भय के व्यवसाइयों से सावधान :Yogesh Mishra

अगर यह पूछा जाये कि दुनिया में सबसे महंगी चीज क्या बिक सकती है ! तो सीधा एक लाइन का जवाब है “मौत का डर” ! लेकिन इससे भी महंगी एक चीज और बिक सकती है ! वह है किसी अपने प्रिय व्यक्ति के मौत का डर !

आज भारत में पूरा का पूरा चिकित्सा व्यवसाय इसी मौत के डर से चल रहा है ! हम किसी रोग से मरेंगे या नहीं यह कोई नहीं जानता लेकिन जब सफेद कोट पहन कर बैठा हुआ डॉक्टर हमें डराता है कि आपको फला रोग हो गया है ! आपको यह यह सावधानी बरतनी चाहिये और यह कुछ दवाइयां जो मैं लिख रहा हूं ! इन्हें जीवन भर खाना होगा ! तो बिना सोचे समझे उस सफेद कोट वाले डॉक्टर की बात अक्षरस: मान लेते है और अपनी जान बचाने के लिये उसके द्वारा बताये गये चिकित्सा के लिये अपना सर्वस्व ही नहीं उधार लेकर भी उस डाक्टर को देने के लिये तैयार हो जाता है !

अगर वह डॉक्टर सही परामर्श दे रहा है तो वह भगवान है और यदि वही डॉक्टर दवा निर्माता, ड्रग माफियाओं से मिला हुआ है और अपने निजी लाभ के लिये आप को गुमराह कर रहा है तो उससे बड़ा शैतान इस धरती पर कोई नहीं है ! यह आपके भाग्य का विषय है कि आपको डॉक्टर के रूप में भगवान से मिलते हैं या शैतान के रूप में !

भारत बहुत बड़ा देश है यहां पर सर्वाधिक जनसंख्या मध्यमवर्ग की है ! जो निरंतर अपने परिवार के पालन पोषण के लिये धन कमाने में लगा रहता है ! इन मध्यमवर्ग के धन कमाने वाले व्यक्तियों के पास इतना समय नहीं है कि वह किसी डॉक्टर के चरित्र का परीक्षण करें ! अतः स्वास्थ्य के संदर्भ में डॉक्टर जो कह देता है उसे सामान्यतया मान लेते हैं !

लेकिन अब एक नई दिक्कत सामने आ गई है ! डॉक्टर समाज को क्या बतायेंगे और क्या नहीं ! इसका निर्धारण डॉक्टर नहीं कर रहा है ! यह हमारे राजनैतिक लोग करते हैं ! जो अपनी राजनीतिक पार्टी को चलाने के लिये विदेशों से या अपने देश के दवा माफियाओं से बड़ी रकम में चंदे के रूप में लेते हैं !

वह राजनैतिक लोग यह निर्धारित कर रहे हैं कि आज डॉक्टर को समाज को क्या बतलायेगा ! जिसका कठोरता से पालन प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से करवाया जा रहा है और आम जनता जो यह निर्देश मानने को तैयार न हो उसके लिये हर गली के नुक्कड़ पर खाकी वर्दी में उस शासन सत्ता के प्रतिनिधि शासन सत्ता की मनसा मनवाने के लिये लट्ठ लेकर खड़ा हैं !

मेरा प्रश्न यह है कि कोरोना की सत्यता पर भारत के अंदर जो लाखों रुपये देकर डॉक्टर और वैज्ञानिकों को सरकार ने नियुक्त किये है अर्थात ढो रही है ! उनके द्वारा कब, कहां, कौन सा परीक्षण करवाया गया है ! जिसके आधार पर आज शासन सत्ता इतने कठोर कदम उठा रही है या डब्ल्यू.एच.ओ. अर्थात अमेरिका और ब्रिटेन की विश्व को नियंत्रित करने वाली स्वास्थ्य एजेंसी का ही कथन वह ब्रह्म वाक्य है जिसके आगे अब किसी को कोई भी चिंतन, निरीक्षण, परीक्षण आदि करने की आवश्यकता नहीं है !

जैसा कि मैंने पूर्व में कहा था कि भारत पूरे विश्व में एक सबसे बड़ा भावुक, अशिक्षित, बुद्धिहीन, डरपोक और माध्यम वर्गीय बाजार है ! यहां जो भी प्रचारित कर दिया जाता है ! उस आधार पर कुछ भी बिकना शुरू हो जाता है ! बाजार पर निगाह डाली जाये तो 90% स्वास्थ्य संबंधी चीजें वह चीजें बिक रही हैं ! जिनका स्वास्थ्य सुधार से कोई मतलब ही नहीं है !

