भारत की आजादी एक भ्रम अवश्य पढ़ें :Yogesh Mishra

प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों की संख्या बढ़ाने के लिए बहुत बड़े स्तर पर यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका में कत्लेआम किया और यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका के कई देशों को अपने आधीन करने के लिए हारे हुए देशों से अनेक तरह की संधियां की ! परिणाम यह हुआ के नये उभरते हुये महासाम्राज्य से अमेरिका को यह चिंता हुई कि यदि ब्रिटेन पूरे विश्व पर अपना उपनिवेशिक प्रभुत्व जमा लेगा, तो भविष्य में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में अमेरिका को भी ब्रिटेन के अधीन होना पड़ेगा !

अतः अमेरिका के विचारशील राजनेताओं ने इस विषय पर गंभीर चिंतन किया और यह निर्णय लिया कि “आज ब्रिटेन का साम्राज्य उसके लूट के आर्थिक समर्थता पर टिका हुआ है ! यदि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया जाए तो ब्रिटिश साम्राज्य आर्थिक रूप से कमजोर होकर समिट जाएगा !

इसी योजना के चलते ब्रिटेन के निकट यूरोप के 2 बड़े देश जर्मन और इटली को अमेरिका ने ब्रिटेन को तबाह करने के लिए संरक्षण प्रदान करना शुरू किया ! कालांतर में इटली के नेता मुसोलिनी और जर्मन के नए उभरते हुए नेता एडोल्फ हिटलर को अनेक तरह की गोपनीय मदद अमेरिका द्वारा की जाने लगी जिसके पीछे एकमात्र उद्देश्य था ! ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करना ! जर्मन के अंदर ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की रीड समझे जाने वाले यहूदी व्यवसायी के रूप में बहुत बड़ी संख्या में व्यापार करते थे ! अमेरिका के इशारे पर हिटलर की मदद से इन यहूदियों को जर्मन में चुन-चुनकर मार दिया गया ! जिससे ब्रिटेन हिटलर के इस कृत्य से घबरा गया और ब्रिटेन ने फ्रांस, रूस व अमेरिका की मदद से जर्मन के ऊपर आक्रमण कर दिया !

जिसमें जर्मन के वैज्ञानिक संसाधनों को हड़पने के लिए अमेरिका ने खुले रुप से ब्रिटेन की द्वितीय विश्वयुद्ध में मदद की किंतु अंदर-अंदर हिटलर के प्रति अपना सहयोग भी बनाए रखा ! यही वजह है के जब ब्रिटेन और रूस की सेना ने जर्मन को नष्ट कर कर दिया तो हिटलर को गुप्त मार्ग से निकालकर अमेरिका ने अपने यहां शरण दी, जहां वर्ष 1962 तक हिटलर अपनी प्रेमिका के साथ जीवित रहा !

जबकि दुनियां को यह बतलाया गया कि हिटलर ने 1945 में बर्लिन स्थित भूमिगत बंकर में आत्महत्या कर ली थी ! लेकिन अमेरिका से हुए एक गुप्त समझौते के तहत हिटलर अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन को लेकर दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना चला गया था ! जहां उसकी मृत्यु 1962 में हुई ।

जिसके सबूत में एक विश्व प्रसिद्ध किताब के लेखक “जेरार्ड विलियम्स” का कहना है कि “अब तक हिटलर और ईवा ब्राउन की मौत के कोई भी फोरेंसिक सबूत नहीं मिले हैं। इसके अलावा अर्जेंटीना में इन दोनों के होने के बारे में कई प्रत्यक्षदर्शियों की कहानियां भी इस बात की गवाही देती हैं।“ उन्होंने ‘ग्रे वुल्फ: एस्केप ऑफ एडॉल्फ हिटलर’ नामक किताब में अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी पर यह भी आरोप लगाया गया है कि नाजी युद्ध प्रौद्योगिकी तक पहुँच के लिए बदले अपने पूर्व साथी एडॉल्फ हिटलर को अमेरिका ने पलायन करने की अनुमति दी थी । “

हिटलर के इस अमेरिका पलायन के बाद जर्मन के बहुत से वैज्ञानिकों ने भी अमेरिका में शरण ले ली ! आज अमेरिका का जो हथियार उद्योग है, वह जर्मन के इन्हीं वैज्ञानिकों की खोज पर विकसित और निर्भर है ! इसी के बाद अमेरिका पूरे विश्व से वैज्ञानिकों को नौकरी देने लगा जो आज भी जारी है !

ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की अमेरिका की योजना पूरी तरह सफल हो गई थी ! अर्थ अभाव के कारण द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन ने अपने आधीन उपनिवेशों को “उपनिवेशिक दर्जे की आजादी” देने का निर्णय लिया ! जिससे इस उपनिवेशों के संचालन का आर्थिक बोझ से ब्रिटेन के ऊपर न रहे ! इस हेतु तत्काल पूर्व से निष्क्रीय रही एक संस्था “कॉमनवेल्थ” को सक्रीय किया गया ! जिसकी मुखिया ब्रिटेन की महारानी थी और ब्रिटेन ने अपने आधीन सभी उपनिवेशों को कॉमनवेल्थ संस्था के दायरे में “उपनिवेशिक दर्जे की आजादी” प्रदान कर दी ! जिसमें भारत भी था ! जिसे दुर्भाग्यवश उपनिवेशिक देश आज तक अपनी पूर्ण आजादी मानते हैं !

इस पर कोई भी भारतीय राष्ट्रवादी नेता किसी भी तरह की न तो कोई टिप्पणी करना चाहता है और न ही “आजादी के गुप्त दस्तावेजों” को जनता के समक्ष रखना चाहता है ! भारत के आम आवाम को जब तक आजादी के गुप्त दस्तावेजों की पूरी जानकारी नहीं होगी ! तब तक यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि “भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य” है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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