ईशान दिशा में ही पूजा स्थल क्यों?
ईशान कोण में पूजा स्थल का निर्माण होना सिद्ध होता है।
अब इसके वैज्ञानिक पहलू पर विचार करें तो हम पाएंगे कि सूर्य की किरणें सर्वप्रथम इसी दिशा में प्रकट होती हैं।
वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया है कि सूर्य की किरणों में हमारे शरीर के लिए आवश्यक अनेक पदार्थ निहित होते हैं।
सूर्य की किरणों से हमें विटामिन डी प्राप्त होता है। विटामिन डी हमारे शरीर की अनेक व्याधियों पर नियंत्रण रखता है।
प्रातःकालीन सूर्य का महत्व मानव की मेधा के विकास के साथ विदित होने लगा है।
इस दिशा में मंदिर होने से जब हम प्रातः काल का कुछ समय देव पूजन में व्यतीत करते हैं
तो अनायास हम प्रकृति की अनमोल निधि सूर्य किरणों का भी लाभ ले लेते हैं।
इसके अतिरिक्त उगता हुआ सूरज मनोवैज्ञानिक रूप से हमें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
अतः पूजा स्थल शास्त्रोक्त तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ईशान दिशा में ही होना आवश्यक है।