जानिए ज्योतिषशास्त्र की प्राचीनता और प्रभाव !! Yogesh Mishra

दिए हुए दिन, समय और स्थान के अनुसार ग्रहों की स्थिति की जानकारी और आकाशीय तथा पृथ्वी की घटनाओं के बीच संबंध स्थापित करना ज्योतिष विज्ञान है ! ये विन्यास फिर उस परिप्रेक्ष्य में देखे जाते हैं ! एक विषय के रूप में ज्योतिष की जड़ें ब्रह्मा जी (भारतीय धर्म के रचयिता) से जुड़ी हुई हैं ! गर्ग ऋषि के अनुसार ब्रह्माजी ने उन्हें आम लोगों तक इसे प्रचारित करने को कहा था ! वर्तमान में यह ज्योतिषी, ज्योतिष, खगोल विज्ञान और खगोल वैज्ञानिक सबको एक ही माना जाता है !

प्राचीन काल में विज्ञान और ज्योतिष के अध्ययन पर ब्राह्मण विद्वानों का एकाधिकार था ! ज्योतिष को दैनिक आवश्यकताओं और लाभ के लिए योजनाबद्ध किया गया था और उनका एक सफल साम्राज्य चल रहा था ! ज्योतिषों को खगोल वैज्ञानिक माना जाता था और सितारों की गणना में कुशल होने के कारण उनका परामर्श लिया जाता था ! बाद में वह आधिकारिक ज्योतिषी बन गये और किसी विशेष देवता की पूजा, नौवहन और कृषि की गतिविधियों से जुड़ गये ! कुछ हद तक यह बताता है कि ज्योतिष क्यों देवतुल्य विज्ञान माना जाने लगा और आम लोगों की पहुंच से दूर हो गया ! वर्तमान में सितारों के लिए घटनाओं की पूर्व सूचना देना अभी भी समय के गर्भ में है !

ज्योतिष अब लोगों के लिए अधिक सुलभ बन गया है और इसके रहस्य अब गूढ़ नहीं रह गये ! ज्योतिष को अपनी मातृभाषा में पढ़ना सरल होता है ! शास्त्रीय भाषाओं में अपेक्षित प्रवीणता नहीं रह गई है ! सही समय और कैलेंडर आम आदमी के दायरे में आ गया है !

यूनानी, रोमन, पारसी, मिस्र निवासी, सुमेरी, अरब के लोग और भारतीय आदि के विरासत में छोड़े हुए पौराणिक किस्से, कहावतें और पुरातात्विक साक्ष्य यह सिद्ध करते हैं कि प्राचीन काल के लोग ज्योतिष के प्रति बहुत अधिक आकर्षित थे ! उस समय कई बार जब लोग प्रकृति के रहस्यों की थाह लगाने में असमर्थ होते थे तब उसे भाग्यवादी रंग दे देते थे ! अतीत में महामारी का कारण बननेवाले कीटाणु, विषाणु रोधक टीकाकरण के इस आधुनिक चिकत्सीय युग तक लोगों के पास कोई संसाधन नहीं था और राहत के लिए वह ज्योतिष पर निर्भर थे !

किसी भी अवर्णनीय घटना को दैविक रंग में रंग दिया जाता था और इसे दैविक इच्छा मान लिया जाता था ! उदहारण के तौर पर चेचक एक बहुत ही सामान्य बीमारी है जिसे शीतला माता का प्रकोप माना जाता था ! अब यह एक टीका रोधी बीमारी है ! लेकिन अगर कोई इस बीमारी से ग्रस्त होता है तो वह डॉक्टर से परामर्श करने के साथ ही सभी आवश्यक पारंपरिक रिवाज पूरे करता है !

हालांकि सभी ने कहा और किया कि ज्योतिष ज्ञान की एक शाखा है और रहेगी, जो हमेशा मनुष्य को और अधिक जानने के लिए लुभाती रहेगी ! जो इसकी गहराई में जितना ज्यादा उतरेगा, इसके प्रति उसकी भूख उतनी ही बढ़ती जाएगी ! अगस्त और वशिष्ठ जैसे मुनियों द्वारा संकलित किए गये ग्रन्थ जैसे पञ्च सिद्धांत कोष, सूर्य सिद्धांत, नित्यानन्द, बृहत् जातक, आर्यभट्ट, भृगु संहिता, मानसागरी, रणवीर और लघु पराशर की वैज्ञानिक और प्रमाणिक बातें आज भी लोगों को पढ़ने के लिए आकर्षित करती हैं !

दिलचस्प बात यह है कि निनेवहह और बेबीलोन के प्रारंभिक ज्योतिषों की ५०० साल पुरानी मिट्टी की गोलियां आज भी ब्रिटेन के संग्रहालय में देखी जा सकती हैं !

ग्रीक में का जन्म के समय पर आधारित कुंडली है जो वित्त, परिवार, भाग्य और भविष्य की जानकारी देती है ! इस तरह की भोजपत्र पर लिखी 2000 साल पुरानी एक यूनानी कुंडली ब्रिटिश संग्रहालय में संरक्षित है !
प्राचीन मिस्र में उच्च श्रेणी के ज्योतिष हुआ करते थे. प्राचीन मिस्र के फ़राओ ज्योतिषों से सिंहासन के दावहदारों के बारे में सलाह करते थे जिसे बाद में मरवा डालते थे !

चीन में शासक का दावा करनेवाले को ज्योतिष का ज्ञान होना आवश्यक था ! 2513 ईसा पूर्व में चिउनी इसी तरह राजा बना था !

यहां तक कि सिकंदर महान अपने सभी अभियान पर ज्योतिष भी साथ लेकर चलता था ! वह जिस देश में हमला करता था वहां की ज्योतिष परम्पराओं को अपना लेता था !

इस तरह सभी देशों को ज्योतिष का श्रेय दिया जाता है ! हालांकि इसके प्राचीन गौरव और सफलता के बावजूद वैज्ञानिकों की निरंतर चल रही खोज ने ज्योतिषों को भविष्यवहत्ता में बदल दिया ! ज्योतिष के किसी भी विद्यालय को अंतिम शब्द का अधिकार नहीं है और किसी भी दो ज्योतिष के विचार एक नहीं हो सकते ! यह संभावना के सिद्धांत पर अधिक निर्भर करता है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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