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आयुर्वेद एलोपैथी से क्यों पिछड़ा : Yogesh Mishra

सोलहवीं सदी तक एशिया और यूरोप में चेचक, खसरा या प्लेग (काली मौत) जैसी बीमारियाँ आम हो चुकी थी ! इसकी पहली विस्तृत खेप में बड़ी जनसंख्या खत्म हुई और धीरे धीरे कुछ समय बाद लोगों में इन्हें लेकर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई ! रोग की पहचान भी होने लगी, …

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मांसाहारी भोजन क्यों नहीं करना चाहिए : Yogesh Mishra

मांसाहारी भोजन क्यों नहीं करना चाहिए : Yogesh Mishra जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर शरीर के अंदर एक विशेष तरह का डी.एन.ए. अर्थात डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल होता है ! जो प्रत्येक व्यक्ति की अनुवांशिक विशेषज्ञता को बतलाता है ! इसी से हमारे चेतना के स्तर का भी …

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ग्रंथों में सत्य कहाँ है : Yogesh Mishra

सत्य और सिद्धांत सदैव सापेक्ष होते हैं ! इनका कोई निश्चित स्वरूप नहीं होता है ! एक काल में कहा गया वाक्य सत्य हो सकता है किंतु दूसरे काल में वही वाक्य असत्य हो जाता है ! इसी तरह कर्म में कोई निश्चित सिद्धांत स्थापित नहीं किया जा सकता है …

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जानिए युद्ध का मनोविज्ञान : Yogesh Mishra

गांधी की मानें तो युद्ध के दो कारण हैं ! हमारी नफरत और लालच बस ! यही हर युद्ध के मस्तिष्क का आधार है ! गांधी की बात इसलिये भी सही लगती है क्योंकि दुनिया में जो युद्ध हुये वह या तो साम्राज्यवादी लूट के लिये हुये या फिर मजहबी …

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जानिए गुरु का अर्थ : Yogesh Mishra

हर व्यक्ति अनादि काल से किसी न किसी योग्य गुरु का शिष्य बनना चाहता है ! पर अब तो उलटी गंगा बह रही है ! अब व्यक्ति शिष्य बनना चाहे या न चाहे गुरु ही यह दावा करते हैं कि मैं योग्य गुरु हूं और तुम मेरे शिष्य बन जाओ …

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स्व का बोध : Yogesh Mishra

जिसके अंदर कोई गहराई नहीं, उसे ही बाहर अपने विस्तार हेतु आडंबर की आवश्यकता है ! आडंबर भी विस्तार का ही एक रूप है ! दुनिया में सबसे कठिन का “यथास्थित” में स्थिर हो जाना है ! इसी को सहज योग कहा गया है ! प्रायः दुनिया में बड़े-बड़े योगी, …

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जीवन में सांसारिक सफलता का सूत्र : Yogesh Mishra

आज पूरी दुनिया दो खेमे में बाँट गई है ! एक यह मानती है कि भगवान ही इस दुनिया को चला रहा है, यदि भगवान की कृपा प्राप्त न की जाये तो, इस दुनिया में जीना और सफल होना असंभव है ! वही समाज का दूसरा वर्ग यह मानता है …

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विकृत धर्म अध्यात्म को निगल जाता है : Yogesh Mishra

वैसे तो बहुत ही कम लोग जानते हैं कि धर्म और अध्यात्म दोनों अलग-अलग विषय है ! धर्म समाज को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए बनाये गये नियमों का समूह है और अध्यात्म विशुद्ध आत्म उत्थान का विषय है ! आज के इस विकृत संसार में धर्म भी विकृत …

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कामसूत्र मात्र काम ग्रन्थ नहीं : Yogesh Mishra

प्राय: कामसूत्र का नाम सुनते ही व्यक्ति घृणा और हीनता के भाव से भर जाता है, जबकि कि काम ही इस मैथुनिक सृष्टि का आधार है ! काम को विकृत, घृणा और हीनता के भाव से देखने की शुरुआत वैष्णव आक्रान्ताओं ने अपनी सेना के निर्माण के लिये युवाओं को …

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जीवन में गीत का महत्व : Yogesh Mishra

मानव ही नहीं समस्त जीव चेतना के तीन आयाम हैं ! एक आयाम गणित, विज्ञान और गद्य का है ! दूसरा आयाम प्रेम, काव्य, संगीत का है और तीसरा आयाम अनिर्वचनीय है ! न उसे गद्य में कहां जा सकता, न ही पद्य से ! न उसे तर्क से समझाया …

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