कोरोना और कालजयी भगवान शिव की साधना : Yogesh Mishra

करो ना की दूसरी लहर से व्यथित जब पूरा भारत त्राहि-त्राहि कर रहा था ! तब एक दिन राहुल द्विवेदी का बनारस से मेरे पास फोन आया और कहा गुरुजी मैं तो अघोर शमशान साधना करता हूं ! शमशान पर ही रहता हूं ! यहां जो लाशों का अंबार लगा है ! उसे देख कर मेरा मन अब व्यतीत हो रहा है ! कुछ मार्ग दिखाइये मैंने उसे सोमवार वैसाख कृष्ण पक्ष त्रियोदशी की रात्रि से एक साधना करने के लिये कहा और पूरी दुनिया के लिये यह आश्चर्य होगा कि राहुल द्विवेदी के उस साधना को आरंभ करते ही भारत में क रोना संक्रमण का ग्राफ गिरना शुरू हो गया ! यह है महाकाल भगवान शिव की मानवता पर कृपा !

राहुल द्विवेदी जो वर्तमान में बनारस के मणिकर्णिका घाट पर रहते हैं और अघोर साधना कर रहे हैं ! यह वास्तव में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं ! जो कालपी के रहने वाले हैं ! इनके पूर्वज कभी ओरछा के राजा जुझार सिंह के राजपुरोहित हुआ करते थे !

किन्तु जब राजा जुझार सिंह ने गलत सूचना के आधार पर अपने छोटे भाई हरदौल की अपने पत्नी के हाथों से जहर दिलवा कर उसकी हत्या करवा दी, तब से पूरे बुंदेलखंड में राजा जुझार सिंह के अपयश ने उन्हें ही नहीं बल्कि उनके राज्य के हर महत्वपूर्ण व्यक्ति को कलंकित कर दिया ! उस घटना के कुछ ही समय बाद राहुल द्विवेदी के पूर्वज ओरछा छोड़कर कालपी में स्थाई रूप से आकर बस गये !

राहुल द्विवेदी कान्यकुब्ज ब्राहमण हैं ! शांडिल्य गोत्र है ! इसने कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में m-tech किया है और रूस के एक पावर ग्रिड में नौकरी करता था !

वर्ष 2014 में इसने इंटरनेट के माध्यम से मेरे तंत्र पर लिखे हुए एक लेख को पढ़ा और मुझे रूस से फोन किया और तंत्र का उपहास उड़ाया, मैंने धैर्य से इसके उपहास के पूर्ण तर्कों को सुना और इसको सुझाव दिया कि जब भारत आना तो एक बार व्यक्तिगत मिलना, हो सकता है मैं तुम्हारे शंका का समाधान कर सकूं !

उसके लगभग 8 महीने बाद यह भारत आया और लखनऊ स्थित मेरे आवास पर हमसे मिला ! फिर तंत्र पर चर्चा शुरू की जिसमें बार-बार वार्ता के दौरान इसका मोबाइल बज रहा था ! जो वार्ता को डिस्टर्ब कर रहा था ! मेरे द्वारा मोबाइल बंद करने का आग्रह किये जाने पर इसने यह कहकर मोबाइल बंद नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोई भी महत्वपूर्ण फोन आ सकता है ! इसने अपना फोन वाइब्रेशन पर लगा दिया !

फिर 3 घंटे की पूरी वार्ता में इसका मोबाइल फोन नहीं बजा और काफी तर्क, वितर्क, कुतर्क के बाद राहुल द्विवेदी ने यह मान लिया कि हो सकता है कि तंत्र की अपनी अलग दुनिया हो लेकिन जब तक मैं उस दुनिया का अनुभव नहीं करूंगा, तब तक मैं आपके किसी भी तर्क को मानने के लिये तैयार नहीं हूं !

