तमाम न्यूज़ चैनलों पर ज्योतिष के दिग्गज अपने ज्योतिष की दुकान चमकने के लिये आये दिन भारतवर्ष की जन्मपत्रिका का आंकलन कर आने वाले साल में देश के ज्योतिषीय लाभ-हानि पर अपना मत प्रकट करते हैं ! लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की जन्मपत्रिका एक भ्रामक प्रचार मात्र है !
चौंकिए मत, मेरे ऐसा कहने के पीछे कुछ विशेष ज्योतिषीय कारण हैं ! आज हम ऐसे ही कुछ कारणों व तथ्यों की जानकारी अपको देंगे ! जिसके आधार पर आप यह स्वयं तय कर सकेंगे कि भारत की कुंडली की कितनी सच्चाई है !
ज्योतिष का पहला सिद्धान्त – जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं होता है !
किसी भी जड़ वस्तु का ज्योतिषीय विश्लेषण जातक फलित ज्योतिष पद्धति से नहीं हो सकता है ! फ़िर चाहे वह देश हो, खेत-खलिहान हो या मकान इत्यादि हो ! इसके लिये या फिर मात्र मेदनी ज्योतिष से गणना करना चाहिये या उनके ज्योतिषीय विश्लेषण के लिये जिस व्यक्ति का उस वस्तु पर आधिपत्य हो उसकी जन्मपत्री का विश्लेषण किया जाना चाहिये ! न कि उस वस्तु का ! जैसे यदि किसी राज्य का विश्लेषण करना हो तो वह उसके राजा की जन्मपत्री के आधार पर किया जायेगा !
दूसरा भारत की प्रचलित कुंडली ही गलत है !
यदि हम यह मान भी लें कि भारतवर्ष की कुंडली के आधार पर भारत के भविष्य के संबंध में कुछ भविष्यवाणियां की जा सकती हैं तो उसके लिये भारत की प्रामाणिक जन्मपत्रिका का होना आवश्यक है ! अभी तक तथाकथित ज्योतिषीगण जिस जन्मपत्री को भारत की जन्मपत्रिका बताकर उसका विश्लेषण करते हैं ! वह जन्मपत्रिका सर्वथा असत्य व गलत है !
ऐसा मैं इसलिये कह रहा हूं कि जन्मपत्रिका के निर्माण के लिये जातक के जन्म की सही तारीख, समय व स्थान की आवश्यकता होती है ! मैने मान लिया कि नये भारत के जन्म का तारीख और स्थान तो सही है ! पर जो समय रात्रि 12 बजे का लिया जाता है ! वह समय गलत है ! क्योंकि यह समय आजादी के कार्यक्रम के शुरू होने का समय था ! जबकि नये भारत के जन्म का समय वह माना जायेगा जब भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू ने शपथ ली थी ! जो कि कार्यक्रम शुरू होने के लगभग 2 घंटे बाद का समय था ! इस तरह कुण्डली रात्रि 12 बजे की नहीं बल्कि 02 बजे रात्रि की बनेगी जिसमें प्रचलित कुण्डली से सब कुछ बदल जायेगा !
तीसरा भारत का जन्म नहीं मात्र विभाजन हुआ था !
भारत के संबंध में यह तीनों ही अप्राप्त हैं ! अब आप शायद मेरी बातों का विश्वास न करें क्योंकि आप कहेंगे भारत का जन्म तो 15 अगस्त सन् 1947 को रात्रि 12:00 बजे हुआ था ! भारतवर्ष की बताई जाने वाली जन्मपत्रिका भी इसी समय व दिनांक के आधार पर बनी हुई होती है लेकिन यह पूर्णत: गलत है क्योंकि जन्म तो पाकिस्तान का हुआ था न कि भारत का ! भारत का तो विभाजन हुआ था ! विभाजन के आधार पर यदि भारत का जन्म मानें तो भारत का विभाजन तो यह गलत है भारत माँ थी जिससे पाकिस्तान नामक दो जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था ! यहाँ पर जन्म लेने वाले बच्चे पाकिस्तान की कुण्डली बनेगी न कि जन्म देने वाली माँ की ! वैसे भी इससे पूर्व भी भारत का कई बार विभाजन हो चुका था ! अत: भारत के जन्म अर्थात निर्माण के संबंध में कोई दिनांक व समय प्राप्त ही नहीं है तो फ़िर जन्मपत्रिका का निर्माण कैसे हो सकता है !
चौथा समान कुंडली में दो विरोधी भविष्य कथन कैसे हो सकता है !
14 एवं 15 अगस्त को रात्रि 12.00 बजे को आधार मानकर निर्माण की जाने वाली कुंडलियों में चन्द्र को छोड़कर सभी ग्रहों व लग्नादि की समानता है क्योंकि ग्रह परिवर्तन सामान्यत: कम से कम 1 माह में ही होता है ! अत: जब कुंडली एक ही समान हैं तो दोनों देशों के फ़लित अलग-अलग कैसे हो सकते हैं ? यहाँ मात्र नक्षत्र बदलने से महादशा चक्र में कुछ परिवर्तन होगा ! जिससे घटना क्रम मात्र बदलेगा और कुछ नहीं ! इसका निर्णय आप स्वयं कीजिये !
पांचवां विषय विभाजन के आधार पर भी समय अलग नहीं हो सकता है !
हम यदि भारत के विभाजन को भी जन्मपत्रिका निर्माण का आधार मानें वह भी सर्वथा गलत है ! क्योंकि विभाजन का समय अलग-अलग नहीं हो सकता है ! यह तो जिस दिन पाकिस्तान का निर्माण किया गया था ! ठीक उसी समय वर्तमान भारत भी अस्तित्व में आ गया था ! तो फ़िर दोनों देशों का निर्माण समय अलग-अलग कैसे माना जा सकता है ! स्वतंत्रता या परतंत्रता ज्योतिष का आधार नहीं हो सकता है !
इसके अलावा भी नेहरू ने जरुर 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली थी लेकिन माउन्ट वेटन तो 21 जून 1948 तक भारत के सर्वोच्च पद पर वायसराय के रूप में बैठा था ! तो इस तरह भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को नहीं बल्कि 21 जून 1948 को मिली थी जब चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली थी या फिर 26 जनवरी 1950 को जब भारत का नया संविधान लागू हुआ !
अत: उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतवर्ष की कुंडली बनाकर उसका फ़लित व भविष्य विश्लेषण की बातें करना नितांत असत्य व भ्रामक है !