राष्ट्र में ब्राह्मण नहीं तो कुछ भी नहीं बचेगा : Yogesh Mishra

भारत का मनुष्य अपनी असफलता और बुराई का दोष भाग्य और ईश्वर को देता है समाज की बुराई का श्रेय ब्राह्मण को जाता है ! आज जो पुत्र पैदा हुआ, जो नौकरी मिली, जिसको लोग कहते है ईश्वर कि कृपा, भाग्य की वजह से हुआ है ! किन्तु जो पुत्र पैदा हुआ वह नौ महीने पहले माता पिता के कर्म थे, जो नौकरी मिली है वह पूर्व में अथक परिश्रम का परिणाम है !

गरीब, गुरबा, पिछड़ा, दलित, उपेक्षित, अल्पसंख्यक की बात गाँव शहर बुद्धिजीवी से होते हुए विधानसभा और संसद तक गुंजायमान है ! इन सब कारण के पीछे ब्राह्मण, सवर्ण है ऐसा बताया जाता है ! देश जो 750 साल गुलाम रहा है तराइन के मैदान मे पृथ्वीराज की पराजय ने भारत की संस्कृति को ही बदल दिया ! सत्ता गोरी, मामलुक, खिलजी, सैयद, तुगलक, अफगान, मुगल और अंग्रेजों से होते हुए नेताओं तक आई !

ब्राह्मण जो वैज्ञानिक हुआ करता था ! उसने अपनी सारी ऊर्जा पराधीनता से मुक्त होने में लगा दी क्योंकि वह मानता है कि पराधीन सपनउ सुख नाहीं ! भारत के मुक्ति यज्ञ में मंगल पांडेय जिन्होंने 1857 की क्रांति का विगुल फूंका था जिसमे लक्ष्मी बाई, पेशवा नाना साहब से होते हुये तिलक, रानाडे, सुरेंद्र नाथ बनर्जी, दास, गांधी के गुरु गोखले, नेहरू, पंत आजाद, सान्याल ने मरते दम तक देश के लिये जिये ! 71 वर्ष आजादी के 86 वर्ष आरक्षण के बाद लोग ऊपर क्यों नहीं उठ पा रहे ! लोग अपने को पिछड़ा बता आरक्षण की मांग कर रहे है ! दोषी ब्राह्मण है कि लोग पिछड़े रहने में ही मजा ले रहा है !

भारत के वह लोग जिन्हें बुराई मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों में नहीं दिखी तब वह समस्या को जान भी नही पायेगा ! भारत आये विदेशी यात्री मेगस्थनीज, फाह्यान, ह्वेनसांग, अलबरूनी, इब्नबतूता, अब्दुल, मार्कोपोलो, निकोलकॉन्टि, नूनीज, बारबोसा, बर्नियर, विल्सन, विलियम जोन्स तथा भारत मे जन्मे अमीर खुसरो, अबुल फजल भारत के ब्राह्मणों के ज्ञान विज्ञान की खूब प्रशंसा की है ! वही कृतघ्न लोग गाली दे रहें है जो अपनो को ही नहीं जाना वो सपने क्या जानेगा !

मुसलमान और अंग्रेजों के फैलाये गये भ्रम ने आखिरकार काले अंग्रेजों को जन्म दे दिया ! ब्राह्मण के कार्यो को ब्राम्हणवाद कह के दुष्प्रचारित किया ! अपने लोग अपनो के सामने ला खड़ा किया ! बाकी कसर नेताओं ने पूरी कर दी ! आरक्षण और दलित एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानेंगे ! तो राममंदिर पर उसके फैसले का इंतजार क्यों हो रहा है ! संविधान सुधार से हल किया जा सकता है !

