथ दोनों एक ही थे !

4.बौद्ध धर्म में शिव
बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर सीएस उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था ! उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर ! शैव और बौद्ध मत में बहुत कुछ समानता मिल जाएगी ! प्राचीनकाल में बौद्ध और शिव मंदिर संयुक्त रूप से बनाए जाते थे !

5.इस्लाम और शिव
कुछ इस्लामिक विद्वान भगवान शिव को प्रथम पैगंबर मानते हैं, लेकिन हिंदू ऐसा नहीं मानते हैं ! हिन्दुओं अनुसार प्राचीनकाल में मक्का के पवित्र स्थान काबा में पहले शिव की ही पूजा होती थी ! इतिहासकार पीएन ओक ने भी अपनी किताब में इसका खुलासा किया है कि संग-ए-असवद एक शिवलिंग ही है ! हालांकि यह बात कितनी सही है यह कहना मुश्‍किल है ! हज और तीर्थ करने के रिवाज एवं शैवमत और इस्लाम मत में काफी समानता है !

6.ईसा मसीह और शिव
ईसा मसीह पर लिखी किताब ‘द सेकंड कमिंग ऑफ क्राइस्ट: द रिसरेक्शन ऑफ क्राइस्ट विदिन यू’ के लेखक स्वामी परमहंस योगानंद के अनुसार ईसा को ईसा नाम तीन भारतीय विद्वानों ने दिया था ! ‘ईश’ या ‘ईशान’ शब्द का इस्तेमाल भगवान शंकर के लिए किया जाता है ! ईसा मसीह ने शिवभक्त महाचेतना नाथ के आश्रम में रहकर ध्यान साधना की थी ! दूसरी ओर कुछ लोग यीशु शब्द की उत्पत्ति भी शिव शब्द से मानते हैं ! ईसा मसीह का जिक्र भविष्य पुराण में मिलता है ! कुछ विद्वान क्राइस्ट को कृष्ण से जोड़कर देखते हैं !

7.पारसी धर्म और शिव
ईरान को प्राचीन काल में पारस्य देश कहा जाता था ! इसके निवासी अत्रि कुल के माने जाते हैं ! अत्रि ऋषि भगवान शिव के परम भक्त थे जिनके एक पुत्र का नाम दत्तात्रेय है ! अत्रि लोग ही सिन्धु पार करके पारस चले गए थे, जहां उन्होंने यज्ञ का प्रचार किया ! अत्रियों के कारण ही अग्निपूजकों के धर्म पारसी धर्म का सूत्रपात हुआ ! जरथुस्त्र ने इस धर्म को एक व्यवस्था दी तो इस धर्म का नाम ‘जरथुस्त्र’ या ‘जोराबियन धर्म’ पड़ गया !

8.भगवान शंकर के प्रचारक
भगवान शंकर की परंपरा को उनके 7 शिष्यों के अलावा नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया ! इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया ! इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु दत्तात्रेय का आता है ! दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है !

9.प्राचीन सभ्यताएं और शिव
दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं में शिव की मूर्ति पाई जाती है ! सिंधु घाटी सभ्यता की पाई गई मुद्राओं पर नंदी और शिव की आकृति अंकित है ! हूण और कुषाण राजा भगवान शिव के परम भक्त थे ! कुषाण राजा ने सर्वप्रथम अपनी राज मुद्रा पर शिव एवं नदी का अंकन करवाया था ! गुप्तकाल में शैवमत अपने चरमोत्कर्ष पर था !

10.सिख धर्म और शिव
सिख और शिव एक ही है ! एक ओंकार सतनाम ! शैवपंथ की गुरु शिष्य परंपरा का महान उदाहरण है सिख धर्म ! सिख धर्म में श्री और काल शब्द की महत्ता है ! शिव का कालपुरुष और महाकाल कहा जाता है ! वही एक है तो सभी का कर्ताधर्ता है ! सिख का काली और शिव से क्या संबंध है यह कहने की बात नहीं !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

क्या राम और कृष्ण इतने हल्के हैं : Yogesh Mishra

अभी बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर जी ने राजनीतिक कारणों से रामचरितमानस पर कुछ टिप्पणी …