आज कंप्यूटर का युग है ! कंप्यूटर के द्वारा कृतिम बौद्धिकता के सैकड़ों आयाम प्रस्तुत किये जा रहे हैं ! ऐसी स्थिति में कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी युग में विश्व में ट्रेन और वाहनों का संचालन सफलतापूर्वक कंप्यूटर द्वारा किया जाना संभव हो सके ! साथ ही तैयारी तो यहां तक की जा रही है कि आगामी युद्ध में अब सैनिक युद्ध में नहीं लड़ेंगे बल्कि कंप्यूटर ही अपने बौद्धिक कौशल से युद्धों का संचालन करेंगे ! युद्ध नीति का निर्धारण और हथियारों का प्रयोग करेंगे !
अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि मनुष्य के लिये जटिल बौद्धिक मस्तिष्क की आवश्यकता जहां-जहां थी ! वह स्थान धीरे-धीरे कंप्यूटर लेता जा रहा है और विश्व में अनेकों प्रयोग अनेकों देशों में व्यावहारिक रूप में देखने को भी मिल रहे हैं !
ऐसी स्थिति में जब भगवान की पूजा भी अब कंप्यूटर द्वारा की जाने लगी है तब अगला प्रश्न यह खड़ा होता है कि क्या तंत्र, मंत्र, अनुष्ठान आदि भी कंप्यूटर की मदद से किया जाना संभव हो सकेगा ! इस पर थोड़ा विचार करते हैं !
किसी तंत्र, मंत्र, अनुष्ठान आदि करने के लिये तंत्र करने वाले की भाव दशा, एकाग्रता, मानसिक शक्ति, समर्पण, साधना आदि के द्वारा कोई तांत्रिक किसी पर तंत्र आदि करने में सफल हो पाता है अर्थात तंत्र करने के लिये मानव मस्तिष्क की एकाग्रता, समर्पण और सक्रियता ही एक महत्वपूर्ण आधार है !
कंप्यूटर की मदद से मन्त्रों के नाम पर कुछ विशेष स्वर में, विशेष ध्वनियों का उच्चारण तो करवाया जा सकता है लेकिन मात्र विशेष ध्वनियों के उच्चारण से तंत्र, मंत्र, अनुष्ठान आदि कभी सफल नहीं होते हैं ! इसीलिये जब कोई तंत्र, मंत्र, अनुष्ठान आदि करवाया जाता है तो ब्राह्मण का चरित्र, खानपान, आहार, व्यवहार, आदि पर भी विचार किया जाना आवश्यक है !
यदि अनुष्ठान करने वाला ब्राह्मण सात्विक प्रवृत्ति का, स्थिर बुद्धि और समर्पित व्यक्तित्व का नहीं होगा तो अनुष्ठान कभी भी सफल नहीं हो सकता है !
शायद यही वजह है कि कंप्यूटर जगत में कृतिम बौद्धिकता चाहे जितनी अधिक विकसित हो जाये लेकिन कभी भी तंत्र, मंत्र, अनुष्ठान आदि कंप्यूटर के द्वारा किया जाना संभव नहीं हो सकेगा !