धन प्राप्त होना एक परिणाम है ! किसी भी धन को प्राप्त करने के पहले की प्रक्रिया में मनुष्य का आचरण, व्यवहार और सामाजिक समझ उस धन को प्राप्त कराने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ! यदि व्यक्ति का आचरण विश्वसनीय नहीं है या व्यवहार समाज के अनुकूल नहीं है और उस व्यक्ति में कोई दूर दृष्टि नहीं है तो ऐसे व्यक्ति के लिए धन कमाना अत्यंत कठिन हो जाता है !
व्यक्ति के आचरण का निर्माण उसके संस्कारों से होता है ! पूर्व जन्म के संचित संस्कार यदि व्यक्ति के दूषित हैं तो निश्चित तौर से वर्तमान जन्म में उस व्यक्ति का आचरण भी अव्यावहारिक और दूषित होगा ! इसी तरह यदि पूर्व जन्म के संस्कार और आचरण दूषित हैं तो व्यक्ति का व्यवहार भी अविश्वसनीय होगा ! यह सभी स्थितियां यह बताती है कि व्यक्ति के व्यक्तित्व और चरित्र समाज के अनुकूल नहीं है ! जोकि धन प्राप्त करने के लिये अति आवश्यक है !
व्यक्ति धन तो चाहता है लेकिन अपना आचरण और व्यवहार ठीक नहीं करना चाहता है ! इसके पीछे उसके संस्कार की नकारात्मक ऊर्जा कार्य करती है ! ऐसी स्थिति में यदि व्यक्ति “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” का अनुपालन करता है तो इससे संस्कार की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होने लगती है और व्यक्ति का आचरण और व्यवहार समाज के अनुकूल हो जाता है ! व्यक्ति समाज में लोकप्रियता प्राप्त करता है और लोगों में एक विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में उस व्यक्ति की छवि बनी शुरू हो जाती है !
काल का प्रवाह अदृश्य है भविष्य में क्या होने जा रहा है ! यह सामान्य दूर दृष्टि से नहीं जाना जा सकता है ! इसके लिए ईश्वरीय कृपा आवश्यक है और ईश्वर की कृपा होती ही उन लोगों के ऊपर है जो ईश्वर के निकट होते हैं ! इसलिए भविष्य की सफल योजनाओं को बनाने के लिए ईश्वर की कृपा का होना अति आवश्यक है और यह सभी कुछ “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” के द्वारा बहुत ही सहज रूप में संभव है !
मेरा यह अनुरोध है यदि आप अपने जीवन में सफल होकर अपना आर्थिक विकास करना चाहते हैं तो निश्चित रूप से अपने संस्कारों की नकारात्मक ऊर्जा को जलाईये और ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन के अनुरूप अपने भविष्य की योजनाओं का निर्माण कीजिये !
कहीं मत भटकिये यह सब कुछ “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” से संभव है ! हमारे संस्थान में “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की व्यवहारिक कक्षाएं चलाई जाती हैं ! यदि आप के लिए संभव हो तो आप इन्हें अटेंड करें और “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” के द्वारा अपने संस्कारों की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करते हुए आर्थिक संपन्नता को प्राप्त करें ! यही मेरी कामना है !