कालिदास जी पर माता काली की बड़ी विशेष कृपा थी, इसलिए उनका नाम कालिदास पड़ा था ! अर्थात वह स्वयं को माता काली के दास समझा करते थे !
वह मानते थे कि माता काली की कृपा से कुछ भी पाया जा सकता है ! क्योंकि उन जैसे मूर्ख व्यक्ति को माता काली की कृपा से परम तत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई थी ! जिसके प्रभाव से उन्होंने इस पृथ्वी के शब्द संयोग विज्ञान को भी प्राप्त किया और बहुत से बड़े-बड़े ग्रंथों का निर्माण किया था !
किंतु इसी के साथ यह भी सत्य है कि माता काली अपने भक्तों में अहंकार पैदा नहीं होने देती हैं ! वह अहंकारी के अहंकार को भी नष्ट कर उसे निर्मल बनने के लिए बाध्य कर देती हैं !
ऐसा ही कुछ एक बार कालिदास के साथ भी हुआ ! उन्होंने बहुत से ग्रंथों का निर्माण किया था और शास्त्रार्थ में बहुत से विद्वानों को अपने ज्ञान के आगे झुक आया था ! जिससे उन्हें यह भ्रम हो गया कि वह अब इस पृथ्वी पर सबसे अधिक ज्ञानी हैं !
तब माता काली ने उनके अहंकार को नष्ट करने के लिए इस पृथ्वी पर एक महिला के रूप में शरीर धारण किया !
एक दिन कालिदास व्यक्तिगत यात्रा पर थे ! रास्ते में उन्हें बहुत प्यास लगने लगी ! कुछ समय बाद वह किसी गांव में पहुंचे, जहां एक कुआं पर एक महिला पानी भर रही थी !
कालिदास ने उस महिला से पानी पिलाने के आग्रह किया ! तब उस स्त्री ने कालिदास को देखा और कहा मैं आपको नहीं जानती, पहले परिचय दो, फिर पानी मिलेगा !
कालिदास ने नाम नहीं बताया और कहा कि मैं मेहमान हूं ! काली माता महिला रूप में बोली कि आप सही नहीं बोल रहे हैं ! संसार में दो ही मेहमान हैं, एक धन और दूसरा यौवन !
उस महिला से ज्ञान की यह बात सुनकर कालिदास हैरान हो गयह ! उन्होंने कहा कि मैं सहनशील हूं ! महिला बोली कि यह भी गलत जवाब है ! इस संसार में सिर्फ दो ही सहनशील हैं ! एक धरती जो हमारा बोझ उठाती है, दूसरा पेड़ जो पत्थर मारने पर भी फल ही देते हैं ! अब कालिदास को लगने लगा कि यह महिला बहुत विद्वान है !
उन्होंने फिर कहा कि मैं बहुत हठी हूं ! महिला बोली यह जवाब भी गलत है ! संसार में सिर्फ दो ही हठी हैं ! एक नाखून और दूसरे बाल ! बार-बार काटने पर भी फिर से बढ़ जाते हैं !
इन ज्ञान भरे जवाब सुनकर कालिदास ने महिला के सामने अपनी हार मान ली ! उन्होंने कहा कि मैं मूर्ख हूं, मुझे क्षमा करें देवी !
तब महिला ने कहा कि तुम मूर्ख भी नहीं हो, क्योंकि मूर्ख भी दो ही हैं ! एक राजा जो बिना किसी योग्यता के सभी पर राज करता है और अपने साथ साथ अपने राज्य को भी नष्ट कर देता है ! दूसरे दरबारी जो राजा को खुश करने के लिए गलत बात पर भी झूठी प्रशंसा करते हैं ! जिससे राजा का अहंकार बढ़ता है और राजा आत्म कल्याण के मार्ग से भटक जाता है !
इस तरह का जवाब सुनने के बाद कालिदास महिला रूपी माता काली के पैरों में गिर पड़े और अपने अहंकारी होने पर प्राश्चित करने लगे !
तब माता काली ने कहा कि तुझे अपने ज्ञान का अभिमान हो गया था ! इसीलिए मुझे तेरा अभिमान तोड़ना पड़ा ! कालिदास ने माता से क्षमा मांगी और कहा अब से वह कभी भी अभिमान नहीं करेंगे !!