Untold Facts

अपने बचत का पैसा कहां सुरक्षित रखें : Yogesh Mishra

हर व्यक्ति बहुत ही परिश्रम से पैसे कमाता है और बैंक में अकाउंट खोल कर या एफ.डी.आर. आदि के माध्यम से उस कमाये हुए पैसे का एक अंश बचाता है ! लेकिन ज्ञान के अभाव में आज व्यक्ति यह नहीं जानता है कि वह व्यक्ति बैंक में पैसे को रख …

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भक्ति धर्म का हिस्सा नहीं है : Yogesh Mishra

प्रायः यह अवधारणा है कि जो व्यक्ति भक्त होता है वह धार्मिक भी होता है लेकिन यह अवधारणा अनादि काल से अस्वीकार्य है क्योंकि प्राचीन काल में भी यह माना गया कि जिस व्यक्ति ने धर्म के लक्षणों को स्वीकार नहीं किया है वह चाहे जितनी भक्ति कर ले कभी …

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अवतारवाद का विज्ञान : Yogesh Mishra

अवतार के विषय में कोई भी चर्चा करने के पहले यह जान लेना बहुत आवश्यक है कि अवतार का वर्णन न तो वेदों में मिलता है और न ही वेदांत में ! इसी तरह अवतार का वर्णन न तो सनातन दर्शन में मिलता है और न ही उपनिषदों में ! …

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नव चिंतकों पर प्रतिबंध लगाता समाज : Yogesh Mishra

जिस तरह प्रत्येक मनुष्य के बुद्धि का अपना एक स्तर होता है ! ठीक उसी तरह समाज की सामूहिक बुद्धि का भी अपना एक स्तर होता है ! इन दोनों ही तरह के बुद्धियों को विकसित करने का एक क्रम है ! जिसकी अनिवार्य आवश्यकता समय है ! अर्थात दूसरे …

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क्या संत समाज हिंदुत्व की रक्षा करने में अक्षम है : Yogesh Mishra

आज हिंदुओं का बौद्धिक विकास आधुनिक युग के अनुक्रम में रुक सा गया है, और जो लोग विकसित हो रहे हैं, वह हिंदुस्तान ही छोड़ कर बाहर चले जाते हैं ! क्योंकि हिंदुस्तान में संत समाज का एक ऐसा संगठित गिरोह है ! जो हजारों साल पुराने नियमों को जबरजस्ती …

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परजीवी कथावाचक : Yogesh Mishra

सामान्यतया यह कहा जाता है कि अधिवक्ता और राजनीतिज्ञ सबसे अधिक झूठ बोलते हैं ! किंतु मैंने व्यवहार में देखा है कि अपना धंधा चलाने के लिए सबसे अधिक झूठ बोलने का कार्य भगवान के नाम पर कथावाचक करते हैं ! यह इनकी मजबूरी भी है क्योंकि यह लोग परजीवी …

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सनातन धर्म वितण्डावादियों के हवाले : Yogesh Mishra

सामान्य भाषा में वितण्डावाद का अर्थ निरर्थक दलील, हुज्जत करना या निराधार लड़ाई-झगड़ा करना होता है ! जिसे दूसरे शब्दों में दूसरे की बातों या तर्कों की उपेक्षा करते हुए बस अपनी बात कहते चले जाने की क्रिया को वितण्डावाद कहते हैं ! और जब स्वार्थ या भावनात्मक कारणों से …

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मात्र संस्कृत भाषा हिंदुत्व का आधार नहीं है : Yogesh Mishra

यह एक चिंतन का विषय है कि भारत अनादि काल से विभिन्न भाषा और संस्कृतियों का देश रहा है ! फिर भी सभी धर्म ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही क्यों मिलते हैं ? जबकि भारत के संदर्भ में तो यह विश्व विख्यात लोकोक्ति है कि “कोस कोस पर पानी बदले, …

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लाक्षाग्रह का सत्य : Yogesh Mishra

प्रयागराज इलाहबाद से 50 किलोमीटर दूर हंडिया के तथाकथित लाक्षागृह के निकट गंगा घाट पर बरसात के कारण टीला की मिट्टी ढह जाने के कारण करीब छह फीट चौड़ा सुरंग दिखाई देने लगी ! क्षेत्र में सुरंग की बात चर्चा में आने पर ग्रामीण वहां पहुंचने लगे ! साथ ही …

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चिंतन विहीन धर्म गुरु की तलाश : Yogesh Mishra

आज ही नहीं अनादि काल से मनुष्य बहुत अधिक चिंतन के पक्ष में नहीं रहा है ! कुछ महत्वपूर्ण संवेदनशील व्यक्तियों ने जो चिंतन किया, उसी से सनातन धर्म ग्रंथों का निर्माण हुआ है ! मानव समाज सदैव से चिंतन से कतराता रहा है और यह परंपरा आज भी चली …

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