ऐसी स्थिति में यदि कोरोना की जांच करने वाली किट या भविष्य में कोरोना के संदर्भ में कोई वैक्सीनेशन या औषधि यदि भारत में अचानक किसी विदेशी औषधि निर्माता ड्रग माफिया कंपनी द्वारा बेचा जाना शुरू कर दिया जाये जो विश्व सवास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त है ! तो उस औषधि की गुणवत्ता, आवश्यकता और उपयोगिता का निरीक्षण-परीक्षण कौन करेगा !

क्या भारत के राजनीति में बैठे हुये लोग विदेशों से अपने राजनीतिक दलों का चंदा इकट्ठा करने की मंशा के साथ ईमानदारी से इस कार्य को कर सकेंगे या वह डॉक्टर और वैज्ञानिक जो इन राजनीतिज्ञों के रहमों करम पर पल रहे हैं ! उनमें इतना साहस है कि वह इन विदेशी ठगों द्वारा निर्मित औषधियों का निरीक्षण परीक्षण कर सकें !

एक और महत्वपूर्ण विषय को लेकर भारत में इतना हंगामा कटा हुआ है ! भारत के अंदर वैज्ञानिकों की एक फौज जिनके ऊपर खरबों रुपए खर्च होता है ! वह भारत की जनता पर बोझ की तरह पड़ी हुई है ! क्या किसी राजनैतिक दल ने इन वैज्ञानिकों को कोई हैंड सैनिटाइजर या विशेष मास्क बनाने के लिये कोई निर्देश जारी किये हैं या हम भारतीयों का बैंक में जो पैसा जमा है ! उस पैसे से धंधा करने वाले एक लाख से अधिक खरबपति व्यवसायियों ने भारत के आम आवाम के लिये कोई हैंड सेनीटाइजर या मास्क अपनी तरफ से समाज में वितरित किया है या यह सभी लोग डब्ल्यू.एच.ओ. के रहमों करम का इंतजार कर रहे हैं !

ऐसा लगता है राजनैतिक व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय औषधि निर्माताओं ड्रग माफियाओं के चंदे से अपने राजनीतिक दल चलाने में इंटरेस्टेड हैं ! भारत के वैज्ञानिक और डाक्टर वेतन भत्ता खाकर मस्ती से सो जाने में इंटरेस्टेड हैं ! रही भारत के प्रशासनिक अधिकारीयों की बात तो ये बस राजनीतिज्ञों की चमचागिरी करने में इंटरेस्टेड हैं ! अब रही बात उद्योगपतियों की तो वह सभी अपने व्यापार धंधे के लिये बैंकों को बेवकूफ बनाकर कितना पैसा कहां से हड़प सकें इसमें इंटरेस्टेड हैं !

यहां एक वर्ग को मैं और खड़ा करना चाहूंगा ! जिन्हें हम सेलेब्रिटीज कहते हैं जो आज की युवा पीढ़ी के आदर्श हैं और करोड़ों रुपये पुरस्कार में लेकर अय्याशी की जिंदगी जी रहे हैं ! भारत पर इतना बड़ा प्राक्रतिक आक्रमण हुआ है ! क्या कहीं किसी सेलिब्रिटी ने आम जनता के साथ मदद करने के लिये कोई कदम आगे बढ़ाया है और अगर नहीं तो यह सभी देश पर बोझ हैं और इनसे सतर्क रहना चाहिये !

डब्ल्यू.एच.ओ. की गाइडलाइन को पढ़ते रहिये ! चर्चा करते रहिये ! मुस्कुराते रहिये और सोते रहिये ! लेकिन मुझे लगता है इस देश में होगा वही जो अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र के तहत राजनीतिक व्यक्ति या प्रशासनिक अधिकारी चाहते हैं ! जिन दोनों को मेडिकल साइंस की दूर-दूर तक कोई जानकारी नहीं है !

क्योंकि मौत का भय सबसे भयानक होता है और यह सभी मौत के भय का व्यवसाय करने वालों के साथ खड़े हैं ! इसलिये आपकी सावधानी ही आपको बचा सकती है ! जागरूक बनिये और सावधान रहिये !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …