क्या हिटलर को परमाणु बम तकनीकी एलियंस ने दी थी ! : Yogesh Mishra

हिटलर ने परमाणु बम के निर्माण की तकनीकी शंग्रीला घाटी के एक प्रमुख रहस्यमय जाति जो अलौकिक शक्तियों से संपन्न थी ! उसकी मदद से अन्तरिक्ष निवासी एलियंस से प्राप्त हुयी थी ! जिसे जर्मन के हराने के बाद एक गुप्त समझौते के तहत अमेरिका ने हिटलर से प्राप्त कर लिया था !

दरअसल हिटलर 1945 में बर्लिन स्थित भूमिगत बंकर में मरा नहीं था बल्कि वह अमेरिका से हुये एक गुप्त समझौते के तहत ईवा ब्राउन को लेकर दक्षिण अमेरिकी के अर्जेंटीना में अपने कुछ विश्वसनीय साथियों के साथ चला गया था ! जहां जहां 94 साल की उम्र में 1984 में उसकी स्वाभाविक मृत्यु हुयी थी !

इसकी पुष्ठि अमेरिका के गुप्तचर विभाग के वर्ष 2014 में जारी किये गये दस्तावेज़ भी करते हैं ! हिटलर पहले पनडुब्बी से अर्जेंटीना पहुंचा और फिर वहां से वह पराग्वे गया ! बाद में हिटलर ब्राजील के माटो ग्रोसो राज्य में रहने लगा !

हुआ यह कि जर्मन की हार के साथ जब हिटलर ने अमेरिका के साथ किये गये एक गुप्त समझौते के तहत जर्मन से अर्जेंटीना पनडुब्बी के माध्यम से यात्रा की और उसने वर्ष 1984 तक अर्जेंटीना में अपनी पत्नी के साथ जीवित अमेरिका के संरक्षण में जीवित रहा !

इसके बदले में हिटलर ने एलियंस द्वारा प्राप्त अपने युद्ध की समस्त तकनीक वैज्ञानिकों सहित अमेरिका को दे दिया था ! उसी का परिणाम था कि अमेरिका ने अति शीघ्र मात्र 3 महीने के अंदर परमाणु बम का आविष्कार कर जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर फेंक कर जापान को भी आत्मसमर्पण करने के लिये मजबूर कर दिया था और उसे विश्व की महाशक्ति माना जाने लगा !

अमेरिका के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इस घटना के कई सालों के रिसर्च के बाद यह पता लगाया कि ‘ओरायन’ एक ऐसा नक्षत्र है जिसका हमारी धरती से कोई गहरा संबंध है ! भारतीय, मिस्र, मेसोपोटामिया, माया, ग्रीक और इंका आदि सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं और तराशे गये पत्थरों पर अंकित चित्रों में इस ‘नक्षत्र’ संबंधी जो जानकारी है ! वह आश्चर्यजनक ढंग से एक समान है ! वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारे पूर्वज या कहें कि हमें दिशा-निर्देश देने वाले लोग ‘ओरायन’ नक्षत्र से आये थे ! भारत में ओरायन नक्षत्र को कालपुरुष नक्षत्र कहते हैं, जो मृगशिरा से मिलता-जुलता है !

हमारी धरती से 1,500 प्रकाशवर्ष दूर ‘ओरायन’ तारामंडल में वैसे तो दर्जनों तारे हैं लेकिन प्रमुख 7 तारे हैं ! इस तारामंडल में 3 तेजी से चमकने वाले तारे एक सीधी लकीर में हैं जिसे ‘शिकारी का कमरबंद’ (ओरायन की बेल्ट) कहा जाता है ! 7 मुख्य तारे इस प्रकार हैं- आद्रा (बीटलजूस), राजन्य (राइजॅल), बॅलाट्रिक्स, मिन्ताक, ऍप्सिलन ओरायोनिस, जेटा ओरायोनिस, कापा ओरायोनिस ! इनमें आद्रा, राजन्य और बॅलाट्रिक्स तारे सबसे कांतिमय और विशालकाय हैं, जो धरती से स्पष्ट दिखाई देते हैं !

