नमक की विश्वव्यापी राजनीति और भारत Yogesh Mishra

नमक एक ऐसी आवश्यकता है जिसके बिना व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता है ! अंग्रेजों ने मनुष्य की इस कमजोरी को अपने आर्थिक लाभ के लिये प्रयोग किया और मात्र भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जहाँ जहाँ उनका शासन था वहां वहां उन्होंने कानून बना कर नमक पर अपना एकाधिकार कर लिया ! उस समय भारतीयों को भी नमक बनाने का अधिकार नहीं था ! हमारे पूर्वज भी इंगलैंड से आने वाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देते थे ! गाँधी ने इस समस्या को समझा और जान सहयोग से इस काले कानून के विरुद्ध सत्याग्रह कर दांडी मार्च निकला !

जर्मन विद्वान एम जे स्लेडन ने अपनी पुस्तक साल्ज में लिखा कि नमक कर और तानासाही में सीधा संबंध है ! इसका प्रमाण इतिहास देता है कि सर्वाधिक निरंकुश सभ्यताएं वे हैं जिन्होंने कि नमक और उसके व्यापार पर कर लगाया है ! नमक कर सबसे पहले चीन में लगाया गया था ! 300 इसा पूर्व में लिखी गई पुस्तक ग्वांजी में नमक कर लगाने की अनुशंशा की गई है जिस पर आगे चीन की सरकार ने अपने गुलामों को नियंत्रित करने के लिये कार्य किया था ! और इसके लिये विभिन्न क़ानूनी तरिकों का प्रयोग किया था ! यह प्रसिद्ध है कि ग्वांजी की अनुशंशायें जल्दी ही चीनी सरकारों की नमक नीति बन गई ! एक समय नमक कर चीन के कुल राजस्व का आधा था और इस कर ने चीन की दीवार के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है !

चंद्रगुप्त शासनकाल में नमक का चौथाइ हिस्सा कर के रूप में लिया जाता था ! मुगलों के समय हिंदुओं से 5% और मुसलमानों से 2 .5% नमक कर लिया जाता था ! 1759 में ब्रिटिशों ने जमीन की लगान दुगनी कर दी और नमक के परिवहन पर भी कर लगा दिया ! 1767 को तंबाकू और नारियल के बाद 7 अक्टूबर 1768 को नमक पर भी कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया ! 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने नमक कर को फिर से कंपनी के अंतर्गत कर दिया ! उसने इस कर संग्रह के लिए एजेंट बनाये !

कंपनी सर्वाधिक बोली लगाने वालों को पट्टों पर जमीन देती थी ! इसने मजदूरों के शोषण को जन्म दिया ! 1788 में नमक थोक विक्रेताओं को निलामी के लिये दिया जाने लगा ! अंग्रेजों ने नमक के दाम को एक रुप्ए से बढ़ाकर 4 रूप्ए कर दिया ! यह अत्यधिक दर्दनाक स्थिती थी ! जिस कारण देश में केवल कुछ लोग ही नमक के साथ भोजन करने में समर्थ थे ! 1802 में उड़िसा के विजय के बाद अंग्रेजों ने नमक के उत्पादन पर कर बढ़ा दिया और भारतीयों को मलंगी कर्ज में डूबकर दास बनते गये !

19वीं सदी के आरंभ में नमक कर को अधिक लाभदायक बनाने के लिये और उसकी तस्करी को रोकने के लिये ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे देश में नमक यातायात जाँच केंद्र बनाये ! जी एच स्मिथ ने एक सीमा खिंची जिसके पार नमक के परिवहन पर अधिक कर देना पड़ता था ! 1869 तक यह सीमा पूरे भारत में फैल गई ! 2300 मील तक सिंधु से मद्रास तक फैले क्षेत्र में लगभग 12 हजार लोग तैनात किये गये थे ! यह कांटेदार झाड़ियों, पत्थरों, पहाड़ों से बनी सीमा थी जिसके पार बिना जाँच के नहीं जाया जा सकता था !

1923 में लॉर्ड रीडिंग के समय में नमक कर को दुगुना करने का विधेयक पास किया गया ! 1927 में पुनः विधेयक लाया गया जिस पर विटो लग गया ! 1835 के नमक कर आयोग ने अनुशंशा की कि नमक के आयात को प्रोत्साहित करने के लिए नमक पर कर लगाया जाना चाहिये ! बाद में नमक के उत्पादन को अपराध बनाया गया ! 1882 में बने भारतीय नमक कानून ने सरकार को पुनः नमक पर एकाधिकार दे दिया !

इसी को लेकर नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया ! जो कि उनके प्रमुख आंदोलनों में से एक था ! 12 मार्च 1930 में बापू ने अहमदाबाद के पास स्थित मांधी साबरमती आश्रम से 39 अनुयायियों के साथ दांडी गांव गुजरात तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था और 6 अप्रैल 1930 को नमक कानून तोड़ दिया और नमक नियंत्रण पर ब्रिटिश शासन के अंत की घोषणा की !

उनका यह नमक मार्च ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ था ! अहिंसा के साथ शुरू हुआ यह मार्च ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत का बिगुल बन कर उभरा ! उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत ने चाय, कपड़ा, यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था ! उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था ! हमारे पूर्वजों को इंगलैंड से आने वाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे ! बापू के इस सत्याग्रह को दांडी मार्च के नाम से भी जाना गया !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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