भारत कहते ही जेहन में एक नाम उभरता है ब्राह्मण जो आज चरणबद्ध तरीके से किनारे किया जा रहा है ! जिसने अपने रक्त से देश को सींचा, जिसने मुस्लिम, अंग्रेजों के आगे घुटने नहीं टेके उन्हें आज का समाज और राजनीतिक व्यवस्था घुटने टिकाने को विवश कर रही है ! जिस देश में योग्यता का सम्मान नही होगा वहा भ्रष्टाचार, हिंसा, अपराध का बोलबाला होगा ! युगांडा के तानाशाह ईदीअमीन ने देश की समस्या का कारण एशियाई लोगों को ठहराया, यही यहाँ का प्रशासनिक वर्ग भी था और उन्हें देश निकले का फरमान सुनाया जिसमे 70 फीसदी भारतीय थे !इनके जाते ही देश चरमरा गया आठ साल बाद उन्हें फिर से वापस बुलाया गया ! शांति की स्थापना के लिये ! देश को गति देने के लिये !

इस समय देख सकते है देश के सबसे बड़े नेता अम्बेडकर बन गये है वह भी दिन दूर नहीं जब राष्ट्रपिता की उपाधि गांधी से लेकर इन्हें दी जायेगी ! कुछ लोग कह रहे है सुभाष चंद्र बोस नाम अम्बेडकर का लेना चाहते थे गलती से गांधी निकल गया था ! स्वतंत्रता की प्रमुख जंग तो अम्बेडकर ने लड़ी थी !

ब्राह्मण नामक जो जाति है इसे भी भूख लगती है इसके भी बच्चे है जिसके लिये रोजी रोजगार चाहिये ! आज वह संगठित नहीं उसकी मांगे मौन है नेतृत्वविहीन है वोटो की तादाद कम है, क्या सम्मान से जीने नही दिया जायेगा ! उसने कहाँ सोचा था जिनके लिये वह लड़ रहा है आने वाले दिनों ये उसे ही कटघरे में खड़ा कर देंगे ! सारा दोष ब्राह्मण का, सारा समाधान आरक्षण से पर लोग ये नही देख रहे आरक्षण रोजगार नहीं देगा ! रोजगार जो सरकारों के पास है नहीं ! आरक्षण वह तीर है जिससे नेता कुर्सी साध रहा है ! ब्राह्मण जो अपनो से प्रतिरोध नहीं करता है ! वह पूरे विश्व को परिवार मानता है सब के सुखी होने की कामना करता है ! किन्तु आप है कि वैमनस्य बनाये हुये है !ब्राह्मण की बातें कोई नहीं कहता है उसके योगदान को अनदेखा किया जा रहा है ! वैसे भी यह वह जाति है जो अधिकार की नहीं कर्त्तव्य की बात करती है ! परिवर्तन प्रेम से क्रान्ति खून से आती है मैं इतिहास देखता हूं !

विश्व में पहली बार ब्राह्मणों द्वारा वैज्ञानिक समाज का निर्माण किया गया ! समाज को वर्ण में विभाजित कर विभाजन का आधार कर्म को बनाया ! जो जिस व्यवसाय से जुड़ा था उसे उसी वर्ग में रखा गया ! एक बात और ध्यान देने योग्य है यदि ब्राह्मण की व्यवस्था में बुराइया, खामियां होती तो वह कैसे हजारों वर्ष चलती? कुछ नियमों में कड़ाई की गई जिसकी वजह थी भारतीय समाज पर 750 वर्ष का विदेशी और विधर्मी का शासन !

एक बात तो बिल्कुल सत्य है कि ब्राह्मण अपने उद्देश्य में सफल रहा वह भारत की संस्कृति को अक्षुण बनायें रखा ! जब हमारी संस्कृति ही नहीं रहती तो आज हम चर्चा नहीं कर पाते ! समस्याओं को मिल बैठ के सुलझा सकते हैं क्योंकि ब्राह्मण आप का सगा है वही है जो आप के शुभत्व की कामना करता है, मरने पर भी पितरों तक को भोजन, जल पहुँचता है साथ ही आप उस आत्मा से मुक्त रहे ऐसी व्यवस्था करता है ! विश्व के कल्याण, मनुष्य के सहृदय होने के लिये ईश्वर से रोज प्रार्थना करता है ! उसके ज्ञान की, जल जागरूकता की स्वच्छता की अलबरूनी ने जो गजनवी के साथ भारत आया था खूब प्रसंशा की है ! सात बादशाहों का कार्य काल देखने वाले अमीर खुसरो ने एक एक ब्राह्मण को अरस्तू प्लेटों जैसा बुद्धिमान बताया है !

