तंत्र की भ्रामक प्रस्तुती से रहें सावधान | Yogesh Mishra

अंग्रेज भारत के तांत्रिको से इतना डरते थे कि उन्होंने इसके प्रभाव को रोकने के लिये अनेक कानून बनाये थे ! जादू-टोना, शकुन, मुहूर्त, मणि, ताबीज आदि अंधविश्वास की संतति हैं ! इन सबके अंतस्तल में कुछ धार्मिक भाव हैं, परंतु इन भावों का विश्लेषण नहीं हो सकता ! इनमें तर्कशून्य विश्वास है !

मध्य युग में यह विश्वास प्रचलित था कि ऐसा कोई काम नहीं है जो मंत्र द्वारा सिद्ध न हो सकता हो ! असफलताएँ अपवाद मानी जाती थीं ! इसलिए कृषि रक्षा, दुर्गरक्षा, रोग निवारण, संततिलाभ, शत्रु विनाश, आयु वृद्धि आदि के हेतु मंत्र प्रयोग, जादू-टोना, मुहूर्त और मणि का भी प्रयोग प्रचलित था !

मणि धातु, काष्ठ या पत्ते की बनाई जाती है और उस पर कोई मंत्र लिखकर गले या भुजा पर बाँधी जाती है ! इसको मंत्र से सिद्ध किया जाता है और कभी-कभी इसका देवता की भाँति आवाहन किया जाता है ! इसका उद्देश्य है आत्मरक्षा और अनिष्ट निवारण !

योगिनी, शाकिनी और डाकिनी संबंधी विश्वास भी मंत्र विश्वास का ही विस्तार है ! डाकिनी के विषय में इंग्लैंड और यूरोप में 17वीं शताब्दी तक कानून बने हुए थे !

जबकि तंत्र इनसे अलग है यह कोई घबराने का विषय नहीं है ! इसके बारे में भ्रमजाल फैलाने वालों ने इसे बदनाम किया हुआ है ! गूढ़ ज्ञान के भंडार इन तन्त्र ग्रंथों में विविध देवी-देवताओं के मंत्रो, यन्त्रों, पूजा पद्धति का सांगोपांग विवेचन होता है !

फिर भी ज्ञान के आभाव में तंत्र को लेकर लोगों में इतना भ्रम फैला हुआ है कि तन्त्र का असली अर्थ भी बिरले ही जान पाते हैं-

“तनोति ज्ञानं त्रायते महतो भयात् इति तन्त्रः !”

‘तनोति’ में ‘तन्’ है व त्रायते में ‘त्र’ ! अतः तन्त्र ज्ञान का विस्तार करने वाला व महान भय से छुटकारा दिलाने वाला होता है ! जीव का सबसे बड़ा भय है आवागमन का चक्र ! बारंबार जन्म-बुढापा-मृत्यु जैसा संतापकारी व कष्टकारक अद्वितीय भय लगा ही रहता है ! इससे छुटकारा पाने के लिये तंत्र का ज्ञान अपेक्षित है क्योंकि ज्ञान के बिना मोक्ष अर्थात् चिदानंद की अवस्था सम्भव नहीं !

वेद भी कहते हैं-‘ऋते ज्ञानान्न मुक्तिः’ सो तन्त्र साधना ज्ञान प्राप्ति का उपाय और मुक्ति का सोपान है ! तन्त्र ग्रंथों में वर्णित कुछ विधान सरल प्रतीत होते हैं तो कुछ बहुत कठिन व गूढ़ भी हैं ! परंतु तन्त्र ग्रंथों में जो सरल विधान मिलते हैं उनका तथा जो उत्तम से उत्तम उपदेश बतलाए गये हैं उनका अनुकरण किया जाय तो सुगमता से जीवन को सफल बनाया जा सकता है !

