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बलात्कार का मनोविज्ञान समझे : Yogesh Mishra

बलात्कारकी घटना हमारे ही सभ्य समाज में क्यों होती है ! यह आदिवासी या तथाकथित अति पिछड़े अविकसित क्षेत्रों में क्यों नहीं होती है ! जहाँ आधुनिकता की मार अभी तक नहीं हुई है ! किसी कामुक साहित्य या कामुक टी.वी. शो की मांग वहां क्यों नहीं है ! इसके …

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राष्ट्रीय प्रतीक अशोक के लाट की रहस्य पूर्ण कथा : Yogesh Mishra

गाँधी भारतीय जनमानस का मनोविज्ञान खूब अच्छी तरह जानते थे ! उन्हें मालूम था कि उनके इस अहिंसा की नौटंकी में पढ़ा लिखा सवर्ण वर्ग शामिल नहीं होगा ! क्योंकि सवर्ण यह जानता था कि आजादी क्रांति से मिलेगी ! भजन गाने से नहीं ! अत: गाँधी ने भीड़ इकठ्ठा …

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बजट में फिर दिखी डिजिटल गुलामी की झलक : Yogesh Mishra

निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए देश के क्षेत्रों शहरी के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के ठेके देने का प्रस्ताव दिया है ! जो वैश्विक गुलामी को भारत के गाँव गाँव तक ले जायेगा ! इसी …

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नवार्ण मंत्र की दिव्य शक्ति का रहस्य : Yogesh Mishra

गुप्त नौरात्रि पर विशेष लेख ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाऐ विच्चे यह शाब्दिक नौ अक्षरा मंत्र है ! इसका अर्थ नवार्ण नव और अर्ण के युग्म से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है नौ अक्षर से बना हुआ ! इसीलिये ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाऐ विच्चे को नवार्ण मंत्र कहा …

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श्रीमद्भागवत गीता के नाम पर फ्राड : Yogesh Mishra

अंग्रेजों द्वारा भारत से असली श्रीमद्भागवत गीता की पाण्डुलिपि चुरा ले जाने के बाद भारत में व्याप्त जन आक्रोश को दबाने के लिये इस दुनियां में पहली बार नकली श्रीमद्भागवत गीता का प्रकाशन भारतीयों के अल्प धार्मिक ज्ञान को देखते हुये कलकत्ता में रहने वाले ईस्ट इण्डिया कंपनी से मान्यता …

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नंदी का तात्पर्य बैल नहीं है : Yogesh Mishra

सुमेरियन, बेबीलोनिया, असीरिया और सिंधु घाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई जाती है जिसे शिव भक्त प्राय: नंदी कह देते हैं ! जबकि नंदी बैलों में एक ब्राण्ड मात्र है ! जिसके नश्ल सुधार का काम बनारस के शिलाद ऋषि के पुत्र नंदी ने भुवन नदी के …

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बुढ़ापे से मूल्यवान कुछ भी नहीं है : Yogesh Mishra

पश्चिम के विकृत जगत ने पूरी शिद्दत से हमें यह बताने की चेष्टा की है कि बूढ़ा व्यक्ति किसी योग्य नहीं होता है, लेकिन सनातन जीवन शैली में बूढ़े व्यक्ति को परिवार ही नहीं समाज और राष्ट्र का आधार माना गया है ! हमारे सभी ऋषि, मुनि, मनीषी, धर्मगुरु, विचारक, …

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क्या थी ओशो की बड़ी चूक : Yogesh Mishra

ओशो एक महान चिंतक थे ! उन्होंने जीवन को कई आयामों से महसूस किया था ! वह यह चाहते थे कि मनुष्य जीवन के बोझ को न ढ़ोते हुए सीधा-सीधा आनंद को भोगते हुये मोक्ष को प्राप्ति करे ! जिस हेतु उन्होंने मोक्ष प्राप्ति की एक नई अवधारणा, संपूर्ण भोग …

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क्या गरीबी उन्मूलन की सभी योजनाएँ हमें और भी गरीब बनती हैं : Yogesh Mishra

वैश्विक तानाशाहों से निडर होकर श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि भारत गरीबों का देश हो सकता है किंतु भारत स्वयं में गरीब नहीं है, क्योंकि श्रीमती इंदिरा गांधी का यह मत था कि भारत के अंदर व्याप्त सभी प्राकृतिक संसाधनों का यदि सही तरह से प्रयोग किया जाये …

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ब्रह्मा भी शिव के आधीन कैसे हैं : Yogesh Mishra

चित् वह है जो अपने को सब आवरणों से ढककर भी सदा अनावृत बना रहता है, सब परिवर्तनों के भीतर भी सदा परिवर्तनरहित बना रहता है ! उसमें प्रमाता प्रमेय, वेदक वेद्य का द्वैत भाव नहीं रहता, क्योंकि उसके अतिरिक्त दूसरा कुछ है ही नहीं ! इसका स्वरूप प्रकाशविमर्शमय है …

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