आज सायंकाल मेरे यहां एक “जयसवाल साहब” अपनी “पजेरो गाड़ी” से कुंडली परामर्श हेतु आए थे ! उन्होंने अपने बेटे की कुंडली मेरे सामने परामर्श हेतु रखी जो कि “तुला लग्न” की कुंडली थी ! उसके पंचम भाव में मंगल और राहु एक साथ बैठे हुए थे ! वर्तमान समय में राहु की महादशा में राहु की ही अंतर्दशा चल रही थी ! मैंने कुंडली देखते ही पहला प्रश्न किया “कि क्या आपका बेटा लीवर की किसी बीमारी से ग्रसित है !” उन्होंने उदास भाव से बतलाया कि मेरे बेटे को “लीवर में कैंसर” है ! डॉक्टरों ने “लीवर ट्रांसप्लांट” करने के लिए कहा है ! मैं इसी हेतु आपके पास कुंडली परामर्श के लिए आया हूं !
मैंने गंभीरता से कुंडली को देखा और मेरे दृष्टिकोण से तुलसी, नीम, हल्दी, गोमूत्र और रुद्राक्ष की मदद से इस लीवर के कैंसर का निवारण किया जाना संभव है ! इसमें कुछ होम्योपैथी दवाइयां भी बहुत कारगर कार्य करती हैं ! जिसके लिए होम्योपैथी के योग्य डॉक्टर से परामर्श करना पड़ता है !
किंतु बातचीत के दौरान उन्होंने मुझे यह बताया कि पिछली तीन पीढ़ियों से उनके यहां “शराब” बेचने का व्यवसाय हो रहा है ! मैंने अपने विवेक से यह निर्णय लिया कि पिछले 60 सालों से जिस के यहां “शराब बेचने का धंधा” हो रहा हो, उसने न जाने कितने लोगों को शराब पिला-पिला कर उनका लीवर बर्बाद कर दिया होगा ! अगर ऐसी स्थिति में आज “ग्रह दोष” के प्रभाव से इनके बेटे का लीवर खराब हुआ है, तो यह प्रकृति की व्यवस्था में दिया जाने वाला दंड है ! अतः मैंने इस विषय में न तो कोई “ज्योतिषीय परामर्श दिया और न ही किसी भी तरह का हस्तक्षेप करना उचित समझा !”
मेरा “समाज को विकृत करने वाले लोगों” से भी अनुरोध है कि वह स्वयं अपने लिए या अपने परिवार के किसी भी व्यक्ति के लिए मेरे पास कुंडली परामर्श हेतु आग्रह न करें ! क्योंकि ऐसे लोग प्रकृति द्वारा दिए जाने वाला दंड से दंडित हैं ! “किसी गलत व्यक्ति को बचने के लिये प्रकृति के दण्ड विधान में हस्तक्षेप करने की मेरी अंतरात्मा मुझे आज्ञा नहीं देती है !”