आखिरकार ब्राह्मणों का विनाश चाहता कौन है ? गहरा रहस्य | Yogesh Mishra

1857 की शिकश्त के बाद अंग्रेजों ने यह महशूस हुआ कि यदि भारत को सदैव-सदैव के लिये गुलाम बनाना है तो भारत में ब्राह्मणों का प्रभाव ख़त्म करना होगा क्योंकि उन्होंने ही 1857 की पूरी योजना का निर्माण किया था | इसीलिये पहली प्रचिलित जनगणना 1865 से 1872 के बीच की गई जिससे यह पता चल सके कि भारत में कहाँ कितने ब्राह्मण हैं |

कितना बड़ा रहस्य है की J.H Hutton 1931 के जनगणना के कमिश्नर ने लिखा

‘‘From the outset in 1872, there was never a formal definition of the census categories for caste, race or tribe. As an example of this, in 1891, the Jats and Rajputs were recorded as castes and as tribes, although the category of tribe was not formally adopted until the 1901 census’

और ब्राह्मणों के लिए लिखा They relied heavily on elitist strictures through their interpretation of regional literature[d] and on the advice of Brahmins, who subscribed to a traditional but impractical ritual ranking system, known as varna.[7] This reliance on elites formed part of a colonial strategy to create attachment to a national identity in an arbitrarily defined, highly disparate whole.

उस समय अंग्रेजी हुकूमते धीरे धीरे अपने पैर फेला रही थी | वही दूसरी ओर कुछ ब्राह्मण ऐसे भी थे जो गुरुकुल व्यवस्था और वैदिक धर्म की पूर्ण रक्षा के लिए जीतोड़ कोशिश में लगे थे परन्तु जब अंग्रेजो की समझ आया कि यह गुरुकुल व्यवस्था भारत के स्वाभिमान और आत्मसम्मान की हड्डी है, तो उन्होंने इसे तोड़ने का मन बना लिया और अपने अनेक ब्रिटिश विद्वानों को लन्दन से बुलाया जिसमे लार्ड मेकाले, राल्फ ग्रिफिथ, जर्मन से मैक्स मूलर आदि जैसे समाज विज्ञानी थे |

उन्हें भारत बुलाया और श्री वेद आदि धर्म ग्रन्थों के अंग्रेजी अनुवाद के नाम पर उसमे छेड़छाड़ करवाई गयी हालाँकि जो मूल वैदिक वेद जो आज भी अपने मूल स्वरुप में हैं | और ब्राह्मणों व धर्म ग्रंथों की मूल भाषा संस्कृत पर शिक्षा सम्बन्धी कानून बना कर प्रतिबन्ध लगा दिया गया | और अंग्रेजी व हिन्दी अनुवाद में धर्म ग्रन्थ बदल दिये गये |

एक और जहा बड़ी तेजी से ब्रिटिश विद्वान वेदों का अनुवाद कर रहे थे | वहीँ दूसरी तरफ गुरुकुल बंद करवा कर कान्वेंट की स्थापना हो रही थी, अंग्रेजी संस्कृति को स्थापित कर वैदिक संस्कृति को मिटाया जा रहा था | क्यों की अंग्रेजो को समझ आ गया भारत की मजबूती यहाँ की संस्कृति भाषा में है जिसका प्रभाव ब्राह्मणों को नष्ट किये बिना नष्ट नहीं किया जा सकता था क्योंकि मात्र ब्राह्मणों को ही सभी धर्म ग्रन्थ रेट होते थे जिससे वह कभी भी अपने मौलिक धर्म ग्रन्थों में संशोधन कर सकते थे |

अंग्रेजी कानून, कारावास, संघर्ष, और आर्थिक कारणों से आजाद भारत में आते आते कुछ ब्राह्मण अपने मूल कर्म से विमुख हुए तो कुछ लन्दन के ब्रिटिश ऑफिस में कार्य करते नजर आने लगे | मुग़ल काल के संघर्ष से ब्राह्मण उभर आये क्योंकि अधिकांश ब्राह्मणों ने इस्लामिक पद्दति और उसका अनुसरण नहीं किया परन्तु अंग्रेजी हुकूमत में आर्थिक कारणों से ब्राह्मणों की बहुत बड़ी संख्या में सरकारी विभागों में नौकरी करते पाए गये वहीं भी सर्विस रुल बना कर उन्हें सनातन संस्कृति से अलग रखा गया |

ब्राह्मणों को नष्ट करने के लिये अम्बेडकर जैसों को भड़का कर भारत के संविधान में आरक्षण जैसी व्यवस्था लागू करवाई गई जिससे भविष्य में भी भारत का विकास न हो सके |

लेकिन शायद देश की तथाकथित आज़ादी के बाद देश के नेता यह भूल गये कि ब्राह्मण कभी शस्त्र उठाकर युद्ध नहीं करता, उसका हथियार उसका क्रोध है। क्रोध के द्वारा ब्राह्मण वैसा ही विनाश करता है, जैसा विनाश असुरों का इंद्र करते हैं।

अब ब्राह्मणों को समझना होगा, युवा ब्राह्मणों को जागना होगा अगर वह आज नहीं संभले तो कल कही के नहीं रहेंगे | जरा सोचिये आप किस कुल में जन्मे हैं, उसका महत्व क्या है, उसका सम्मान क्या है और क्या ये जन्म फिर से मिलेगा| बेशक आप बड़े डॉक्टर, इंजिनियर, सीए बन जाओगे परन्तु अगर भगवान को मानते हो तो ये याद रखना उसी इश्वर ने आपको ब्राह्मण की डिग्री दी है | आपकी यह जिम्मेदारी है कि धर्म की रक्षा और ज्ञान की रक्षा करें | आप अपने उस कर्त्तव्य से पीछे नहीं हट सकते|

