कोरोना वायरस का सम्बन्ध कृतिम वर्षा से तो नहीं है ! : Yogesh Mishra

एक स्टडी के मुताबिक पता चला है कि चीन के वुहान के जैविक प्रयोगशाला से शुरू हुआ कोरोना वायरस 122 देशों में पहुंच गया है ! अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस को इमर्जेंसी घोषित कर दिया है ! इसके संक्रमण से विश्व में मरने वाले लोगों की संख्या 4600 को पार कर गई है ! जो कि 30 डिग्री सेल्सियस और 95 फीसदी नमी होने पर भी स्वत: ख़त्म हो जाता है ! इस वायरस का खतरा घर के अंदर बंद तापमान में ज्यादा है और नमी के साथ मेज, दरवाजों के हैंडल, फोन और कीबोर्ड जैसी समतल सतह पर रह सकता है !

मार्च से मई 2020 के दौरान सामान्यतया तापमान 30 से 42 डिग्री तक जाता है जिससे यह वायरस स्वत: ख़त्म हो जायेगा ! किन्तु इस साल 2020 में यह तापमान मार्च में सामान्य से 9 डिग्री सेल्सियस कम रहकर 20 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया ! अभी भी बारिश से इसके घटने की संभावना बनी हुई है ! जिस वजह से कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से फैल रहा है !

जिस वजह से भारत के अधिकांश शिक्षण संस्थान एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठान या अन्य सार्वजनिक प्रयोग के स्थलों को बंद कर दिया गया है ! जिससे भारत के अंदर पहले से ही व्याप्त आर्थिक मंदी और विकट रूप धारण कर रही है लोगों के आय के स्रोत बंद हो रहे हैं और प्रति व्यक्ति आय कम होती जा रही है जो एक प्रगतिशील देश के लिए बहुत बड़ा झटका है !

अब प्रश्न यह है कि यह सब स्वाभाविक है या प्रायोजित है ! आइये इस पर चर्चा करते हैं !

आमतौर पर बारिश तब होती है जब सूरज की गर्मी हवा गर्म होकर हलकी हो जाती है ! और ऊपर की ओर उठती है जैसे जैसे हवा उपर की उठती है ! वैसे वैसे उपर उठी हवा का दबाव कम हो जाता है ! और असमान में एक ऊंचाई पर पहुचने के बाद और वह हवा ठंडी हो जाती है जब इस हवा में हवा और सघनता बाद जाती है !तो बारिश की बूंदे इतनी भारी हो जाती है की वह अब हवा में और नही लटक सकती है और गुरुत्वा आकर्षण बल के कारण वो बूँद बंद कर जमीन पर गिर जाती है !तो यह वह बारिश है जो कुदरती तरीके से अपने आप होती है !

लेकिन दुनिया में ऐसी कई जगह है जहा बारिश न के समान होती है ! या कभी कभी बिल्कुल नही होती है जैसे की आप जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है और यह की अर्थव्यवस्थाका एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है ! और यह किसान कर्ज के तले दबे हुए है या तो समय पर या फिर बिल्कुल बारिश नही होती है तो ऐसे क्षेत्रो में बारिश करने के लिए कृत्रिम बारिश तकनीक का प्रयोग किया जाता है ! इसे ही कृत्रिम बारिश या क्लाउड सीडिंग कहा जाता है जिसमे बादलो को बारिश के अनुकूल बनाकर बारिश करायी जाती है !

इसमें पहले चरण में रसायनों का इस्तेमाल करके वांछित इलाक़े के ऊपर वायु के द्रव्यमान को ऊपर की तरफ़ भेजा जाता है जिससे वे वर्षा के बादल बना सकें !इस प्रक्रिया में कैल्शियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बाइड, कैल्शियम ऑक्साइड, नमक और यूरिया के यौगिक और यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट के यौगिक का प्रयोग किया जाता है ! ये यौगिक हवा से जल वाष्प को सोख लेते हैं और संघनन की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं !

इस चरण में बादलों के द्रव्यमान को नमक, यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट, सूखी बर्फ़ और कैल्शियम क्लोराइड का प्रयोग करके बढ़ाया जाता है !

ऊपर बताये गए पहले दो चरण बारिश योग्य बादलों के निर्माण से जुड़े हैं ! तीसरे चरण की प्रक्रिया तब की जाती है जब या तो बादल पहले से बने हुए हों या मनुष्य द्वारा बनाये गए हों ! इस चरण में सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ़ जैसे ठंडा करने वाले रसायनों का बादलों में छिडकाव किया जाता है, इससे बादलों का घनत्व बढ़ जाता है और सम्पूर्ण बादल बर्फीले स्वरुप में बदल जाते हैं और जब वे इतने भारी हो जाते हैं कि और कुछ देर तक आसमान में लटके नही रह सकते हैं तो बारिश के रूप में बरसने लगते हैं !

सिल्वर आयोडाइड को निर्धारित बादलों में प्रत्यारोपित करने के लिए हवाई जहाज, विस्फोटक रौकेट्स या गुब्बारे का प्रयोग किया जाता है !इस तकनीक को 1945 में विकसित किया गया था और आज लगभग 40 देशों में इसका प्रयोग हो रहा है ! कृत्रिम वर्षा कराने के लिए इसी प्रक्रिया का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है !

ध्यान रहे चीन ने मौसम सुधार तकनीको के जरिये प्रतिवर्ष 60 अरब घन मीटर की अतिरिक्त कृत्रिम वर्षा करवाने का लक्ष्य रखा है जिसे वह 2020 तक हासिल करना चाहता है ! जिसके लिये वह पहले से ही काम कर रहा है ! चीन के वित्तमंत्रालय ने इसके लिये 3 करोड़ डॉलर की राशि निर्धारित की है !

वैसे चीनी वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से मौसम मे परिवर्तन की कोशिश कर रहे है और इसमे उन्हें शुरूआती सफलता भी मिली है ! मौसम परिवर्तन मे चीन का मुख्य जोर कृत्रिम वर्षा पर है ! चीनी वैज्ञानिक सूखे की स्थिति मे कृत्रिम वर्षा करवाने , ओलावृष्टि को कम करने तथा अंतराष्ट्रीय आयोजनों के दौरान आसमान को साफ़ रखने के लिए मौसम परिवर्तन टेक्नोलोजी का इस्तेमाल कर रहे है ! चीन ने 2008 के ओलम्पिक खेलों मे आसमान से धुंध और धुएं के बादल हटाने के लिए मौसम सुधार तकनीक का सफल प्रदर्शन किया था !

अत: कोरोना के साथ इस विषय पर भी विचार करना चाहिये !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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