सन् 2010 में खबर आई थी कि 1948 के बाद सुदूर अंतरिक्ष में रहने वाले एलियंस अमेरिका और ब्रिटेन के परमाणु मिसाइल वाले स्थलों पर कई बार मंडराये थे ! अमेरिकी वायुसेना के पूर्व जवानों के एक दल का दावा है कि ब्रिटेन के सफोल्क परमाणु स्थल पर वह उतरे भी थे ! इन अधिकारियों ने अज्ञात उड़नतश्तरियों (यूएफओ) से जुड़े अपने अनुभवों को सार्वजनिक करने की घोषणा भी की थी ! अमेरिकी वायुसेना के पूर्व अधिकारी कैप्टन रॉबर्ट सलास ने बताया कि हम अनजान उड़नतश्तरियों के बारे में बातें कर रहे हैं ! हम इन्हें अकसर यूएफओ के नाम से जानते हैं !

‘डेली मेल’ ने उनके हवाले से लिखा कि अमेरिकी वायुसेना अज्ञात उड़नतश्तरियों के परमाणु स्थलों पर मंडराने और इससे जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर झूठ बोल रही हैं, लेकिन हम इसे साबित कर सकते हैं ! इस पूर्व अधिकारी ने कहा कि उन्हें इन घटनाओं का सबसे पहला अनुभव 16 मार्च 1967 को मोंटाना के माल्मस्ट्रोम एयरफोर्स बेस पर हुआ !

उन्होंने कहा कि मैं उस वक्त ड्यूटी पर था, जब एक वस्तु स्थल के ऊपर आई और मंडराने लगी ! मिसाइलों ने काम करना बंद कर दिया और ऐसा एक हफ्ते बाद एक अन्य परमाणु स्थल पर भी हुआ ! एक और अधिकारी कर्नल चार्ल्स हाल्ट ने कहा कि उन्होंने इप्सविच के करीब आरएएफ बेंटवाटर्स में एक यूएफओ को देखा था ! यह ब्रिटेन के उन चुनिंदा स्थलों में है, जहां परमाणु हथियार हैं !

नासा के एक वैज्ञानिक ने अनुमान जताया है कि हो सकता है कि एलियंस धरती पर आए हों लेकिन हमें पता न चला हो ! नासा के कम्प्यूटर साइंटिस्ट और प्रोफेसर सिल्वानो पी. कोलंबो ने एक रिसर्च पेपर में ऐसा दावा किया है कि हो सकता है कि एलियंस की संरचना परंपरागत कार्बन संरचना पर आधारित न हो इसलिए हमें इनका पता न चल पाया हो ! सिल्वानो ने कहा कि एलियंस संभवत: इंसानों की कल्पना से बिलकुल अलग दिखते हों !

भारत में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक गुफा में 10 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र मिले हैं ! नासा और भारतीय आर्कियोलॉजिकल की इस खोज ने भारत के पूर्वजों का एलियंस से संपर्क होने की बात पुख्ता कर दी है ! यहां मिले शैलचित्रों में स्पष्ट रूप से एक उड़नतश्तरी बनी हुई है ! साथ ही इस तश्तरी से निकलने वाले एलियंस का चित्र भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ! जो आम मानव को एक अजीब छड़ी द्वारा निर्देश दे रहा है ! इस एलियंस ने अपने सिर पर हेलमेट जैसा भी कुछ पहन रखा है जिस पर कुछ एंटीना लगे हैं !

वैज्ञानिक कहते हैं कि 10 हजार वर्ष पूर्व बनाए गये ये चित्र स्पष्ट करते हैं कि यहां एलियन आए थे, जो तकनीकी के मामले में हमसे कम से कम 10 हजार वर्ष आगे हैं ही ! दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं के चित्रों में ऐसे चित्र भी मिलते हैं जिसमें एक अंतरिक्ष यान के साथ एक अजीब-सा मानव दर्शाया गया है !

उसी के बाद हुये राम रावण युद्ध, महाभारत में परमाणु हथियारों का खूब प्रयोग हुआ था ! इसके दर्जनों प्रमाण मिलते हैं ! किन्तु महाभारत युद्ध के सर्वनाश के बाद पृथ्वी के महान ऋषिगण कुबेर की अदृश्य राजधानी “शंग्रीला घाटी” चले गये जहाँ उनका सम्पर्क निरंतर एलियंस से बना रहा ! जिसकी खोज हिटलर ने की और “शंग्रीला घाटी” के ऋषिगण की मदद से उसने पुनः एलियंस से बनाया और उनसे परमाणु बम की तकनीकी ली ! जिसे बाद को हिटलर से अमेरिका ने प्राप्त कर लिया था !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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