इतिहास गवाह है कि यूपी में वोटों के लिहाज से करीब 11 प्रतिशत ब्राह्मणों ने जिस राजनीतिक दल के पक्ष में माहौल बनाया, वही सत्ता पर काबिज हुआ। वास्तव में ब्राह्मणों की ताकत सिर्फ 11 फीसदी वोट तक सीमित नहीं है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, ब्राह्मण राजनीतिक हवा बनाने में सक्षम हैं।

लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों ने बीजेपी के लिए माहौल बनाया, तो यूपी में बीजेपी की लोकसभा सीटों की संख्या 10 से बढ़कर 71 पर पहुंच गई। यही वजह है कि राजनीतिक दल कोई भी हो, उसका वोट बैंक किसी जाति का हो, पर वो ब्राह्मणों को नाराज नहीं करना चाहता। क्योंकि दलों को यह पता है कि चुनावों में किस पार्टी के पक्ष में कैसे माहौल बनेगा, यह ब्राह्मण वोटर ही तय करते हैं ।

आज भी पूरे देश में ब्राह्मणों की जनसंख्या किस राज्य में कितनी है यह नीचे दे रहा हूँ | जो सीधे-सीधे भारत की दिशा और दशा निर्धारित करेगी |

1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख विस्थापित

2) पंजाब : 9 लाख ब्राह्मण

3) हरियाणा : 14 लाख ब्राह्मण

4) राजस्थान : 40 लाख ब्राह्मण

5) गुजरात : 40 लाख ब्राह्मण

6) महाराष्ट्र : 45 लाख ब्राह्मण

7) गोवा : 5 लाख ब्राह्मण

8) कर्णाटक : 45 लाख ब्राह्मण

9) केरल : 12 लाख ब्राह्मण

10) तमिलनाडु : 36 लाख ब्राह्मण

11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख ब्राह्मण

12) छत्तीसगढ़ : 10 लाख ब्राह्मण

13) उड़ीसा : 20 लाख ब्राह्मण

14) झारखण्ड : 12 लाख ब्राह्मण

15) बिहार : 40 लाख ब्राह्मण

16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख ब्राह्मण

17) मध्य प्रदेश : 25 लाख ब्राह्मण

18) उत्तर प्रदेश : 65 लाख ब्राह्मण

19) उत्तराखंड : 20 लाख ब्राह्मण

20) हिमाचल : 20 लाख ब्राह्मण

21) सिक्किम : 10 हजार ब्राह्मण

22) असम : 2 लाख ब्राह्मण

23) मिजोरम : 10 हजार ब्राह्मण

24) अरुणाचल : ब्राह्मण

25) नागालैंड : 1लाख ब्राह्मण

26) मणिपुर : 49 हजार ब्राह्मण

27) मेघालय : 20 हजार ब्राह्मण

28) त्रिपुरा : 30 हजार ब्राह्मण

अब ब्राह्मणों का वर्चस्व भी देख लीजिये.

सबसे ज्यादा ब्राह्मण वाला राज्य: उत्तर प्रदेश

सबसे कम ब्राह्मण वाला राज्य : सिक्किम

सबसे ज्यादा ब्राह्मणों का राजनैतिक वर्चस्व : पश्चिम बंगाल

सबसे ज्यादा ब्राह्मण प्रतिशत वाला राज्य : उत्तराखंड में जनसंख्या के 20% ब्राह्मण

अत्यधिक साक्षर ब्राह्मण राज्य :केरल और हिमाचल

सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्थिति में ब्राह्मण : असम

सबसे ज्यादा ब्राह्मण मुख्यमंत्री वाला राज्य : राजस्थान

सबसे ज्यादा ब्राह्मण विधायक वाला राज्य : उत्तर प्रदेश

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भारत लोकसभा में ब्राह्मण : 55%

भारत राज्यसभा में ब्राह्मण : 47 %

भारत में ब्राह्मण राज्यपाल : 60 %

भारत में ब्राह्मण कैबिनेट सचिव : 90 %

भारत में मंत्री सचिव में ब्राह्मण : 85%

भारत में अतिरिक्त सचिव ब्राह्मण : 79%

भारत में पर्सनल सचिव ब्राह्मण : 88%

यूनिवर्सिटी में ब्राह्मण वाईस चांसलर : 89%

सुप्रीम कोर्ट में ब्राह्मण जज: 70%

हाई कोर्ट में ब्राह्मण जज : 60 %

भारतीय राजदूत ब्राह्मण : 73%

पब्लिक अंडरटेकिंग ब्राह्मण :केंद्रीय : 87%

राज्य : 87%

बैंकों में ब्राह्मण अधिकारी : 67%

एयरलाइन्स में ब्राह्मण : 69 %

IAS ब्राह्मण : 79%

IPS ब्राह्मण : 67%

टीवी कलाकार एव बॉलीवुड : 83%

BCCI(भारतीय क्रिकेट काउंसिल ओफ इंडिया) :74%

CBI Custom ब्राह्मण 72%

सभी संख्या की गिनती की जाए तो 3% ब्राह्मणों का न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका, मीडिया और अन्य सभी डेमोक्रेटिक इंस्टिट्यूटों पर ब्राह्मणों का 79% वर्चस्व स्थापित है.

ब्राह्मण समय के अनुसार जितना अपने आप को बदलने में सक्षम होता है उतना ही देश की दशा और दिशा भी बदलने में सक्षम है | इसलिये आरक्षण की राजनीति करने वालों सावधान हो जाओ तुम्हारा राजनीतिक पतन सुनिश्चित है |

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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