बौद्ध धर्म की उत्पत्ति और विकास में सहायक लोगों का परिचय : Yogesh Mishra

बौद्ध धर्म कभी धर्म प्रचारक आंदोलन के रूप में विकसित नहीं हुआ था ! किन्तु फिर भी बौद्ध के भाई आनंद की अच्छी प्रचार व्यवस्था के कारण यह भारतीय उपमहाद्वीप में बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार दूर-दूर तक हुआ और फिर वहां से यह ज्ञान पूरे एशिया भर में फैल गया और इसने तत्कालीन राजाओं के सहयोग से बहुत जल्द गुरुकुलों पर कब्ज़ा कर लिया !

इस्ला‍म के उदय के बाद सबसे ज्यादा नुकसान बौद्धों ने ही झेला पड़ा क्योंकि 300 ईसा पूर्व से ही बौद्ध धर्म तुर्क, एलेक्ज़ेंड्रिया, इराक और ईरान के कुछ हिस्सों सहित संपूर्ण अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, किरगिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, चीन के युयान एवं जिंगसियांग प्रांत, तिब्बत, थाइलैंड, लाओस, कम्बोडिया, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, मंचूरिया, साइबेरिया और यूरोपीय रूस में कैस्पियन सागर के नजदीक आदि क्षेत्रों में अपनी जड़े जमा चुका था !

गौतम बुद्ध के प्रमुख शिष्य आनंद, अनिरुद्ध, महाकश्यप, रानी खेमा (महिला), महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, उपाली आदि थे ! जो समस्त बौद्ध विहारों की व्यवस्था देखते थे !

गौतम बुद्ध के प्रमुख प्रचारक डाकू अंगुलिमाल, मिलिंद (यूनानी सम्राट), सम्राट अशोक, ह्वेन त्सांग, फा श्येन, ई जिंग, हे चो, बोधिसत्व आदि थे ! जिन्होंने सम्पूर्ण आर्यावर्त में बौद्ध दर्शन का प्रचार प्रसार किया था !

गौतम बुद्ध का एक शिष्य बनारस के द्रोंण मिश्र नामक नास्तिकवादी औघड़ ब्राह्मण से हुआ था ! जो बुद्ध के भाई आनंद की खोज थी ! जो अन्त तक गौतम बुद्ध के साथ रहा ! आनंद जो जनता को प्रवचन में बतलाते थे ! वह सब कुछ द्रोंण मिश्र ही आनंद को लिख कर दिया करते थे ! जो आज गौतम बुद्ध के नाम से बौद्ध ज्ञान के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है !

आनंद, बुद्ध के भाई थे और बुद्ध के दस सर्वश्रेष्ठ शिष्यों में से एक हैं ! यह लगातार बुद्ध की संगत में रहे हैं और इन्हें गुरु का सर्वप्रिय शिष्य माना जाता था ! जबकि बताते हैं आनंद को बुद्ध के निर्वाण के पश्चात प्रबोधन प्राप्त हुआ था ! वह अपनी स्मरण शक्ति के लिये प्रसिद्ध थे !

महाकश्यप मगध बिहार के ब्राह्मण थे ! जो तथागत के नजदीकी शिष्य बन गये थे ! इन्होंने प्रथम बौद्ध अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी !

रानी खेमा सिद्ध धर्मसंघिनी थीं ! यह बीमबिसारा की रानी थीं और अति सुंदर थीं ! आगे चलकर खेमा बौद्ध धर्म की अच्छी शिक्षिका बनीं !

महाप्रजापति बुद्ध की माता महामाया की बहन थीं ! इन दोनों ने राजा शुद्धोदन से शादी की थी ! गौतम बुद्ध के जन्म के सात वर्ष पश्चात महामाया की मृत्यु हो गई ! तत्पश्चात महाप्रजापति ने उनका अपने पुत्र जैसे पालन-पोषण किया ! राजा शुद्धोदन की मृत्यु के बाद बौद्ध मठ में पहली महिला सदस्य के रूप में महाप्रजापिता को स्थान मिला था !

मिलिंदा यूनानी राजा थे ! ईसा की दूसरी सदी में इनका अफगानिस्तान और उत्तरी भारत पर राज था ! बौद्ध भिक्षु नागसेना ने इन्हें बौद्ध धर्म की दीक्षा दी और इन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया था !

सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के अनुयायी और अखंड भारत के सम्राट थे ! इन्होंने ईसा पूर्व 207 ईस्वी में मौर्य वंश की नींव को मजबूत किया था ! अशोक ने कई वर्षों की लड़ाई के बाद बौद्ध धर्म अपनाया था ! इसके बाद उन्होंने युद्ध का बहिष्कार किया और शिकार करने पर पाबंदी लगाई ! बौद्ध धर्म का तीसरा अधिवहशन अशोक के राज्यकाल के 17वें साल में संपन्न हुआ !

सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महिंद और पुत्री संघमित्रा को धर्मप्रचार के लिए श्रीलंका भेजा ! इनके द्वारा श्रीलंका के राजा देवनामपिया तीस्सा ने बौद्ध धर्म अपनाया और वहां ‘महाविहार’ नामक बौद्ध मठ की स्थापना की ! यह देश आधुनिक युग में भी थेरवाद बौद्ध धर्म का गढ़ है !

कुषाण राजा कनिष्क के विशाल साम्राज्य में विविध धर्मों के अनुयायी विभिन्न लोगों का निवास था ! कनिष्क बौद्ध धर्म का अनुयायी था और बौद्ध इतिहास में उसका नाम अशोक के समान ही महत्त्व रखता है ! आचार्य अश्वघोष ने उसे बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था ! इस आचार्य को वह पाटलिपुत्र से अपने साथ लाया था, और इसी से उसने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी !

फ़ाह्यान का जन्म चीन के ‘वु-वंग’ नामक स्थान पर हुआ था ! उसने लगभग 399 ई. में अपने कुछ मित्रों ‘हुई-चिंग’, ‘ताओंचेंग’, ‘हुई-मिंग’, ‘हुईवहई’ के साथ भारत यात्रा प्रारम्भ की ! फ़ाह्यान की भारत यात्रा का उदेश्य बौद्ध हस्तलिपियों एवं बौद्ध स्मृतियों को खोजना था ! फ़ाह्यान बौद्ध धर्म का अनुयायी था, इसीलिए फ़ाह्यान ने उन्ही स्थानों के भ्रमण को महत्त्व दिया, जो बौद्ध धर्म से संबंधित थे !

भारत में ह्वेन त्सांग ने बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया था और उन्होंने अपना अधिकांश समय नालंदा मठ में बिताया था ! जो उस समय बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था ! यहां उन्होंने संस्कृत, बौद्ध दर्शन एवं भारतीय चिंतन में दक्षता हासिल करने के बाद अपना संपूर्ण जीवन बौद्ध धर्मग्रंथों के चीनी भाषा के अनुवाद में लगा दिया था !

उसने अपने जीवन में लगभग 657 ग्रंथों का अनुवाद किया था और 520 पेटियों में उन्हें भारत से चीन ले गये थे ! इसमें बौद्ध महायान के कुछ अत्यधिक महत्वपूर्ण ग्रंथ भी शामिल हैं ! आज चीन में प्रसारित बौद्ध धर्म के ज्ञान में ह्वेन त्सांग के अनुवादित ग्रंथों की महत्वपूर्ण भूमिका है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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