आध्यात्मिक शक्ति से अति आधुनिक हथियार कैसे निस प्रयोज्य होंगे : Yogesh Mishra

हम सभी जानते हैं कि अब परंपरागत युद्ध जो कभी बम, बारूद, बंदूक, तोप, टैंक आदि से लड़ा जाता था ! उसका युग खत्म हो गया है ! अब आज के दौर में विज्ञान ने ऐसे आधुनिक हथियार विकसित कर लिये हैं कि जिनका युद्ध में प्रयोग करने के लिये व्यक्तिगत रूप से किसी भी व्यक्ति को युद्ध भूमि में आने की आवश्यकता नहीं है ! बल्कि सुदूर कहीं एक ऑफिस में बैठकर ही मात्र कंप्यूटर द्वारा कमांड देकर उन हथियारों को 5-7 हजार किलोमीटर दूर से ही संचालित किया जा सकता है ! उन हथियारों के अंदर लगे हुये यंत्र उन्हें सही स्थान पर, सही दिशा में, सही समय पर, सही गति से संचालित कर शत्रु का विनाश कर सकते हैं !

अब प्रश्न यह है कि इस तरह के अत्याधुनिक हथियार जिन यंत्रों से संचालित होते हैं ! उन यंत्रों के संचालन का आधार क्या है ? इसका बहुत सीधा सा जवाब है कि हमारी पृथ्वी में दो ध्रुव हैं ! पहला उत्तरी ध्रुव दूसरा दक्षिणी ध्रुव ! पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति पृथ्वी के केंद्र से निकलकर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर जाकर वापस पृथ्वी के केंद्र में आ जाती है ! इस तरह इन चुंबकीय ऊर्जाओं का एक चक्र पूरा हो जाता है ! चक्रों के ऊर्जा की तीव्रता और गति के आधार पर लाटीट्यूड और लोंगिट्यूड की गणना की कोडिंग कर आधुनिक विज्ञान द्वारा इन हथियारों को संचालित किया जाता है !

कंप्यूटर के द्वारा इस पृथ्वी के हर देश के, हर स्थान का लाटीट्यूड और लोंगिट्यूड के आधार पर एक अंकीय कोड निर्धारित कर दिया गया है ! जिस अंकीय कोड के कारण जब किसी अत्याधुनिक हथियार को अंकीय कोड पर विनाश का निर्देश दिया जाता है तो वह स्वचालित अत्याधुनिक हथियार अंकीय कोर्ट की तरफ जाकर उस स्थल को नष्ट कर देता है !

अर्थात सभी अत्याधुनिक हथियारों की आत्मा इसी लाटीट्यूड और लोंगिट्यूड पर आधारित अंकीय कोड में बसती है ! यदि किसी पद्धति से कुछ ऐसा कर दिया जाये कि अत्याधुनिक हथियार इन अंकीय कोड की गणित को समझने में अक्षम हो जायें तो यह अत्याधुनिक हथियार किसी भी कार्य योग्य नहीं बचेंगे !

यह 2 तरह से किया जा सकता है ! पहला पृथ्वी की सामान्य चुंबकीय ऊर्जा के अतिरिक्त कृतिम चुंबकीय ऊर्जा को पैदा करके इन हथियारों को भ्रमित किया जा सकता है ! इसके अतिरिक्त अतिरिक्त एक दूसरी पद्धति यह भी है कि जिन कंप्यूटरों के द्वारा इन अति आधुनिक हथियारों को दिशा निर्देश जारी किये जाते हैं ! उस कंप्यूटर के प्रोग्राम में हस्तक्षेप कर निर्देश क्रम को बिगाड़ा जा सकता है ! यह दोनों ही पद्धति विज्ञान आधारित है !

अब मैं यहां पर भारतीय सनातन ज्ञान पर विश्वास रखने वाले दिव्य संतो द्वारा आधुनिक हथियारों को निष्क्रिय करने के लिये क्या रणनीति बनाई जा सकती है ! इसकी चर्चा कर रहा हूं ! भारत के सनातन धर्म शास्त्र पूर्व में भी इस तरह के समस्याओं से निपटने के लिये अनेक बार इन्हीं रणनीतियों का सहारा ले चुके हैं ! जिसका वर्णन विभिन्न धर्म शास्त्रों में मिलता है !

जैसे अश्वत्थामा द्वारा ब्रह्मास्त्र चलाये जाने के बाद भगवान श्री कृष्ण द्वारा ब्रह्मास्त्र की ऊर्जा को निष्क्रिय कर देना या सागर द्वारा मार्ग न देने की स्थिति में भगवान श्री राम द्वारा तत्कालीन अति आधुनिक अग्नियास्त्र जागृत करते ही जब महाराज सागर क्षमा याचना करने लगे तो भगवान श्रीराम ने उस अत्याधुनिक अग्नियास्त्र को सागर के राज्य के विपरीत दिशा में मोड़ दिया था !

इंद्र, विष्णु, ब्रह्मा, शिव, अगस्त ऋषि, महर्षि विश्वामित्र, परशुराम, दुर्वासा, आदि अनेकों अनेक देवी, देवता, भगवान, राक्षस, असुर, दैत्य, दानव, यक्ष, किन्नर आदि के द्वारा भी उस समय के आधुनिक हथियारों को प्रायः अपनी मानसिक शक्तियों से निश प्रयोज्य कर दिया करते थे या उनकी दिशा बदल देने का उदाहरण भी हमारे धर्म शास्त्रों में भरे पड़े हैं ! आखिर हमारे पूर्वज यह सब करते कैसे थे ?

इसका सीधा जवाब है कि हमारे पूर्वज अपने मस्तिष्क के मध्य भाग को जागृत व सक्रिय करके उस समय के अति आधुनिक हथियारों को निस प्रयोज्य या निष्क्रिय कर देते थे या फिर उनकी दिशा बदल देते थे ! इसको धर्म शास्त्रों में अनुष्ठान की संज्ञा दी गई है !

होता यह है कि मानव मस्तिष्क को यह ईश्वर द्वारा दिया गया वरदान है कि यदि मनुष्य आत्म संयम से नियमित रूप से अभ्यास करे तो वह प्रकृति की सामान्य चुंबकीय एवं प्राकृतिक ऊर्जा के क्रम में परिवर्तन ला सकता है ! लेकिन इस स्थिति तक पहुंचने के लिये अति परिश्रम और तप की आवश्यकता होती है !

विचार कीजिये हिमालय के अंदर आत्म संयम के साथ बैठा हुआ कोई संत समूह मानव कल्याण के लिये जो गहन साधना में लंबे समय से तप कर रहा है और उसने इतनी शक्ति अर्जित कर ली है कि प्रकृति की सामान्य क्रिया के तहत जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी से निकलने वाली सामान्य चुंबकीय ऊर्जाओं को परिवर्तित करने का सामर्थ्य रखता हो ! तो क्या वह आज के इन अत्याधुनिक हथियारों को निस प्रयोज्य या दिशा विहीन नहीं कर देगा !

हां यह संभव है और इस विषय पर कार्य हो भी रहा है ! आज भी मानव मात्र के कल्याण के लिये बहुत बड़ी संख्या में हमारे संतगण हिमालय की कंदराओं में इस तरह का कार्य कर रहे हैं ! हमारी मानवता इन्हीं संतो की कृपा पर टिकी हुई है ! भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है ! बस आवश्यकता है आत्म संयम के साथ इन संतों की उर्जा में अपना सहयोग करने की ! जो आप सात्विक आहार, विहा,र विचार, संस्कार अर्थात सनातन जीवन शैली को अपनाकर कर सकते हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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