नामिबिया की रहने वाली हिंबा जनजाति में बच्चे के जन्म को लेकर एकदम अलग परंपरा है ! इस जनजाति में बच्चे के जन्म की तिथि तब नहीं मानी जाती है, जब उसका इस दुनिया में जन्म होता है !
बल्कि बच्चे के जन्म की तिथि तब मानी जाती है, जब महिला बच्चे को जन्म देने की बात को सोचती है !
उस समय वह महिला किसी मन लुभावने पेड़ के नीचे बैठती है और बच्चे के जन्म देने वाले विचार से जुड़े गीत की कल्पना करती है ! जब उसे लगता है कि बच्चे ने उसे गीत का सुझा दिया है, यानी गीत उसके दिमाग में आ गया है !
तब वह अपने पति को वह गीत सुनाती है फिर दोनों संबंध बनाने के दौरान इस गीत को गाते हैं ओर जब महिला गर्भवती हो जाती है, तो वह अपने परिचय की दूसरी महिलाओं को वह गीत सिखाती है और फिर परिचय के सब लोग मिलकर उसे याद करते हैं !
फिर गर्भ काल में वह सभी महिलायें उसे घेरकर वह गीत उत्सव के तौर पर सुनाती हैं ! जिसे हम लोग अपनी भाषा में गर्भधारण संस्कार या पुंसवन संस्कार कह सकते हैं !
बच्चे के जन्म होने से लेकर उसके बड़े होने तक गांव के हर व्यक्ति को बच्चे का गीत याद हो जाता है ! जिसे वह लोग हर नकारात्मक परिस्थिति में उस बच्चे का मनोबल बढ़ाने के लिये गाते हैं !
यही नहीं व्यक्ति के मरने तक यह गीत लोग उस व्यक्ति को समय समय पर सुनते रहते हैं ! इस तरह उसकी अंतिम सांस तक उसे वह गीत सुनाया जाता है !
इसके पीछे यह मान्यता है कि व्यक्ति ईश्वर के पास से जिस गीत को गाते हुये, मां के गर्भ में आने के विचार के साथ आया था ! उसे उसी गीत को गाते हुये ईश्वर के पास जाना चाहिये !!