Dharmik Mahtav

आखिर क्यों बजाया जाता है हिन्दू धर्म में शंख : Yogesh Mishra

वैसे तो कोरोना भागने के चक्कर में हमने देश भर में थालियाँ पीट डालीं ! कुछ उत्साही लोगों ने थालियों के साथ-साथ शंख भी बजाया ! जिसका विधर्मियों ने खूब जम के उपहास किया ! तब मेरे मन में एक विचार आया कि सनातन संस्कृति में शंख क्यों बजाया जाता …

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आधुनिक संस्कृत व्याकरण के रचयिता मात्र पाणिनि नहीं थे ! : Yogesh Mishra

आज संस्कृत भाषा के विषय में हमारे पास कई मिथ्या सूचनायें हैं ! उनमें से सब से प्रसिद्ध सूचना यह है कि संस्कृत भाषा के व्याकरणकर्ता कौन थे ? यदि कोई आप से कहे कि महर्षि पाणिनि संस्कृत के व्याकरण रचयिता है तो आप समझ सकते हैं कि वह व्यक्ति …

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सनातन शास्त्र अध्ययन अत्यंत रहस्यपूर्ण हैं : Yogesh Mishra

सनातन शास्त्रों का अध्ययन और अध्ययन उपरांत उसका मनन, चिंतन और व्याख्या यह सभी अत्यंत रहस्य पूर्ण प्रक्रिया है ! जिसे सामान्य सांसारिक बुद्धि से नहीं समझा जा सकता है क्योंकि जब व्यक्ति सांसारिक चिंतन वाला होता है ! तब उसमें आध्यात्मिक ऊर्जा को समझने का सामर्थ नहीं होता है …

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वह श्राप जिन्होंने सनातन संस्कृति का इतिहास बदल दिया ! : Yogesh Mishra

श्राप हिन्दू मान्यताओ के अनुसार यह वह नकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति है ! जिसे वर्षो की साधक द्वारा कमाया जाता तो है ! पर क्रोध में आकर दूसरे का अनिष्ट करने के लिये क्षण भर में नष्ट कर देता है ! आज के तकनीकी के लिहाज़ से देखे तो मान लीजिये …

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वेद में वर्णित आर्थिक व्यवस्था : Yogesh Mishra

वेद वह ग्रंथ है जिसमें समाज के हर छोटे-बड़े वर्ग और जीवनशैली के व्यक्तियों के लिये विस्तृत निर्देश हैं ! सामाजिक नियमों के द्वारा व्यक्ति का आर्थिक स्तर कैसे विकसित किया जाये ! इसके भी निर्देश हमारे वेदों में ऋचाओं के रूप में दिये गये हैं ! यदि हम वेदों …

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वेदों में वर्णित कौशल विकास के सिद्धान्त : Yogesh Mishra

ईश्वर के सभी आदेश वेदों में ऋचाओं के रूप में दिये गये हैं ! ऋचाओं के दृष्टा विभिन्न वैदिक ऋषि हैं ! जिन्होंने ईश्वर के स्वरूप ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं से संपर्क स्थापित कर सृष्टि के संचालन के लिये ईश्वर के निर्देश प्राप्त किये हैं और इन ईश्वरीय निर्देशों का संग्रह ही …

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विश्व धर्म का सनातन इतिहास : Yogesh Mishra

हिन्दू धर्म का इतिहास अति प्राचीन है ! इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है ! यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही थी ! जिसके द्वारा इसका इतिहास व …

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ईश्वर अपनी रक्षा स्वयं करता है ! : Yogesh Mishra

16-17 जून 2013 की मध्य रात्रि से ही निरंतर जलप्रलय के संकेत मिले थे ! लेकिन केदारनाथ धाम में भक्त भक्ति में कम और मस्ती में अधिक व्यस्त थे ! उसी का परिणाम था कि सुबह होते-होते पूरी केदारघाटी तबाह हो गई ! आपदा में मरने वालों की संख्या सरकारी …

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वेदों में श्रम व्यवस्था क्या है : Yogesh Mishra

भारतवर्ष की प्राचीन सनातन परम्परा का आदर्श तो विश्व में समाजवाद का सर्वोच्च कीर्तिमान स्थापित करता है ! व्यक्ति की उन्नति और समृद्धि को उसकी आर्थिक संपन्नता, दिखावटी भोगवादी जीवन शैली से नहीं मापा जाता ! एक स्वस्थ मानसिकता, स्वस्थ शरीर, सादा जीवन, सब से बांट कर जीना भारतीय आदर्श …

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मंदिरों में बैठने से भगवान को भी घमंड आ जाता है ! : Yogesh Mishra

भगवान कोई वी.आई.पी. नहीं जिसे मंदिरों में सुरक्षित बैठा दिया जाये ! बल्कि वह प्रकृति का एक सार्वजनिक सेवक है ! जिसका काम ईश्वर द्वारा जो जीव आत्मायें पृथ्वी पर निवास कर रही हैं ! उनके सभी का दुख दर्द को सुने और उनका समाधान करे ! जैसे कोई सामान्य …

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