विकास और विनाश में संतुलन आवश्यक है : Yogesh Mishra

प्रकृति ने जब मनुष्य का निर्माण किया तो उसे मास्तिष्क का उपहार दिया ताकि वह अपने जीवन को अधिक परिष्कृत कर सके और इस धरा को और भी सुन्दर बना सके ! मनुष्य ने ज्ञान विज्ञान की सहायता से प्रकृति के भेद को जाना और नित तरक्की के पथ पर आगे बढ़ता रहा ! मनुष्य ने गंभीर व्याधियों का समाधान खोजा, जीवन को सरल बनाने के लिए यंत्रों का आविष्कार किया, भोजन को नए नए स्वाद दिये और अपनी पृथ्वी से बाहर की दुनिया को भी खंगाला ! अपनी वैज्ञानिक रफ़्तार से हमने जीवन को सुकर बनाया परन्तु हमने अपनी सीमाओं का निर्धारण नहीं दिया ! आज मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाने की बजाये उसपे विजय करने को आतुर है, और यही वह मूर्खता है जिसका उसे स्वयं ही आभास नहीं है !

मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में खासी प्रगति कर ली और इसे ही अपने विकास का पैमाना मान लिया पर यहीं से उसकी असल मूर्खता शुरू हुई ! उसने विज्ञान की प्रगति में सामाजिक प्रगति को पीछे धकेल दिया ! समाज में आज भी महिलाएं अपना सही स्थान पाने हेतु हर देश में लड़ रहीं हैं ! पित्रसत्ता का ढांचा आज भी उनके हकों में झुकने को तैयार नहीं है ! भारत जैसे देश में जहाँ मंगल पर यान भेजने की तैयारी हो रही है वहां देश की राजधानी में महिला अकेले बाहर निकलने से डरती है! ऊँच-नीच और अमीर गरीब की खाइयाँ इतनी चौड़ी है की हर साल लाखों किसान आत्म हत्या कर लेते हैं ! हमारे ही देश में अंधविश्वासों के चलते आज भी नीम हकीम और ढोंगी साधुओं का बोल बाला है ! क्या यह हमारी मुर्खता नहीं की हम केवल वैज्ञानिक उन्नति में रत हैं और सामाजिक उन्नति को नहीं खोजते !

प्रकृति संस्कृति के लिए सहज रास्ता देती है , पर जब संस्कृति प्रकृति से ज्यादा खिलवाड़ करने लगती है तो यही शांत प्रकृति विनाश का तांडव लाती है ! बड़े बड़े बांधों के निर्माण से मिटटी का कमजोर होना और फिर विनाशकारी भूकम्पों का आना , वैश्विक तापन के कारण अनावृष्टि, अति वृष्टि, हिमपात, सुखा, आदि जैसी घटनाएं ओजोन छिद्र के कारण डीएनए संरचना में आ रहे परिवर्तन या त्वचा कैंसर के बढ़ते मुद्दे, बढ़ता समुद्र तल, नयी-नयी जान लेवा बीमारियाँ आदि स्पष्ट उदहारण है की प्रकृति पुनः संस्कृति यानि मानवता से रुष्ट हो चली है और इसको दंड दे रही है ! इस संतुलन को बिगड़ने से रोकना बहुत जरुरी है ! वर्ना मात्र 2 ग्राम कोरोना वायरस इसी तरह पूरी दुनियां को हिलाता रहेगा !

हाल ही में नवम्बर 2018 में यह समाचार आया की चीन ने डिज़ाइनर बेबी अर्थात जीन-एडिटिंग द्वारा शिशु उत्पन्न किया ! प्रकृति के साथ खिलवाड़ के यह नया उदहारण है जहाँ प्राकृतिक विन्यासों को तोड़ा जा रहा है ! मनुष्य ने पहले कृषि क्षेत्र में जीन परिवर्तनों द्वारा कपास और सब्जियों में फिर उसके बाद जानवरों के जीन में छेड़खानी की और अब मनुष्य प्रकृति की सबसे सुन्दर रचना यानि स्वयं को ही बदलने में लगा है ! आने वाले कल में हो सकता है की पुत्र की चाह में पुत्रियों का जन्म ही असंभव बना दिया जाये ! प्रकृति द्वारा स्थापित संतुलन शायद इस प्रकार नष्ट होता जायेगा !

