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विश्व के मानचित्र में असुरों का योगदान : Yogesh Mishra

इस पृथ्वी का सबसे पहला नक्शा ईसा से 9,323 पूर्व सूर्य सिद्धान्त के आधार पर रावण के ससुर अर्थात मंदोदरी के पिता असुर राज राजा मय द्वारा बनाया गया था ! इसी तरह इसी के समकालीन रावण के भाई कुंभकरण ने भी अन्तरिक्ष यात्रा हेतु सम्पूर्ण अन्तरिक्ष का नक्शा तैय्यार …

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पूतना वध का भ्रम : Yogesh Mishra

भगवान श्री कृष्ण की छठी पर विशेष लेख आज भगवान श्री कृष्ण की छठी है ! वैष्णव पुराणों के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना का वध किया था ! पर प्रश्न यह है कि यह पूतना थी कौन ? और भगवान श्री कृष्ण को इस …

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धर्म को नाकारता आधुनिक युवा समाज : Yogesh Mishra

विज्ञान के प्रगति के साथ-साथ व्यक्ति के सोचने, समझने, विचार करने के तरीके में भी बहुत तेजी से परिवर्तन आया है ! आज व्यक्ति तथाकथित धर्म के मूल सिद्धांतों का विश्लेषण आज के विज्ञान के चश्मे से करना चाहता है ! धर्म का जो अंश तर्क संगत और स्वीकार्य नहीं …

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भारतीय युवा सफल कैसे होंगे : Yogesh Mishra

आज पूरी दुनिया बदल रही है और इस बदलती दुनिया के साथ विश्व के सभी देशों के समाज भी बदल रहे हैं ! किन्तु भारत अपनी मान्यताओं और परंपराओं के कारण आज के प्रगतिशील विश्व से 200 वर्ष पीछे चल रहा है ! भारत के पास बहुत बड़ी युवा पूंजी …

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महापुरुष जंगल क्यों चले जाते हैं : Yogesh Mishra

84 लाख योनियों में अपने चेतना के प्रति मनुष्य ही सबसे संवेदनशील जीव है ! अतः ईश्वर द्वारा मनुष्य को यह वरदान प्राप्त है कि वह निरंतर अपने चेतना के विकास करने के लिये चेतना की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील रह सके ! गौतम बुद्ध, महावीर जैन, भगवान राम, वशिष्ठ, …

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नृत्य चिकित्सा का विज्ञान : Yogesh Mishra

नृत्य मानव सभ्यता के साथ विकसित हुई अनादि चिकित्सा पद्धति का एक स्वाभाविक स्वरूप है ! अति प्राचीन काल में जब नृत्य विज्ञान विकसित नहीं था ! उस समय भी शैव जीवन शैली के लोग अपनी नकारात्मक ऊर्जा को निकालने के लिये बिना किसी सुर ताल के नृत्य किया करते …

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मनुष्य को नये जीवन दर्शन की आवश्यकता क्यों है : Yogesh Mishra

मानवता सतत विकासशील रही है ! इसी वजह से मनुष्य अन्य जीव-जंतुओं के मुकाबले क्रमशः आधुनिक और विकसित होता चला गया ! जब किसी प्रजाति में निरंतर विकास होगा, तो स्वाभाविक है कि उस प्रजाति की जीवनशैली भी निरंतर परिवर्तित होती रहेगी ! जीवन शैली के परिवर्तन के साथ ही …

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ईसाईयों का छद्म धर्मांतरण वैष्णव की देन है : Yogesh Mishra

आजकल विशेष रुप से आये दिन यह सूचना प्राप्त होती है कि ईसाई समाज लोगों को मूर्ख बना कर धर्मांतरण करवा रहा है ! कई उदाहरण तो ऐसे भी मिलते हैं कि जिस क्षेत्र में व्यक्तियों की शारीरिक बनावट जिस तरह की है, वहां पर ईसाई समाज ईसा मसीह की …

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हरम में लड़कियाँ स्वेच्छा से भी रहती थीं : Yogesh Mishra

सदैव से राजाओं के पास मनोरंजन और भोग के लिये तीन तरह की स्त्रियाँ होती थी ! एक रानियों, दूसरी रखैलों और तीसरी दासियों ! जिनके लिए महल के अंदर ही एक अलग दुनिया बसा दी जाती थी ! भारतीय भाषा में इसे रनिवास कहा जाता था और अरबी भाषा …

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अपने आनंद को कहां ढूंढ़े : Yogesh Mishra

व्यक्ति सुख, संतुष्टि और आनंद के लिए पूरे जीवन इधर-उधर भटकता रहता है ! कोई धन कमाने में आनंद ढूंढता है, तो कोई शारीरिक वासना की पूर्ति में ! कोई व्यक्ति यश में आनंद ढूंढता है तो कोई भक्ति में ! जबकि आनंद किसी को कभी कहीं नहीं मिलता है …

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