समाज के विभाजन का आधार वैज्ञानिक पद्धति थी जो ज्ञान विज्ञान से जुडी थी, ब्राम्हण देश की सुरक्षा से जुड़ा था उसे क्षत्रिय जो क्षति से रक्षा करे और व्यवसाय से जुड़ा वैश्य जो खेती और सेवा से जुड़े शूद्र से मदद मिलती थी ! इस व्यवस्था के माध्यम से जैसे आज की सरकार स्किल डेवलपमेंट की बात कर रही है भारत में प्राचीन समय में हुनर को पहचान कर उसे नाम दिया गया जिससे समाज गति कर सके लोगों को अपने घर मे ही रह कर रोजगार मिल सके ! विश्व की यह आधुनिक एवं उत्कृष्ट व्यवस्था थी ! आज की तरह तब सर्टिफिकेट नहीं बटता था !

शिल्पी, रथकार, लुहार, कामगार, रक्षक, व्यापारी, चिकित्सक, चित्रकार के संरक्षण का पहला आधुनिक सफल प्रयोग किया गया ! कोई दूसरे के व्यसाय को नहीं छीन सकता था ! सबसे पहले बाजार को जन्म दिया गया, व्यापार को जन्म दिया गया, वाणिज्य की शुरुआत की गई यह सब ब्राह्मणों की देंन है जो पूजा होती थी उसमें कई सामग्रियों की आवश्यकता होती थी इस सामग्री के लिये बाजार ने जन्म लिया लोगों को कई तरह प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रोजगार मिले !

भारत कई क़बीलों से मिलकर बना था किन्ही कबीले में पशुबलि की प्रथा थी जो एकीकरण में उनकी भावना को सम्मान दिया गया ! वैसे भी मनुष्य अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है उसके लिये अबोध जानवरों से अच्छा क्या है ! इसके लिये ब्राह्मण दोषी कैसे हो गया? ब्राह्मण धर्म सामुदायिक भावना की जगह व्यैक्तिकता पर जोर देता है आप के अच्छे बनने से समाज अच्छा बनेगा ! यज्ञ की वहदी बनाने मे बीज गणित, रेखा गणित, मुहूर्त के लिये ज्योतिष और अंतरिक्ष विज्ञान विकसित किया !

शिखा रखना हो उपनयन धारण करना हो पैर में खड़ाउ पहनना हो या तुलसी की माला चंदन लगाना रहा हो या भारत के मौसम के अनुसार धोती पहनना या सिर पर साफा पहनना रहा हो ! चिकित्सा शास्त्र, भाषा, विज्ञान, व्याकरण, वृत्त की त्रिज्या, सांप सीढ़ी, शतरंज का खेल, शून्य से लेकर संख्या पद्धति, योगविद्या के ज्ञान का विस्तार से भारत में ही नहीं वरन पूरे विश्व में ब्राह्मणों की देन है !