धर्म ग्रंथों में तंत्र का देवता भगवान शिव को माना गया है, गुरुओं के गुरू शिवजी के मुख से ही तंत्र निर्गत हुआ है ! तंत्र का दुरुपयोग न हो जनकल्याण में ही प्रयुक्त होना चाहिये ! इसीलिये तंत्र ग्रंथों में वर्णित बहुत सी बातें आज भी सर्वथा गुप्त हैं, गुरुगम्य हैं जो कि उचित ही है !

हमारे ऋषिमुनियों ने इस विद्या को समझा और मानव कल्याण के लिए श्रीविद्यार्णव, कृष्णयामल, मेरूतंत्र, मुन्डमाला तंत्र, दत्तात्रेय तंत्र, उड्डीश तंत्र, रुद्रयामल तंत्र, गुरु गोरखनाथ का गोरख तंत्र आदि ग्रंथ आज भी हमें तंत्र प्रयोगों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं !

बहुत से तन्त्रों का विदेशियों द्वारा अन्ग्रेजी अनुवाद भी हुआ है ! बहुत से विदेशी लोग भी तन्त्रों में छिपे गुप्त रहस्य जानने को लालायित रहा करते हैं ! जहां पूर्व में अद्भुद परिणाम के कारण तंत्र विद्या का विस्तार भारत में हो रहा था ! वहीं बौद्ध मतालंबी भिक्षुओं और विद्वानों ने भी इसमें रुचि लेकर इसे बौद्धतंत्र के रूप में विकसित किया था !

बौद्धों की तरह ही अन्य धर्मावलंबियों ने भी तंत्र विद्या को अपने मतों के अनुसार विकसित किया था और वैष्णव तंत्र, शैव तंत्र, शाक्तों द्वारा शक्ति तंत्र व वनस्पति तंत्र के नाम से इसे अपने अध्ययन एवं प्रयोगों से विकसित किया था !

परंतु भारत में इस्लामी राज्य में इस्लाम तंत्र का रूप भी आया ! वर्तमान समय का इस्लामी तंत्र शास्त्र इन्हीं सनातन तंत्रों का परिवर्तित स्वरूप है ! बहुत से इस्लामिक मंत्रों को तो देखकर ही पता चल जाता है कि कितने भ्रामक हैं !

अतएव सनातन परिप्रेक्ष्य में इस्लामी तंत्र विकृत है तथा परिणामस्वरूप इस्लामिक तंत्र का प्रयोग करने से सनातनी व्यक्ति का पतन प्रारंभ हो जाता है ! जिससे उसे जन्म दर जन्म उसके नकारात्मक परिणाम भुगतने पडते हैं ! इसलिये सनातन धर्मियों को इस्लामिक तंत्र से बचना चाहिये !

अतः तंत्र ग्रंथों में बतलाई गयी आराधना करने के इच्छुक साधकों को अपने लोक परलोक हितों को देखते हुए मात्र सनातन तंत्र ग्रंथोक्त आराधनाएं ही करनी चाहिए ! तन्त्र ज्ञाता होने का ढोंग करने वाले तांत्रिक का चोला ओढे साईं का फोटो दिखाकर धन लूटते हैं ! साईं का तंत्र से कोई संबंध नहीं है ! जहां एक ओर साई यंत्र मंत्र साईं पुराण जैसी भ्रामक किताबें लिखकर लोगों को बुद्धू बनाया जा रहा है वहीं कुछ पत्रिकाओं में ‘तन्त्र विशेषान्क’ के नाम पर भ्रामक जानकारियां, अशुद्ध अश्लील बातें लिख देते हैं, ऐसे भ्रम फैलाने वालों से रहें सावधान ! जहां कोई गुरू बनने के लिये व साधनात्मक सामग्री के लिये मनमाने पैसे एंठ रहे हैं वहीं कुछ व्यक्ति अशुद्ध यंत्र व अशुद्ध मंत्र छापकर पुस्तकें निकालकर उनको तंत्र बतलाकर भ्रमित भी करते हैं उनसे भी सावधान रहें !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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