हिन्दू सम्राट हर्षवर्धन ने बनाया था इलाहाबाद का किला । पूरा सत्य जरूर पढ़ें । share करें ।

मित्रो हिन्दू सम्राट हर्षवर्धन पिता का नाम ‘प्रभाकरवर्धन’ था। हर्षवर्धन का शासनकाल 606 से 647 ई० तक था | 41 वर्षों के शासन काल में हर्षवर्धन ने अपने साम्राज्य का विस्तार जालंधर, पंजाब, कश्मीर, नेपाल एवं बल्लभीपुर तक कर लिया था। जनरल कनिंघम और बाणभट्ट के अनुसार हर्षवर्धन वैसे तो सूर्यवंशी क्षत्रिय थे !

लेकिन चीनी यात्री युवेन संग के अनुसार हर्षवर्धन कला और वस्तु के स्वयं श्रेष्ठ पंडित थे । वह वीणा बजाते थे । उसकी लिखी तीन नाटिकाएँ नागानंद, रत्नावली और प्रियदर्शिका संस्कृत साहित्य की अमूल्य निधियाँ हैं। उनकी राजधानी कन्नौज थी और तीर्थ राज प्रयाग में वह प्रति पाँचवें वर्ष अपना सर्वस्व दान कर दिया करते थे । इसके लिए वह एक बहुत बड़ा धार्मिक समारोह प्रयाग में आयोजित करते थे । इन समारोहों में स्वयं युवेन संग भी उपस्थित हुए थे।

हर्षवर्धन ने अपने शासन काल मे अनेकों किले, सरोवर तथा उद्यानो का निर्माण करवाया था जिसमे से संगम के तट पर स्थापित इलाहाबाद (प्रयाग) का किला एवं रेल्वे स्टेशन के निकट उद्यान (खुशरोबाग) हर्षवर्धन द्वारा 625 ई० मे निर्मित करवाया गया था | मुगलो के शासन काल मे जब छल और बल से अकबर ने प्रयाग (इलाहाबाद) तक अपना साम्राज्य विस्तार किया तो सर्वप्रथम उसने प्रयाग का नाम बदलकर अल्लाहबाद कर दिया जिसे अंग्रेज़ो ने अपने शासन काल मे इलाहाबाद कर दिया |

आज भी इलाहाबाद मे प्रयाग रेलवे स्टेशन मौजूद है | अकबरनामा के अनुसार वर्तमान रेलवे स्टेशन के निकट स्थित खुशरोबाग जो अकबर के अय्याश पोते (खुशरो जहांगीर का बेटा) के नाम पर स्थित है वह वास्तव मे राजा हर्षवर्धन का स्थायी समारोह स्थल था | माघ के एक मास के दौरान राजा हर्षवर्धन स्थायी रूप से अपने शासन सत्ता के पदाधिकारियों एवं परिवार के साथ स्थायी रूप से तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पर स्थित किले में निवास करते थे |

दैनिक कला प्रदर्शन को देखने के लिए हर रोज रथ यात्रा द्वारा संगम तट स्थित किले से देव उद्यान (खुशरो बाग) तक जाकर वह विभिन्न कलाकारों की कलाओं का आनंद लेते थे और उन्हें पुरस्कृत करते थे | माघ के अंतिम सप्ताह मे विस्तृत यज्ञ कर ब्राह्मणो को अपना सर्वस्व दान करके वापस अपनी राजधानी कन्नौज लौट जाया करते थे | इस कार्यक्रम के दौरान संपूर्ण राज्य में ना तो कोई शादी विवाह होते थे और न ही किसी भी तरह का कोई भवन निर्माण आदि कार्य उत्सव कार्यक्रम के दौरान हुआ करते थे, जो परंपरा समाज में आज भी खरमास में विवाहादि, भवन निर्माण, उत्सव आदि न करने के रुप में प्रचलित है |

राजा हर्षवर्धन के इसी सर्वस्व दान से प्रेरित होकर उनकी प्रजा भी उस उत्सव में ब्राह्मणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान किया करती थी यही परंपरा आज भी मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज तीर्थ के तट पर खिचड़ी दान या सामर्थ्य अनुसार दान करने की चली आ रही है |

इस तरह यह स्पष्ट है कि इलाहाबाद का किला एवम देव उद्यान (खुशरो बाग) का निर्माण अकबर ने नही बल्कि राजा हर्षवर्धन ने किया था |

इलाहाबाद के किले का वस्तु जिसमे अनेक हिन्दू वस्तु के प्रतीक चिह्न उपलब्ध है, अति प्राचीन स्थापित पुराणों मे वर्णित अक्षय वट, देव वृक्ष एवं किले मे स्थापित अनेक देव मंदिर यह सीध करते है की किले का निर्माण किसी हिन्दू राजा के द्वारा करवाया गया था |

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …