हमारे मस्तिष्क खरबों खराब तंतुओं से बना है ! इन तंतुओं के मध्य न्यूरॉन्स नामक ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है ! जिस व्यक्ति के मस्तिष्क में न्यूरॉन्स का प्रवाह जितना निर्विरोध होगा, वह व्यक्ति मानसिक रूप से उतना ही अधिक अपने शिक्षा के क्षेत्र में प्रवीण होगा ! हमारे मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की ऊर्जा का प्रवाह कैसा है यह व्यक्ति के जन्म कुंडली को देखकर पता लगाया जा सकता है !
यदि व्यक्ति की कुंडली में लग्न दूसरे और 12 में स्थान पर लग्न के शत्रु ग्रह बैठे हैं या लग्न के शत्रु ग्रहों की दृष्टि है या फिर राहु शनि का प्रभाव है तो ऐसी स्थिति में यह माना जाएगा कि मस्तिष्क के तंतुओं में न्यूरॉन्स की ऊर्जा का सामान्य प्रवाह नहीं हो रहा है ! यह स्थिति व्यक्ति को या तो अति आवेगी बना देती है या फिर व्यक्ति आलसी हो जाता है ! दोनों ही स्थितियां हमारे शिक्षा प्राप्ति में बाधक हैं !
यदि हम प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो यह हमारा निश्चित प्रयास होना चाहिये कि हमारे मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहे ! इसके लिये प्रारब्ध की ऊर्जा और वर्तमान की ग्रह दशा दोनों ही जिम्मेदार हैं !
इन दोनों को ही “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना से नियंत्रित किया जा सकता है ! यदि हमारे मस्तिष्क के अंदर न्यूरॉन्स का प्रवाह धीमा है तो “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” के द्वारा हम अपने मस्तिष्क को इस तरह से ऊर्जावान कर देते हैं कि न्यूरॉन्स की ऊर्जा का प्रवाह सामान्य हो जाता है और यदि हमारे मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की ऊर्जा का सामान्य प्रवाह तेज है तो हम “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” के द्वारा उस आवेश और उत्तेजना को नियंत्रित कर लेते हैं !
“ब्रह्मास्मि क्रिया योग” का अनुपालन करने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से शांत और गंभीर हो जाता है ! यदि आप में या आपके बच्चे में गंभीरता नहीं है तो उसे निश्चित रूप से “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना का अनुपालन करना चाहिये ! इसके आश्चर्यजनक परिणाम जल्द ही दिखाई देने लगते हैं !
अति आवेगी या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों में विशेष मंत्रों के साथ मैंने “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” का प्रभाव देखा है ! बच्चे कुछ ही समय में सामान्य बच्चों की तरह दिखाई देने लगते हैं ! यह “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की अभूतपूर्व सफलता है !
“ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना पद्धति भारतीय सनातन गुरुकुलों में अनादि काल से चली आ रही थी ! वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के कारण “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना पद्धति अब तो विलुप्त हो गई है ! यदि छात्र चाहे तो वह किसी भी उम्र का हो “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना कर निश्चित रूप से परीक्षाओं में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त कर सकता है ! ऐसा मेरा अनुभव है !