स्वच्छता को महत्व देने की वजह चांडाल, डोम, कैवर्त जैसी अस्पर्श जातियों का वर्णन है ! मूल है, बीमारियों को दूर रखना क्योकि जो साफ-सफाई के कार्यों से जुड़े थे उनमें वैक्टीरिया फैल सकता है यदि सही सफाई न की गई हो तो दूसरों में फैलने का खतरा था ! समय के साथ इनकी जनसंख्या बढ़ी किंतु सत्ता तब ब्राह्मणों की व्यवस्था के हाथ नहीं थी कि उसमें सुधार हो सके जिसका विधर्मियो ने फायदा उठा कर दुष्प्रचार करके ब्राह्मण को बदनाम किया ! यदि ब्राह्मण का राजा होता और ब्राह्मण शक्तिशाली रहते तो वह निश्चित ही सामाजिक समस्या को दूर करते ! कोई विचार तब सफल होता है जब उसपर अमल कराने वाले लोग हो ! बुरी व्यवस्था दम तोड़ देती है ! भारत में मौजूद चारों वर्ग प्राचीन और अर्वाचीन जिन्हे अंबेडकर ने भी मान्यता दी है प्रमाण है कि दमघोटू व्यवस्था नहीं थी !

लोगों के परिवर्तित होने में समय नहीं लगता है ! जब ब्रिटेन, फ्रांस, रोम, अरब आदि देशों में धर्म के नाम पर खून बहाए जाते थे शिया-सुन्नी से, मुसलमान ईसाई से, कैथोलिक प्रोटोस्टआइन से लड़ रहे थे उस समय भारत अपने को विकसित कर विश्व व्यापार का 32 प्रतिशत अकेले कब्जा किया था ! आज 2 प्रतिशत भी नहीं है व्यापार को 20 प्रतिशत पहुँचा दीजिये सभी को रोजगार मिल जाएगा आरक्षण की चाल नहीं चलनी होगी ! जो व्यवस्था बनाई गई समय के साथ उसने सुधार होना चाहिये था !

जीवन मे सुधार की गुंजाइश सदा बनी रहती है, आज हम देख सकते हैं कि तरह-तरह की बीमारियां हमारे शरीर में हो जा रही हैं हमारे जीवन का लगभग एक चौथाई से ज्यादा समय डॉक्टर के पास जाने में चला जा रहा ! दूषित वायु दूषित धरती, दूषित जल हमारे कल को नष्ट कर रहे ! क्योंकि शास्त्र कहते हैं पहले सुंदर काया ! इस लिये प्रकृति और अन्य प्राणियों में, गायों में, बकरी में, शेर में, घोड़े में, पक्षियों में और पौधों में देवत्व का रोपण किया जिससे उसकी सुरक्षा हो सके मानव को प्राण मिल सके ! मानव जब आदिमानव था तो सबसे पहले उसने प्रकृति की पूजा की ! एक जीव दूसरे जीव के जीने के लिये उसके आधार को बढ़ाएगा ना कि उसको खा जायेगा !

ब्राह्मण पर आरोप लगाया जाता है कि यहां के लोगों के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था ! इतिहास उठा कर देखेंगे तो लगेगा ऐसा नहीं कि क्षत्रियों के अलावा शुद्र और वैश्य राजा नहीं हुये ! वैश्य राजा हर्षवर्धन भारत का सम्राट था ! राम के समय में पता चलता है कि वनबासी निषादराज गुह की चर्चा की जाती है एक मल्लाह श्रृंगवहरपुर जो प्रयाग में है का राजा हुआ और राम के प्रिय मित्र थे ! नन्दवंश भी शूद्रों का था ! बौद्धों और मुसलमानों ने अपने धर्म को बढ़ाने के ब्राह्मण के बनाये नियमों वहदों और धर्म ग्रंथो को दुष्प्रचार किया जिसको अंग्रेजों ने आगे बढ़ाया !

उस समय ब्राह्मण पहला ऐसा समुदाय था जिस ने कहा कि जीवन सिर्फ मनुष्य में नहीं होता समस्त प्राणियों में जीवन है चाहे जीव हो चाहे जंतु हो चाहे पेड़-पौधे हो सबको मनुष्य की तरह जीने का समान अधिकार है क्योंकि जैसे जनसंख्या बढ़ेगी उतने ही पेड़-पौधे जीव-जंतु मारे जाते हैं मानव संख्या घटेगी पेड़ पौधे पशु पक्षी इन सब की संख्या बढ़ेगी ! भोजन को लेकर उसका पूरा एक विज्ञान था ! भारत के समाज को तोड़ने के लिये ब्राम्हण पर तरह-तरह के लांछन लगा दिया गया ! क्योंकि यह समाज बल से नहीं टूटा तो सुनियोजित तरीके से छल का प्रयोगकिया गया !

