ज्योतिष में कैंसर से बचने के उपाय : Yogesh Mishra

कैंसर शब्द या रोग से आज हर कोई परिचित है ! इसका नाम सुनते ही हाथ पांव फूल जाते हैं और मृत्यु सामने दिखने लगती है !कैंसर के 90% प्रतिशत मामलों में मृत्यु हो भी जाती है ! ज्योतिष से कैंसर जैसे भयानक रोग की उत्पत्ति में कौन कौन से ग्रहों का प्रभाव रहता है इसे जाना जा सकता है ! ज्योतिष सृष्टि संचरण की घड़ी है एवं व्यक्ति की जन्म कुंडली सोनोग्राफी है जिसके विश्लेषण से कैंसर की संभावना का पता लगाया जा सकता है ! समय रहते प्रतिकूल ग्रहों को मंत्र जप एवं अन्य उपायों के द्वारा शांत कर इस रोग से बचा जा सकता है !

मानव शरीर में कैंसर की उत्पत्ति में कोशिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ! कोशिकाओं में श्वेत एवं लाल रक्त कण होते हैं ! ज्योतिष में श्वेत रक्त कण का सूचक कर्क राशि का स्वामी चंद्र तथा लाल रक्त कण का सूचक मंगल है ! कर्क राशि का अंग्रेजी नाम कैंसर है तथा इसका चिह्न केकड़ा है ! केकड़े की प्रकृति होती है कि वह जिस स्थान को अपने पंजों से जकड़ लेता है, उसे अपने साथ लेकर ही छोड़ता है !

इसी प्रकार कोशिकाएं मानव शरीर के जिस अंग को अपना स्थान बना लेती है उसे शरीर से अलग करके ही कोशिकाओं को हटाया जाता है ! इसलिए ज्योतिष में कैंसर जैसे भयानक रोग के लिए कर्क राशि के स्वामी चंद्र का विशेष महत्व है ! इसी प्रकार रक्त में लाल कण की कमी होने पर प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है !

ज्योतिष पूर्वजन्म के किये हुए कर्मों का आधार है अर्थात हम ज्योतिष द्वारा ज्ञात कर सकते हैं कि हमारे पूर्वजन्म के किये हुए कर्मों का परिणाम हमें इस जन्म में किस प्रकार प्राप्त होगा ! ज्योतिर्विज्ञान के अनुसार कोई भी रोग पूर्व जन्मकृत कर्मों का ही फल होता है ! ग्रह उन फलों के संकेतक हैं, ज्योतिष विज्ञान कैंसर सहित सभी रोगों की पहचान में सहायक होता है ! पहचान के साथ-साथ यह भी मालूम किया जा सकता है कि कैंसर रोग किस अवस्था में होगा तथा उसके कारण मृत्यु आयेगी या नहीं, यह सभी ज्योतिष विधि द्वारा जाना जा सकता है !

जन्म कुंडली में जब एक भाव पर ही अधिकतर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, विशेषकर शनि, राहु व मंगल से तब उस संबंधित भाव वाले अंग में कैंसर रोग के होने की संभावना अधिक होती है. कैंसर रोग जिस दशा में होता है, उसके बाद आने वाली दशाओं का आंकलन किया जाना चाहिए. यदि यह दशाएँ शुभ ग्रहों की है या अनुकूल ग्रह की है या योगकारक ग्रह की दशा आती है तब रोग का पता आरंभ में ही चल जाता है और उपचार भी हो जाता है ! ज्योतिष में राहु को कैंसर का कारक माना गया है लेकिन शनि व मंगल भी यह रोग देते हैं !

जन्म कुंडली में भावों के अनुसार शरीर से संबंधित ग्रहों के रत्नों का धारण करने से रोग-मुक्ति संभव होती है ! लेकिन कभी-कभी जिसके द्वारा रोग उत्पन्न हुआ है, उसके शत्रु ग्रह का रत्न धारण करना भी लाभप्रद होता है और ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए !

एक बात बहुत स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि मात्र ज्योतिषीय मंत्र-यंत्र से ही किसी रोग का निवारण नहीं किया जा सकता है क्योकि ग्रह स्थितियों को सुधारकर भी आप शरीर में आये भौतिक परिवर्तन को नहीं बदल सकते दूध जब तक दूध है तभी तक उसे बचा सकते हैं ,दही बनने पर वह दूध नहीं हो सकता इसलिए मात्र ज्योतिषीय उपायों के बल पर बैठना घातक होगा क्योकि एक बात बहुत स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि मात्र ज्योतिषीय ,मंत्र,यंत्र से ही किसी रोग का निवारण नहीं किया जा सकता है क्योकि ग्रह स्थितियों को सुधारकर भी आप शरीर में आये भौतिक परिवर्तन को नहीं बदल सकते हैं !

रोगी में सकारात्मक ऊर्जा ,धनात्मक ऊर्जा बढ़ा देंगे जिससे लड़ने की क्षमता बढ़ जाए भाग्य अगर किन्ही नकारात्मक ऊर्जा के कारण बाधित है अथवा नकारात्मक ऊर्जा रोग बढ़ा रही है तो उसे मंत्र हटा देंगे जीवनी शक्ति बढ़ा देंगे पर रोग हो गया तो उसे केवल इनसे ख़त्म करना मुश्किल है !

ज्योतिषीय उपाय , मंत्र के साथ अवचेतन को बल देना बेहतर होता है क्योकि अंततः सारा खेल अवचेतन को ही करना होता है अगर यह निराश हताश हुआ तो फिर न दवा काम करेगी न कोई उपाय इन सभी के साथ-साथ औषधि सेवन, चिकित्सकों के द्वारा दी गई सलाह आदि का पालन किया जाना उतना ही आवश्यक है ! तभी इसका पूर्ण लाभ सम्भव होगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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