विदेश यात्रा या विदेश-निवास के कुंडली में योग | Yogesh Mishra

आज से लगभग सौ-सवा सौ वर्ष पूर्व जिस विदेश वास या विदेश यात्रा को अभिषप्त समझा जाता था, वर्तमान समय में उसी विदेश यात्रा या विदेश-वास को लेकर जातक अधिक उत्साहित होकर प्रश्न करते हैं ! मेरी कुण्डली में विदेश वास का योग है? या फिर कम-से-कम विदेश यात्रा का तो होगा ही ! इस का कारण यह है कि विदेश वास या यात्रा को लेकर सामाजिक दृष्टिकोण पूर्णतया बदल गया है !

आज-कल विदेश-यात्रा और विदेशों में काम करने को एक सुअवसर के रूप में देखा जाता है ! अधिकांश लोग विदेशों से जुड़कर कार्य करना चाहते हैं, तो कुछ विदेश यात्रा को केवल आनंद या एक नये अनुभव के लिए करना चाहते हैं ! ज्योतिषीय दृष्टिकोण में देखें तो हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रह-योग ही हमारे जीवन में विदेश से जुड़कर काम करने या विदेश यात्रा का योग बनाते हैं !

जन्मकुंडली में बारहवे भाव का सम्बन्ध विदेश और विदेश यात्रा से देखा जाता है, इसलिए दुःख भाव होने पर भी आज के समय में कुंडली के बारहवे भाव को एक सुअवसर के रूप में देखा जाता है !

ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को विदेश-यात्रा का नैसर्गिक कारक माना गया है ! कुंडली का दशम भाव हमारी आजीविका को दर्शाता है, तथा शनि मुख्यत: नौकरी से आजीविका का नैसर्गिक कारक होता है, अतः विदेश-यात्रा के लिये कुंडली का बारहवां भाव, चन्द्रमा दशम भाव और शनि का विशेष विचार करना चाहिए !

विदेश वास या यात्रा के योग :-

1. यदि चन्द्रमा कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो तो, विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग होता है !

2. चन्द्रमा यदि कुंडली के छटे भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है !

3. चन्द्रमा यदि दशम् भाव में हो, या दसवें भाव पर चन्द्रमां की दृष्टि हो तो, विदेश यात्रा का योग बनता है !

4. चन्द्रमा यदि सप्तम भाव या लग्न में हो, तो भी विदेश से जुड़कर व्यापार का योग बनता है !

5. शनि आजीविका का कारक है अतः कुंडली में शनि और चन्द्रमा का योग भी विदेश यात्रा या विदेश में आजीविका का योग बनाता है !

6. यदि कुंडली में दशमेश बारहवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो, भी विदेश में या विदेश से जुड़कर काम करने का योग होता है !

7. यदि भाग्येश बारहवें भाव में, और बारहवे भाव का स्वामी भाग्य स्थान (नवम भाव) में हो तो, भी विदेश यात्रा का योग बनता है !

8. यदि लग्नेश बारहवें भाव में, और बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो तो, भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !

9. कभी कभी भाग्य स्थान में बैठा राहु भी विदेश यात्रा का योग बनाता है !

10. यदि सप्तमेश बारहवे भाव में हो, और बारहवें भाव का स्वामी सातवें भाव में हो, तो भी विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर व्यापार करने का योग बनता है !

इस प्रकार उपरोक्त कुछ विशेष ग्रह-योग कुंडली में होने पर व्यक्ति को विदेश यात्रा का अवसर मिलता है !

विदेश जाने में बाधायें :–

1. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा पाप ग्रहों से पीड़ित हो, नीच राशि में बैठा हो, अमावस्या का हो, या किसी अन्य प्रकार से बहुत पीड़ित हो, तो ऐसे में विदेश जाने में बहुत बाधायें आती हैं, और विदेश जाकर भी कोई लाभ नहीं मिल पाता !

2. यदि कुंडली के आठवें भाव में पाप ग्रह हों, या कोई पाप योग बना हो तो, इससे विदेश जाने में बाधायें आती हैं, और विदेश जाने पर भी संतोष जनक सफलता नहीं मिलती है !

3. यदि कुंडली के बारहवें भाव में भी कोई पाप योग बन रहा हो, तो यह भी विदेश यात्राओं का प्रबल समर्थक योग है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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