जानिए मानव शरीर का ज्योतिष से सम्बन्ध : Yogesh Mishra

ब्रह्माण्ड और मानव शरीर की समानता पर पुराणों व अन्य धर्मग्रन्थों में व्यापक विचार हुआ है ! जो ब्रह्माण्ड में है, वह मानव शरीर में भी है ! ब्रह्माण्ड को समझने का श्रेष्ठ साधन मानव शरीर ही है ! वैज्ञानिको ने भी सावययी-सादृश्यता के सिद्धांत को इसी आधार पर निर्मित किया है ! मानव शरीर व संपूर्ण समाज को एक दूसरे का प्रतिबिंब माना गया है !

आज का मानव सौर मंडल को भली-भांति जानता है, इसी सौरमंडल में व्याप्त पंचतत्वों को प्रकृति ने मानव निर्माण हेतु पृथ्वी को प्रदान किया है ! मानव शरीर जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु व आकाश तत्व से निर्मित हुआ है ! ज्योतिष ने सौरमंडल के ग्रहों, राशियों तथा नक्षत्रों में इन तत्वों का साक्षात्कार कर प्राकृतिक सिद्धांतो को समझा है ! ज्योतिष का फलित भाग इन ग्रह, नक्षत्रों व राशियों के मानव शरीर पर पढ़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करता है ! जो पंचतत्व इन ग्रह नक्षत्र व राशियों में हैं ! वही मानव शरीर में भी हैं, तो निश्चित ही इनका मानव शरीर पर गहरा प्रभाव होगा ही !

वैदिक ज्योतिष ने सात ग्रहों को प्राथमिकता दी है ! सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र तथा शनि ! राहु व केतु छाया ग्रह हैं ! पाश्चात्य ज्योतिष जगत में युरेनस, नेप्चयुन व प्लुटो का भी महत्व है ! ज्योतिष ने पंचतत्वों में प्रधानता के आधार पर ग्रहों में इन तत्वों को अनुभव किया है, सूर्य व मंगल अग्नि तत्व प्रधान ग्रह हैं ! अग्नि तत्व शरीर की ऊर्जा व जीने की शक्ति का कारक है ! अग्नि तत्व की कमी शरीर के विकास को अवरूद्ध कर रोगों से लड़ने की शक्ति को कम करती है !

शुक्र व चंद्रमा जल तत्व प्रधान ग्रह हैं ! शरीर में व्याप्त जल पर चंद्रमा का आधिपत्य है ! शरीर में स्थित जल शरीर का पोषण करता है ! जल तत्व की कमी आलस्य या तनाव उत्पन्न कर, शरीर की संचार व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालती है ! जल व मन दोनो की प्रकृति चंचल है, इसलिये चंद्रमा को मन का कारकत्व भी प्रदान किया गया है ! उदाहारणार्थ देखें शुक्राणु जो तरल में ही जीवित रहते हैं, और यह सृष्टि के निर्माण में व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं !

शुक्र काम जीवन का कारक है, यही कारण है कि, शुक्र के अस्त होने पर विवाह के मुहुर्त नही निकाले जाते ! बृहस्पति व राहु आकाश तत्व से सम्बंध रखते हैं ! यह व्यक्ति के पर्यावरण व आध्यात्मिक जीवन से सीधा सम्बंध रखते हैं ! बुध पृथ्वी तत्व का कारक ग्रह है ! यह बुद्धिमता व निर्णय लेने की शक्ति शरीर को देता है ! इस तत्व की कमी बुद्धिमता व निर्णय लेने की शक्ति पर विपरीत असर डालती है ! शनि वायु तत्व प्रधान ग्रह है ! शरीर में व्याप्त वायु पर इसका पूर्ण आधिपत्य है ! केतु को मंगल की तरह माना गया है !

मानव जीवन के कुछ गुण मूल प्रकृति के रूप में भी मौजूद होते हैं ! प्रत्येक मनुष्य में प्राकृतिक रूप से आत्मा, मन, वाँणी, ज्ञान, काम, व दुखः विद्यमान होते हैं ! यह उसके जन्म समय की ग्रहस्थिति पर निर्भर करता है, कि किस मानव में इनकी प्रबलता कितनी है? विशेष रूप से प्रथम दो तत्वों को छोड़कर क्योंकि आत्मा से ही शरीर है ! यह सूर्य का अधिकार क्षेत्र है ! मन चंद्रमा का, बल मंगल का, वाँणी बुध का, ज्ञान बृहस्पति का, काम शुक्र व दुखः पर शनि का आधिपत्य है !

आधुनिक मनोविज्ञान मानव की चार मूल प्रवृत्तियाँ मानता है- भय, भूख, यौन व सुरक्षा ! भय पर शनि व केतु का आधिपत्य है ! भूख पर सूर्य व बृहस्पति का, यौन पर शुक्र तथा सुरक्षा पर चंद्र व मंगल का !

मानव शरीर के विभिन्न धातु तत्वों का भी बह्माण्ड के ग्रहों से सीधा सम्बंध है ! शरीर की हड्ढियों पर सूर्य, रक्त की तरलता पर चंद्र्रमा, शरीर के माँस व गर्मी पर मंगल, त्वचा पर बुध, चर्बी पर बृहस्पति, वीर्य पर शुक्र तथा स्नायुमंडल पर शनि का अधिपत्य है ! राहु एवं केतु चेतना से सम्बंधित ग्रह हैं ! शरीर क्रिया-विज्ञान के अनुसार मानव शरीर त्रिदोष से पीड़ित होता है, जो विभिन्न रोगों के रूप में प्रकट होते हैं !

वात, पित्त व कफ! सूर्य, मंगल, पित्त, चंद्रमा व शुक्र कफ, शनि वायु तथा बुध त्रिदोष; यह प्रतीकात्मक हैं ! नेत्र व्यक्ति को अच्छा या बुरा देखने व समझने का शक्तिशाली माध्यम है ! आंतरिक व बाह्य रहस्यों को देखने में नेत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण है ! प्राचीन ज्योतिष के सभी सिद्धांत योगियों व ऋषियों ने सिर्फ नेत्रों से देखकर व योगमार्ग से अनुभव करके बनाये हैं ! बिना कोई वैज्ञानिक यंत्रों की सहायता से यह अपने आप में आंतरिक व बाह्य रहस्यों में ज्योतिष के महत्व को स्पष्ट करने के लिये पर्याप्त हैं ! सूर्य व चंद्रमा साक्षी हैं, अतः ज्योतिष के विज्ञान या सत्य होने में कोई संदेह नही है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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