जब एक अंग्रेज गवर्नर से ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में पूछा गया कि हमारे पास इतने संसाधन है फिर भी भारत में ईसाई धर्म का प्रसार क्यों नहीं होता गवर्नर ने बताया कि भारत में एक वर्ग है ब्राम्हण जो अतिकुशल, अतिचालक है वह सुरक्षा करता है अपने धर्म की अपने समाज की अपने लोगों की, जब हमने शहरी जनसंख्या के ऊपर दबाव बनाया ब्राह्मण अपने लोगों को लेकर गांव की ओर पलायन कर गया विश्व की मौद्रिक व्यवस्था के समय में वह विनिमय का माध्यम वस्तुओं को बनाकर अपने गांव को पूर्णतया स्वतंत्र कर लिया है, एक दूसरे का परस्पर सहयोग करते एक दूसरे के यहां शादी विवाह पड़ जाता तो लोग अपने यहां से हर एक सामान उनके यहां जो कम है जिसकी जरूरत है एक दूसरे की आपूर्ति करके आत्म निर्भर बना लिया !

विदेशी व्यवस्था शहरों तक सीमित रही गांव में उसने दम तोड़ दिया, बंदूक और सिपाहियों के दम पर कुछ टैक्स की वसूली जरूर हुई लेकिन यह समाज में और धर्म में प्रवहश नहीं कर पाये ! आपको शहरों में जितने चर्च दिखाई पड़ेंगे गांव में तो सिर्फ इक्के-दुक्के है जितनी बड़ी बड़ी मस्जिद दिखाई पड़ेंगे आपको गांव में इक्के-दुक्के हैं ! मस्जिदें गाँव में बहुत बाद में बनी हैं !

ब्राह्मण के संघर्ष और तप को देख सकते है कितने संघर्ष के बाद धर्म और संस्कृति को बचाया गया ! मुस्लिम और ईसाइयों ने जहाँ शासन किया वो देश ही ईसाई मुस्लिम बन गये ! भारतीय प्रायद्वीप इसका अपवाद रहा ! हिन्दू संस्कृति ऐसी रही जो भारत भूमि पर सब को फलने फूलने का अवसर दिया !

ऋषियों, मुनियों की तपोस्थली तथा वैज्ञानिक प्रयोग शाला से यह देश विकसित हुआ है ! भारत को मिटाते मिटाते धरती से कई साम्रज्य और देश इतिहास बन गये ! धर्म विस्तार और सत्ता के लालायित लोगों ने ब्राम्हण को बुरा दिखाया जो आज के चलचित्रों में भी जारी है ! यहाँ आये यात्रियों ने भारत भूमि और ब्राह्मणों का गुणगान किया है ! किन्तु आज के भारत में ब्राह्मण के साथ दूसरे दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है !

वशिष्ट, परशुराम, व्यास, याज्ञवल्क्य, अष्टावक्र, चाणक्य, शंकराचार्य, रामानुज, रामानन्द, तुलसी, अपाला, घोषा, सिकता, गार्गी, अनुसिया, मैत्रैयी के पुत्रों के साथ छल क्यों किया जा रहा है उनके किये गये कार्यो को देश कैसे भूल सकता !

यह समझ लो कि ब्राह्मण है तभी तक हिन्दोस्तान है सनातन धर्म है ब्राह्मण नहीं तो सब ख़त्म हो जायेगा ! यही विदेशी ताकतें चाहती हैं ! तभी वह ब्राह्मण विरोधियों को विरोध के लिये पैसा देती हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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