विभाजन से ठीक पहले, पश्चिमी पंजाब में जब हिंदू और सिख महिलायें बड़ी संख्या में मुसलमानों द्वारा बलात्कार की जा रही थी, तब गांधी ने महिलाओं को सलाह दिया कि “अगर कोई मुसलमान हिंदू और सिख महिलाओं का बलात्कार करनी की इच्छा प्रकट करते हैं तो वह उन्हें न तो इंकार करें ना ही विरोध करें। इसके बजाय वह उनके साथ सहयोग करें। वह एक मृत के समान लेट कर अपनी जीभ को अपने दांतों के बीच रख लें”
। 6 जुलाई, के नवजीवन के प्रकाशन में गांधी का यह कथन गांधीवाद का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण था | विभाजन का जन्म होने के बाद पाकिस्तान क्षेत्र के बहुत सारे हिंदू परिवार मुसलमानों के आक्रमण का शिकार हुये और हिंदू महिलाओं का बलात्कार इसका अविभाजित अंग बनीं। जब 1946 में नोआखली में हिंदू बदले गये थे, हजारों हिंदू महिलायें मुसलमानों द्वारा बलात्कार की शिकार बनाई गयीं।
साल 1947 में सत्ता प्राप्त करने की अंधी लोलुपता के कारण भारत देश का बंटवारा मजहब के नाम पर दो हिस्सों में हो गया परिणाम स्वरूप आम हिन्दू को अपना घर बार, कारोबार, जमीन, जायदाद और परिवारों को मजबूरन छोड़ना पड़ा |लाखों लोग अपने ही देश मे शरणार्थी बन गए |
विभाजन के दौरान, जब हिंदू और सिख पश्चिमी पंजाब से शरणार्थी के रूप में आना शुरू किये और दिल्ली के शरणार्थी शिवारों में आकर पहुंचे तो एक दिन गांधी ने शरणार्थी शिविर का दौरा किया और कहा, “हिंदुओं को मुसलमानों के ऊपर नाराज नहीं होना चाहिये, उन्हें बहादुरी के साथ उनका सामना करना चाहिये” । गांधी ने अनेक बार अहिंसा की दुहाई देते हुये कहा था कि “राणा प्रताप, गुरू गोविंद सिंह, राजा रंजीत सिंह और राजा शिवाजी सबके सब भटके हुए राष्ट्रभक्त थे,” क्योंकि उन्होंने मुसलमानों के साथ युद्ध किया था।
उनका यह विचार था कि “हिंदुओं से यह उम्मीद की जाती है कि केवल हिंदुओं को ही बलिदान करना चाहिये । हिंदुओं को मुसलमानों के हर तरह के अपराध को बिना किसी शिकायत या विरोध के क्षमा करना चाहिये ।“