जय गुरुदेव ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को प्रगट करने का प्रयास किया था ! : Yogesh Mishra

सभी जानते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी और जापान से मदद लेने के कारण ब्रिटेन के युद्ध अपराधी हैं ! जिसे आज भी भारत के दस्तावेजों में स्वीकार किया गया है !

सभी यह भी जानते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र की मौत 18 अगस्त 1945 को जापान के ताइपे के ताईहोकु एयरपोर्ट पर विमान दुर्घटना में नही हुई थी !

जापान में होने वाली विमान दुर्घटना झूठी थी ! इसके अनेकों प्रमाण आज सभी के सामने मौजूद हैं और सभी यह भी जानते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत में गुमनामी के हालत में अपना निर्वहन करना पड़ा था ! तभी उनका संपर्क उस समय के सबसे प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु बाबा जयगुरुदेव से हुआ ! बाबा जयगुरुदेव ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जनता के सामने लाने का निश्चय किया ! जिससे कांग्रेस घबरा गई क्योंकि कांग्रेस या जानती थी कि यदि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जनता के सामने आ गए तो उनका राजनीतिक भविष्य समाप्त हो जायेगा !

23 जनवरी 1975 को कानपुर के फूलबाग के नानाराव पार्क में एक रैली होनी थी ! जिसकी तैयारी कई महीनों से चल रही थी ! बाबा जयगुरूदेव जी महाराज ने सुभाष जयन्ती के अवसर पर कानपुर के फूलबाग के मैदान में लगभग बीस लाख जनता के बीच दहाड़ते हुये कहा था कि “इस रैली में स्वयं नेताजी सुभाष चंद्र बोस आ रहे हैं !” नेताजी के लिये माना जाता है कि प्लेन क्रैश में उनकी अकाल मृत्यु हो चुकी थी ! पर जब लोगों ने इस तरह का दावा सुना तो वो खुद को पार्क तक जाने से रोक नहीं पाए ! मंच पर जय गुरुदेव के आने के बाद सबकी निगाहें नेताजी को ढूंढने लगी ! तभी एक काले रंग की एंबेस्डर गाड़ी आकर मंच के नीचे रुकी और उसके पीछे दो सफेद एंबेसडर गाड़ियां थी !

फिर पता नहीं क्या हुआ मंच पर चप्पल और पत्थर की बरसात होने लगी ! भीड़ पर काबू पाने के लिये पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया ! इसी बीच वह तीनों गाड़ी वहां से बाबा जयगुरूदेव सहित चली गई ! इस घटना के बाद भी उनके प्रति लोगों की आस्था कम नहीं हुई !

बल्कि इस घटना को लेकर जन आक्रोश भारत में इतना ज्यादा बढ़ गया कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 29 जून 1975 को इमरजेंसी लगानी पड़ी ! इमरजेंसी के दौरान जय गुरुदेव को जेल जाना पड़ा ! पहले आगरा जेल और फिर बरेली की सेंट्रल जेल में गुरुदेव को रखा गया ! जेल के बाहर भक्तों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी ! जिसके चलते उन्हें बैंगलोर की जेल में भेजना पड़ा और उसके बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया ! 23 मार्च 1977 को 3 बजे रिहा हुये ! उसके बाद से प्रतिवर्ष उनके भक्त इस दिन को मुक्ति दिवस के रूप में मनाते है तथा 3 बजे तक व्रत रखते हैं !

साल 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद कांगेस की बदहाली शुरू हुई ! इसी दौर में चुनाव आयोग ने कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गाय बछड़े को भी जब्त कर लिया ! रायबरेली में करारी हार के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के हालात देखकर पार्टी प्रमुख इन्दिरा गांधी काफी परेशान हो गयीं ! इस परेशानी की हालत में श्रीमती गांधी तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती का आशीर्वाद लेने पहुंची ! इंदिरा गांधी की बात सुनने के बाद पहले तो शंकराचार्य मौन हो गए लेकिन कुछ देर बाद उन्होंने परामर्श दिया कि आपको बाबा जयगुरूदेव जी से क्षमा मंगनी चाहिये !

किन्तु संकोचवश इंदिरा गांधी पहले स्वयं नहीं गई बल्कि पहले नारायण दत्त तिवारी, मोहसिना किदवई, विजय लक्ष्मी पंडित आदि वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को बाबा जयगुरूदेव के आश्रम मथुरा भेजा, जो आने वाले चुनावों के लिये बाबा से आशीर्वाद ले गये !

तब प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी नवंबर 1979 में उनके मथुरा आश्रम पहुंचीं और आपातकाल में हुई घटनाओं के लिये माफी मांगी ! बाबा जयगुरूदेव उन्होंने माफ़ कर दिया और अपना दाहिना हाथ उठाकर आर्शीवाद दिया ! तभी से आशीर्वाद देता हुआ ‘हाथ का पंजा’ उनकी पार्टी का चुनाव निशान हो गया !

उस समय आंध्र प्रदेश समेत चार राज्यों का चुनाव होने वाले थे ! श्रीमती गांधी ने उसी वक्त राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से अलग हटकर कांग्रेस (आई) की स्थापना कर चुकी थी और चुनाव आयोग को बताया कि अब पार्टी का चुनाव निशान ‘हाथ का पंजा’ होगा ! उन चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई ! लोग मानते हैं कि यह जीत नये चुनाव चिन्ह ‘पंजे’ का कमाल थी ! बहरहाल, उन चुनाव से कांग्रेस पुनर्जीवित हो गयी !

यह है एक संत को छेड़ने की सजा और उसी संत की कृपा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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