किस रोग में कौन सी यज्ञ औषधि का प्रयोग करें !! Yogesh Mishra

यज्ञ चिकित्सा विज्ञानं अपने आप में एक सम्पूर्ण विज्ञानं है ! एलोपैथी दवा माफियाओं के प्रभाव से यह धीरे धीरे विलुप्त हो गई ! जिसे पुनः जाग्रत करने की आवश्यकता है ! इसी सन्दर्भ में औषधियाँ के मिश्रण को प्रस्तुत कर रहा हूँ !

यज्ञ से यदि किसी रोग विशेष को चिकित्सा के लिए हवन करना हो तो उसमें उस रोग को दूर करने वाली ऐसी औषधियाँ मिलानी चाहिये जिससे हवन करने पर खाँसी न उत्पन्न करती हो ! यह मिश्रण इस प्रकार हो सकता है

( 1 ) साधारण बखारो में तुलसी की लकड़ी , तुलसी के बीज , चिरायता , करंजे की गिरी

( 2 ) विषम ज्वरों में – पाढ़ की जड़ , नागरमोथा , लाल चन्दन , नीम की गुठली , अपामार्ग ,

( 3 ) जीर्ण ज्वरों में – केशर , काक सिंगी , नेत्रवाला , त्रायमाण , खिरेंटी , कूट , पोहकर मूल

( 4 ) चेचक में – वंशलोचन , धमासा , धनिया , श्योनाक , चौलाई की जड़

( 5 ) खाँसी में – मुलहठी , अडूसा , काकड़ा सिंगी , इलायची , बहेड़ा , उन्नाव , कुलंजन

( 6 ) जुकाम में – अनार के बीज , दूब की जड़ , गुलाब के फूल , पोस्त , गुलबनफसा

( 7 ) श्वॉस में – धाय के फूल , पोन्त के डौड़े , बबूल का वक्कल , मालकाँगनी , बड़ी इलायची ,

( 8 ) प्रमेह में – ताल मखाना , मूसली , गोखरु बड़ा , शतावर , सालममिश्री , लजवंती के बीज

( 9 ) प्रदर में – अशोक की छाल , कमल केशर मोचरस , सुपाड़ी , माजूफल

( 10 ) बात व्याधियों में – सहजन की छाल , रास्ना , पुनर्नवा , धमासा , असगंध , विदारीकंद , मैंथी ,

( 11 ) रक्त विकार में – मजीठ , हरड , बावची , सरफोका , जबासा , उसवा

( 12 ) हैजा में – धनियाँ , कासनी , सौफ , कपूर , चित्रक

( 13 ) अनिद्रा में – काकजघा पीपला – मूल , भारंगी

( 14 ) उदर रोगों में – चव्य , चित्रक, तालीस पत्र , दालचीनी , जीरा , आलू बुखारा , पीपरिं ,

( 15 ) दस्तों में – अतीस , बेलगिरी , ईसबगोल , मोचरस , मौलश्री की छाल , ताल मखाना , छूहारा !

( 16 ) पेचिश में – मरोडफली , अनारदाना , पोदीना , आम की गुठली , कतीरा

( 17 ) मस्तिष्क संबंधी रोगों में – गोरख मुंडी , शंखपुष्पी , ब्राह्मी , बच शतावरी !

( 18 ) दांत के रोगों में – शीतल चीनी , अकरकरा , यवूल की छाल , इलायची , चमेली की जड़

( 19 ) नेत्र रोगों में – कपुर , लौंग , लाल चन्दन , रसोत , हल्दी , लोध !

( 20 ) घावों में – पद्माख , दूब की जड़ , बड़ की जटाएं , तुलसी की जड़ , तिल , नीम की गुठली ,आँवा हल्दी !

( 21 ) बंध्यत्व में – शिवलिंग के बीज , जटामासी , कूट , शिलाजीत , नागरमोथा , पीपल वृक्ष के पके फल , गूलर के पके फल , बड़ वृक्ष के पके फल , भट कटाई !

इसी प्रकार अन्य रोगों के लिये उन रोगों की निवारक औषधियाँ मिलाकर हवन सामग्री तैयार कर लेनी चाहिये !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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