हनुमान चालीसा का निर्माण बनारस के श्मशान घाट पर हुआ था ! : Yogesh Mishra

उस समय गोस्वामी तुलसीदास को अयोध्या के पंडों ने अयोध्या से अपमानित करके भगा दिया था ! तब गोस्वामी तुलसीदास बनारस में काशी नरेश के दरबार में उपस्थित हुये और उनसे आग्रह किया कि “मैं भगवान श्रीराम पर एक ग्रंथ लिखना चाहता हूं !” तब काशी नरेश ने बनारस के घाट पर गोस्वामी तुलसीदास के रहने और भोजन की व्यवस्था की ! जहां पर गोस्वामी तुलसीदास ने 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में रामचरितमानस नामक ग्रंथ का निर्माण किया था !

गोस्वामी तुलसीदास के लेखन के पूर्व हनुमान जी की आराधना नहीं के बराबर होती थी ! उस समय मुगल काल था ! जगह-जगह अकबर बादशाह के आदेश पर हिंदुओं का कत्लेआम हो रहा था और हिंदुओं को उनकी संपत्ति से बेदखल करने के लिये अकबर के सैनिक किसानों की हत्या करके उन्हीं के खेतों में शवों को फेंक देते थे और प्रचारित करते थे कि खेतों में भूत घूमते हैं ! जो किसानों कि हत्या कर देते हैं ! अत: जो व्यक्ति अपने खेत की तरफ जायेगा ! भूत उसकी भी हत्या कर देंगे ! जबकि वास्तव में जो लोग खेती किसानी करने के लिये खेतों में जाते थे ! उनकी हत्या अकबर के सैनिक किया करते थे !

ऐसी स्थिति में लोगों ने खेती किसानी करना छोड़ दिया था और घरों में ही रहा करते थे ! जिससे हिंदू समाज का तेजी से विघटन शुरू हो गया था ! अतः गोस्वामी तुलसीदास ने हिंदू समाज के अंदर पुनः उत्साह का संचार करने के लिये पूरे भारत में जगह-जगह अखाड़े आयोजित करना शुरू किया और अखाड़ों में हनुमान जी की प्रतिमा लगाकर उसके पूजन का विधान बनाया !

जिसका अकबर के दलाल हिंदुओं ने बहुत विरोध किया और गोस्वामी तुलसीदास जी से कहा कि यदि हनुमान जी की पूजा करने से भूत प्रेत भाग जाते हैं ! तो आप बनारस के मनकर्णिका घाट से अमावस्या की रात्रि में जलती हुई चिता से लकड़ी लाकर दिखलाइये ! तब मैं मान लूंगा कि हनुमान जी की आराधना से भूत प्रेत भाग जाते हैं !

निर्धारित समय पर अमावस्या की मध्य रात्रि में गोस्वामी तुलसीदास हनुमान जी के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिये अस्सी घाट से लगभग 2 किलोमीटर दूर निर्जन मनकर्णिका घाट तक चिता की जलती हुई लकड़ी लेने के लिये गये और उसी दौरान हनुमान जी के चिंतन स्वरूप जो 40 दोहे उनके विचारों में प्रगट हुये ! उन्हीं का संग्रह करके उन्होंने हनुमान चालीसा का निर्माण किया !

जो कालांतर में हर अखाड़े में हनुमान जी के प्रतिमा के समक्ष पूजन प्रक्रिया का हिस्सा बन गया और उसका लाभ हुआ यह हुआ कि भूत प्रेत का भय दिखाकर जो हिंदुओं की संपत्ति मुगल सैनिकों द्वारा हड़प ली जाती थी ! वह हनुमान चालीसा के प्रभाव से हिन्दुओं का आत्मबल बढ़ने के कारण समाप्त हो गया ! यह है हनुमान चालीसा का महत्व

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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