वहीं,आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के विकास से मनुष्य ने अपनी श्रम क्षमता को भी सीमित करने का मार्ग खोज लिया है ! AI के द्वारा एक क्रियाशील मास्तिष्क का निर्माण संभव हो रहा है जहाँ मशीन पहले मानव से सीखेगी फिर धीरे धीरे उसी की जिंदगी से जुड़े फैसले करने लगेगी ! इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स के आने से मानव के खान को पान को निर्धारित करने से लेकर उसकी दवाओं का ख्याल भी मशीन ही रखेगी ! स्वचालित कार , रोबोट असिस्टेंस , डॉक्टर रोबोट, यांत्रिक दवाएं , आदि आने वाले कल की सच्चाई हैं ,क्या यंत्रों पर इतनी निर्भरता ठीक है ?

विज्ञान ने मनुष्य को प्रकृति के अनुसार आगे बढ़ना सिखाया परन्तु मानव ने विज्ञान का भी दुरूपयोग किया ! नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया का प्रयोग मनुष्य के विकास हेतु किया जा सकता था परन्तु शक्ति की लालसा में मनुष्य ने पहले नाभीकीय अस्त्र का निर्माण किया बाद में परमाणु रिएक्टर का ! मनुष्य ने अपने ही काल हेतु आज न जाने कितने प्रकार के हथियारों का निर्माण कर लिया है और अपनी ही दुर्गति लिखने के बाद भी वह गर्वित है !

आज थोड़ा रुक कर आत्म चिंतनद्वारा इस आत्म मुग्धता और मूढ़ता को दूर करने की जरुरत है ! विज्ञान ने हमें गलत राह नहीं दिखायी बल्कि हमारे लालच ने हमसे विज्ञान का दुरुपयोग कराया है ! आवश्यकता है की विज्ञान को समाज के लिए और समाज के अनुसार दिशा दी जाये !हमें फिर उत्पादन के लक्ष्य को पुनः जरुरत के अनुसार ढालना होगा ! लोगों को अधिक उपभोग हेतु उकसाने के बजाये जिम्मदारी पूर्ण जीवन जीना सिखाया जाना चाहिए ! पर्यावरण के प्रति निष्ठा और प्रेम को जगाना होगा ! अधिक ऊर्जा नहीं सही ऊर्जा उपभोग को लक्ष्यित करना होगा !

जीन एडिटींग का प्रयोग बीमारी दूर करने हेतु होना चाहिए न की डिज़ाइनर शिशु के निर्माण में ! AI जैसी युक्तियों का प्रयोग कर दिव्यांग व्यक्तियों को अधिक दक्षता दी जानी चाहिए ताकि वह अपना जीवन स्वयं निर्मित कर सकें ! श्रम के महत्व को पुनः स्थापित करना होगा जिससे की AI और अन्य तकनीक रोजगार पर संकट न बने बल्कि नए क्षेत्रों व नये अवसरों का सृजन करें !

विज्ञान की सहायता से समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को दूर करना होगा ! राकेट के साथ साथ ऐसी छोटी छोटी तकनीकों पर भी काम करना जरुरी है जिससे आम आदमी की जिंदगी में बदलाव आये ! सिंचाई के नए तरीके, नए फसल चक्र ,हीड्रोपोनिक्स जैसी नयी विधियाँ , महामारियों का सही पूर्वानुमान , खाद्य क्षमता व शक्ति वर्धन आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मनुष्य बहुत से काम कर सकता है ! मनुष्य को यह सीखना होगा की उसे अपनी अज्ञानता को मिटाना है और मानवता के सम्पूर्ण विकास का संकल्प लेना है ! इसी से कल हम एक बेहतर विश्व का निर्माण कर पायेंगे !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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