क्या हनुमान जी शंग्रीला घाटी से ही संजीवनी बूटी लाये थे ! : Yogesh Mishra

पृथ्वी के वायु मंडल में बहुत से ऐसे स्थान हैं, जहां वायु शून्य रहती है ! ठीक उसी तरह धरती पर भी ऐसे अनेक स्थान है जो कि भू-हीनता के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं ! भू हीनता और वायु शून्यता वाले स्थान वायुमंडल के चौथे आयाम से प्रभावित होते हैं ! यह वह स्थान होते हैं ! जहां कोई वस्तु या व्यक्ति चला जाये तो इस तीन आयाम वाले स्थूल जगत में उसका अस्तित्व लुप्त हो जाता है ! यानी वह वस्तु इस दुनिया से गायब हो जाती है !

इसीलिये शंग्रीला घाटी भी भू हीनता और चौथे आयाम से प्रभावित होने के कारण रहस्यमयी बनी हुई है ! इस घाटी को किसी तकनीकी की सहायता से भी देखना असंभव है ! मान्यता है कि इस घाटी का संबंध अंतरिक्ष के किसी लोक से भी है !

शंग्रीला घाटी के बारे में एक प्राचीन किताब ‘काल विज्ञान’ में उल्लेख मिलता है ! तिब्बती भाषा में लिखी यह किताब तवांग मठ के पुस्तकालय में आज भी मौजूद है ! पुस्तक में वर्णित है कि इस दुनियां की हर चीज़ तीन आयाम वाली दुनिया से बंधी हुई है !

लेकिन शंग्रीला घाटी में चौथा आयाम भी उपस्थित होने के कारण वहां काल नगण्य है ! इसीलिये वहां प्राण, मन और विचार की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है ! शारीरिक क्षमता और मानसिक चेतना का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाती है !

वहां मनुष्य ही नहीं हर वस्तु की आयु भी बहुत अति धीमी गति से बढ़ती है ! मान लिया जाये कि किसी व्यक्ति ने इस घाटी के क्षेत्र में 25 वर्ष की उम्र में प्रवेश किया है तो उसका शरीर लंबे समय तक युवा बना रहेगा ! इसीलिये यह घाटी स्वर्ग तो नहीं लेकिन स्वर्ग जैसी ही है !

इसी तरह वरमुडा त्रिभुज भी ठीक शंग्रीला घाटी की तरह ही है ! यह वह स्थान है जो समुद्र में जहां पानी का जहाज या उसके ऊपर आकाश में हवाई जहाज पहुंच जाये तो वह प्रायः गायब हो जाते हैं !

एक तिब्बती लामा लोनछन तुलका रिनपोछे शंग्रीला घाटी के खोज में वहाँ पहुँच गये थे ! उनका कथन है कि शंग्रीला घाटी धरती की ऐसी जगह जहाँ महामुनि आज भी तपस्या में लीन हैं !

शंग्रीला घाटी के बारे में हम सबने कही न कही सुना ही होगा ! कुछ लोगो के अनुसार यही सिद्धाश्रम है तो कुछ लोग मानते हैं कि धरती पर वह चौथे आयाम की एक कड़ी है ! हमने कई बार सुना है कि हिमालय में आज भी एक ऐसी जगह है जो आमजन से बिलकुल परे है और सामान्य इंसान वहां तक पहुँच नहीं सकता है ! सिर्फ दो तत्वों को त्याग देने के बाद मात्र तीन तत्वों से युक्त व्यक्ति या कोई सिद्ध योगी ही वहां तक पहुँच सकता है !

बहुत कम लोग जानते हैं मगर यह सच है कि जिन लोगो ने “काल विज्ञान” पुस्तक में इसका अनुभव किया है उनके अनुसार शंग्रीला घाटी धरती पर वह स्वर्ग है जहा पर उम्र थम जाती है ! जहाँ पर आज भी उच्च श्रेणी के संत तपस्या रत हैं !”

वहाँ पर आज भी सभी दिव्य जड़ी बूटियां विद्यमान हैं ! प्राचीन काल में जब लक्ष्मण मूर्छित हो गये थे ! तब रावण के राज वैध्य के निर्देश पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने गये थे ! जहाँ से वह बूटी लानी थी ! वह क्षेत्र भी शंग्रीला घाटी का ही एक भाग है ! इस हिसाब से अनुमान लगा सकते है कि यह हिमालय का ही एक भाग है जो वर्तमान में तिब्बत और भारत की सीमा पर है ! जहाँ कभी कुबेर कि राजधानी हुआ करती थी ! जिसका निर्माण देव विश्वकर्मा ने किया था !

इसीलिये इस पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक केंद्र यदि कोई है तो वह शंग्रीला घाटी ही है ! जो तिब्बत और लेह की सीमा पर स्थित है ! किन्तु चौथे आयाम के प्रभाव के कारण सामान्य मनुष्य को दिखती नहीं है !
लेकिन उसके अति चुम्बकीय क्षेत्र का प्रमाण यह है कि यहाँ से हवाई जहाज भी बच कर निकलते हैं ! वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पहाड़ी में चुंबकीय शक्ति है जो गाड़ियों को करीब 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से खींच लेती है !

इस साम्राज्य की संरचना ही अलग है ! यहाँ के अलग रंगों वाले पहाड़, पल-पल मिजाज बदलते मौसम और ध्वनि से लेकर रंग तक बदलती महान सिंधु नदी के अलावा जो अनेक चमत्कार बिखरे पड़े हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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