हनुमान ने अपने पराक्रम से एक लाख किंकर, अकंपान, जंबुमाली, अक्षय, देवांतक, तृषिरा, ध्रुमराक्स, कालनेमि, अहिरावण, महिरावण, सिम्हिका का वध और रावण, इंद्रजीत, लंकिनी को परास्त करने के साथ साथ कुंभकरण को घायल कर दिया था !
पर उन्होंने बाल्मीकि रामायण के अनुसार कहीं भी गदा का प्रयोग नहीं किया था ! हनुमान ने लौहे की छड़, वृक्ष और पर्वत के अलावा और किसी अस्त्र का प्रयोग नहीं किया था क्योंकि उनमें ताकत अनंत है !
हनुमान ने रथ या गदा का इस्तेमाल कभी रामायण में किया नहीं क्योंकि उनकी शरीरिक ताकत ही काफी है ! जिससे किसी को भी वह पस्त कर सकते थे !
गदा में किसी शक्ति होने का वर्णन वाल्मिकी रामायण में नहीं है ! पवनसुत के मुष्टि,(घूंसा) लात आदि बहुत शक्तिशाली थे और उनकी ताकत अपरिमित और अविश्वसनीय है ! इसीलिए उनको गदा की आवश्यकता नहीं थी !
वह युद्ध में बड़े बड़े पेड़, शिला से लेकर पर्वत की शृंखला भी अपने हाथ से उठा लेते थे और दुश्मन को नष्ट कर देते थे !
हनुमान जी को गदा गोस्वामी तुलसी दास ने राम लीला के मंचन के लिये दी थी ! जिसे बाद में वैष्णव कथा वाचकों ने कुबेर द्वारा हनुमान को दिया जाना बतला दिया ! हनुमान जी की गदा का नाम कौमोदकी गदा बतलाया है ! जबकि कुबेर का हनुमान की गदा से कोई लेना देना नहीं था !!