इसके बाद उसने जब अपने मोबाइल फोन को वाइब्रेशन से हटाया, तभी अचानक उसके पिताजी का फोन आया और वह डांटते हुये बोले कि “फोन कहां रखते हो 2 घंटे से लगा रहा हूं ! बराबर नॉट रीचेबल जा रहा है ! मैं मुस्कुरा दिया और वह मेरी मुस्कराहट देखता रहा ! यह उसके जीवन में तकनीकी पर तंत्र का पहला प्रयोग था ! जो उसने अनुभव किया था !

मैं वैसे सामान्यतय: तो किसी से बहुत लंबी बात नहीं करता हूँ, लेकिन राहुल द्विवेदी की शिक्षा, उत्सुकता और बौद्धिक स्तर को देखकर मेरे मन में यह विचार आया कि इसे तंत्र के क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिये ! मैंने कुछ बहुत छोटी-छोटी साधनायें राहुल द्विवेदी को बतलायी और कहा भगवान शिव की नगरी काशी में शमशान पर यह साधना करनी पड़ेगी ! यदि तुम्हारी रूचि और सामर्थ्य हो तो तुम इन साधनाओं को करो और इसके परिणाम देखो !

इस तरह राहुल द्विवेदी बनारस चला गया ! फिर मेरे संपर्क में नहीं रहा ! लगभग 3 वर्ष बाद अचानक उसका एक दिन फोन आया ! अब उसकी आवाज में गंभीरता थी ! वह एक परिपक्व व्यक्ति की तरह वार्ता कर रहा था !

उसने मुझे यह बतलाया कि आप के दिखाये हुये मार्ग पर मैंने अनिच्छा और अविश्वास के साथ साधना शुरू की किंतु पहले ही रात में मेरे साथ चमत्कार हो गया ! मुझे यहां पर मार्गदर्शन के लिये एक काल बाबा मिले ! वह कहां रहते हैं, यह तो मुझे आज तक स्थाई रूप से नहीं पता चला लेकिन उन्होंने साधना में मेरे द्वारा होने वाली छोटी-छोटी गलतियों को मुझे बतलाया और मैंने तंत्र के चमत्कार को देखा है !

अब मैं काफी लंबे समय से साधना कर रहा हूं और मुझे बहुत से ऐसे चमत्कारों की अनुभूति हो रही है, जो सामान्य जीवन में किसी व्यक्ति को नहीं हो सकती है ! अब मुझे तंत्र के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिये गुरुजी अपना आशीर्वाद दीजिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद और इसके बाद मेरी भी अंदर से वार्ता करने की इच्छा नहीं हुई इसलिये इस संक्षिप्त वार्ता के उपरांत मैने फोन काट दिया !

अब कभी कभी राहुल दुबेदी जी का अलग-अलग नंबरों से फोन आता रहता है ! अपने अनुभव और साधनों की अनुभूतियां का वर्णन करता रहता है और फेसबुक पर वह सक्रिय रूप से मुझसे जुड़ा है !

आज से लगभग 10 दिन पहले अचानक एक दिन राहुल द्विवेदी का मेरे पास फोन आया और का रोना से मरने वाले व्यक्तियों को लेकर उसने मुझसे बहुत सारे प्रश्न किये और आग्रह किया कि कुछ ऐसी साधना बतलाइये कि जिससे क रोना की समस्या का समाधान हो सके ! मैंने उसे कालजयी तंत्र साधना के विषय में बतलाया !

और उसने यह साधना सोमवार वैसाख कृष्ण पक्ष त्रियोदशी की रात्रि से आरंभिक की है ! आप देख रहे होंगे कि पूरी दुनिया में अब क रोना का प्रकोप कमजोर होना शुरू हो गया है ! ईश्वर करे राहुल द्विवेदी की यह साधना अपने अंतिम चरण तक पूर्ण हो और इस महामारी से मानवता को जल्दी ही मुक्ति मिले ! यही मेरी अपेक्षा है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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