सबके ईश्वर सबकी मदद एक जैसी ही करते हैं ! Yogesh Mishra

ईश्वर क्योंकि मानवीय समझ का विषय है, इसलिए जिस व्यक्ति की समझ जिस तरह से, इतनी विकसित होती है उसका ईश्वर उस तरह का होता है ! मतलब मेरे कहने का तात्पर्य है कि यदि कोई ईसाई व्यक्ति ईश्वर के दर्शन करता है तो उसका ईश्वर जीसस क्राइस्ट की तरह होगा और यदि कोई कृष्ण भक्त ईश्वर का दर्शन करता है तो उसका ईश्वर भगवान श्री कृष्ण की तरह होगा !

इसी तरह यदि कोई श्मशान साधना करने वाला व्यक्ति है, तो उस व्यक्ति का ईश्वर शमशान के परिवेश के अनुरूप होगा अर्थात जिस व्यक्ति का, जिस परिवेश में, जिस स्तर का चिंतन होता है ! उस व्यक्ति का ईश्वर वैसा ही होता है !

लेकिन इसके बाद भी सभी के ईश्वर में एक समानता होती है ! वह यह कि सबके ईश्वर उस व्यक्ति की मदद करते हैं ! उसे भय और कष्ट से छुटकारा देते हैं और साहस के साथ संघर्ष में लड़ने का मादता देते हैं ! इसीलये ईश्वर को अनेक रूपों में पूजा जाता है ! कोई ईश्वर की आराधना मूर्ति रूप में करता है, कोई अग्नि रूप में तो कोई निराकार ! परमात्मा के बारे में सभी की अवधारणाएं भिन्न हैं, लेकिन ईश्वर व्यक्ति के हृदय में ऊर्जा रूप में बसा है ! जैसे दही मथने से मक्खन निकलता है, उसी तरह मन की गहराई में बार-बार गोते लगाने से स्वयं की प्राप्ति का एहसास होता है और जब व्यक्ति अहं, घृणा, क्रोध, मद, लोभ, द्वेष जैसे भावों से मन विरक्त हो पाता है ! तब उसका इंसान के भीतर बसे ईश्वर से साक्षात्कार होता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है !

दुनिया का इतिहास ऐसे असंख्य लोगों से भरा पड़ा है, जिन्होंने विकट परिस्थिति और संकटों के बावजूद महान सफलता हासिल की और स्वयं में उस परमात्मा को पा लिया ! कई बार व्यक्ति नासमझी के कारण छोटी-सी बात पर राई का पहाड़ बना लेता है, लेकिन यह विवेक ही है, जो गहनता से विचार करने के बाद किए गए कार्य में सफलता दिलाता है !

विवेक का अर्थ है- चिंतन और अनुभव पर आधारित सूझ-बूझ ! विवेक ऐसा प्रकाश है, जो भय, भ्रम, संशय, चिंता जैसे अंधकार को दूर कर व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, इसीलिए चिंतन के महत्व को समझकर व्यक्ति को अपने अंदर सत्य की खोज करनी चाहिए ! इसी सन्दर्भ में प्लैटो ने कहा कि “स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेना सबसे श्रेष्ठ और महानतम विजय होती है !”

अनेक संतपुरुषों की गतिविधियों को देखा तो लगा कि किस तरह सत्य व्यक्ति का निर्माण करता है और अकल्पनीय तृप्ति प्रदान करता है ! जीवन में सत्य का आचरण व्यक्ति को विनम्र बनाता है ! जीवन में सत्य और प्रेम आने से घृणा और भय दूर हो जाते हैं ! सत्य और प्रेम का होना साधना के समान होता है, जिसमें धैर्य, साहस और संयम की आवश्यकता होती है ! जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए इन गुणों की जरूरत होती है !

मैंने अपने जीवन में अनेक संतों, आचार्यों एवं महापुरुषों का सान्निध्य पाया, मैंने अनुभव किया कि उनका विशिष्ट व्यक्तित्व इन्हीं मूल्यों का समवाय है जो अहं से मुक्त हैं, पारदर्शी एवं स्वच्छ हैं ! वह लोग ईश्वर के निकट हैं ! और यह अन्तः मन की ईश्वर रूपी ऊर्जा उस व्यक्ति की ऐसी-ऐसी मदद कर देती है जिसकी सामान्य व्यक्ति कल्पना भी नहीं कर सकता है ! इससे सिद्ध होता है कि सभी व्यक्ति के ईश्वर अलग-अलग हैं लेकिन सभी ईश्वर सबकी मदद एक जैसे ही करते हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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