आज प्रतियोगिता का दौर है ! समाज के मध्यम परिवार का व्यक्ति अपने जीविकोपार्जन के लिए तरह-तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना करता है ! प्राय: देखा जाता है कि व्यक्ति में योग्यता, क्षमता, प्रतिभा होते हुए भी वह प्रतियोगी परीक्षा में 1 या 2 नंबरों से रुक जाता है और उसके सालों साल की तैयारी व्यर्थ हो जाती है !
बच्चे को एवं उसके माता-पिता को ऐसा लगता है कि बच्चे का मन पढाई में नहीं लगता है या बच्चे जितनी मेहनत करते हैं उन्हें उसके अनुरुप फल नहीं मिलता है ! परीक्षा के प्रश्न पत्र में लिखते समय बच्चा भयभीत रहता है ! बच्चे ने जो पढाई की है, वह परीक्षा पत्र में लिखते समय भूल जाता है या बच्चे की यादाशत कमजोर है ! तो इस यंत्र की स्थापना से लाभ मिलता है !
ऐसा क्यों होता है ? ज्योतिष के अनुसार इसका जवाब यह है कि व्यक्ति के प्रारब्ध की ऊर्जा इतनी प्रबल नहीं होती है कि साथ के दूसरे प्रतियोगी व्यक्ति का सामना कर सके ! ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सफलता दिलाने के लिये प्राचीन ऋषियों, मुनियों द्वारा अनेकों उपाय खोजें गये थे ! जिसमें यंत्र का सहारा लेना भी सर्वथा उचित है !
क्योंकि इन परिस्थितियों में यंत्र का प्रयोग करके हम किसी भी अन्य व्यक्ति के अधिकार को नहीं मारते हैं ! बल्कि अपनी योग्यता, क्षमता, प्रतिभा के अनुरूप अपना स्थान समाज में प्राप्त कर लेते हैं !
बसंत पंचमी के अवसर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्ति के लिए “वाममार्गी सरस्वती यंत्र” की जाग्रत करके स्थापना निश्चित रूप से आपको शत-प्रतिशत सफलता देने वाली होती है ! बस इस यंत्र का प्रयोग करने में कुछ सावधानियों का ध्यान रखने की आवश्यकता है !
क्योंकि मां सरस्वती सात्विक देवी हैं ! अतः इस यंत्र की स्थापना के उपरांत प्रतियोगिता में सफलता के लिए आपको तीन कार्य विशेष रूप से अवश्य करने चाहिये !
नंबर 1 – काले और नीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग न करें या कम से कम करें !
नंबर 2 – आहार की शुद्धता बरतें अर्थात तामसी भोजन का सेवन न करें या कम से कम करें !
( यहां तामसी भोजन से तात्पर्य पुराना बासा या मांसाहारी भोजन से है ! )
नंबर 3 – नियमित रूप से स्थापित सरस्वती यंत्र के सामने बैठकर कम से कम एक माला “सरस्वती मंत्र” की अवश्य कीजिये !
यदि आप इन छोटी-छोटी सावधानियों को बरतेंगे, तो आपको शिक्षा के क्षेत्र में या प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने से कोई भी व्यक्ति नहीं रोक सकता है !
और आप यदि वर्तमान में कहीं नौकरी कर रहे हैं, तो आपके वरिष्ठ अधिकारी आपकी योग्यता, प्रतिभा, क्षमता को प्रोत्साहित करेंगे और आपके जीवन में अनेक तरह के प्रगति के अवसर बार-बार प्राप्त होते रहेंगे !
मत्स्यपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, मार्कण्डेयपुराण, स्कंदपुराण आदि अनेक ग्रंथों में भी देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है ! इन धर्मग्रंथों में देवी सरस्वती को सतरूपा, शारदा, वीणापाणि, वाग्देवी, भारती, प्रज्ञापारमिता, वागीश्वरी तथा हंसवाहिनी आदि नामों से संबोधित किया गया है !
‘जाग्रत सरस्वती यंत्र’ संस्थान में उपबन्ध है !!!