प्रायः लोग मुझसे यह प्रश्न करते हैं कि जब भारत कितना बड़ा आध्यात्मिक देश था, तो भारत अलग-अलग समय में विभिन्न विधर्मियों के अधीन गुलाम कैसे हो गया ! इस रहस्य को जानने के लिए यह परम आवश्यक है कि हम यह जाने के ईश्वरीय ऊर्जायें कैसे कार्य करती हैं …
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क्या योग वशिष्ठ शैव ग्रंथ है : Yogesh Mishra
वशिष्ठ ऋषि वैदिक काल के विख्यात थे ! इनके ज्ञान के कारण इन्हें सप्तर्षि में भी शामिल किया गया था ! यानि ऐसा माना जाता है कि इन्हें वेदों की रचना करने वाले ईश्वर द्वारा सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था ! इनका विवाह दक्ष प्रजापति और प्रसूति की पुत्री …
Read More »दोगले वैष्णव कथावाचकों का झूठ : Yogesh Mishra
वैष्णव कथा वाचक एक तरफ तो कहते हैं कि यदि व्यक्ति धर्म ग्रंथ वेद, पुराण, उपनिषद, वेदांत आदि का अध्ययन करता है, तो वह सभी तरह के विकारों से मुक्त हो जाता है ! और दूसरी तरफ यहीं कथावाचक कहते हैं कि रावण धर्म मर्मज्ञ था ! उसने अपनी प्रतिभा …
Read More »सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में अंतर : Yogesh Mishra
सनातन धर्म मानवता के साथ स्व विकसित, प्रकृति और पर्यावरण अनुगामी धर्म है ! इसे शैव जीवन शैली का धर्म भी कहा जा सकता है ! इसमें उपासना के लिए किसी भी भक्त पर किसी भी प्रकार का कोई कर्मकांड का बंधन नहीं होता है ! जबकि हिंदू धर्म ईश्वर …
Read More »वाल्मीकि ने रामायण लिखी ही नहीं थी : Yogesh Mishra
महर्षि वाल्मीकि का मूल नाम रत्नाकर था और इनके पिता ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रचेता थे ! ब्रह्मर्षि भृगु के वंश में उत्पन्न ब्राह्मण थे ! जिसकी पुष्टि स्वयं वाल्मीकि रामायण और महाभारत नामक ग्रन्थ से होती है ! ‘“संनिबद्धं हि श्लोकानां चतुर्विंशत्सहस्र कम् ! उपाख्यानशतं चैव भार्गवेण तपस्विना !! …
Read More »रावण की संपन्नता का रहस्य : Yogesh Mishra
यह त्रेता युग के उस समय की घटना है, जब वैष्णव आक्रांताओं द्वारा छल और बल से शैवों को इस पृथ्वी पर पूरी तरह से नष्ट करके वैष्णव साम्राज्य स्थापित करने का षड्यंत्र अपने चरम पर था ! वैष्णव आक्रांताओं से शैव संस्कृति की रक्षा के लिए परशुराम जी अकेले …
Read More »अनियंत्रित इंद्रियां ही अपराध का कारण हैं : Yogesh Mishra
वैष्णव मत दर्शन के अनुसार मनुष्य को 14 इंद्रियां प्राप्त हैं ! पांच ज्ञानेंद्रियां आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा; पांच कर्मेंद्रियां हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग और चार अंतःकरण मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार ! मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार व्यक्ति को अपराध के लिये उकसाती हैं ! …
Read More »सांसारिक दरिद्रता वैष्णव जीवन दर्शन की देन है : Yogesh Mishra
प्राय: वैष्णव विचारकों के मुख से यह बात सुनने में आती है कि लक्ष्मी और सरस्वती का मेल नहीं है अर्थात जो व्यक्ति संपन्न है वह विद्वान नहीं हो सकता और जो विद्वान है वह संपर्क नहीं हो सकता है ! लेकिन यह वैष्णव दर्शन नितांत अव्यवहारिक और षड्यंत्रकारी है …
Read More »नव चिंतकों पर प्रतिबंध लगाता समाज : Yogesh Mishra
जिस तरह प्रत्येक मनुष्य के बुद्धि का अपना एक स्तर होता है ! ठीक उसी तरह समाज की सामूहिक बुद्धि का भी अपना एक स्तर होता है ! इन दोनों ही तरह के बुद्धियों को विकसित करने का एक क्रम है ! जिसकी अनिवार्य आवश्यकता समय है ! अर्थात दूसरे …
Read More »राम को पिनाक धनुष तोड़ना क्यों जरुरी था : Yogesh Mishra
वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का कोई वर्णन नहीं है ! महर्षि वाल्मीकि के अनुसार रावण की नानी केतुमती जिसे तुलसीदास ने ताड़का कहा, उसकी अकारण विश्वामित्र के उकसाने पर राम द्वारा हत्या कर दी गयी थी ! उस समय विश्वामित्र को यह पता था कि रावण इसका बदला जरुर …
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