जानिए राष्ट्रों की संप्रभुता के हत्यारे : Yogesh Mishra

प्रथम विश्वयुद्ध तो ब्रिटेन ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिये लड़ा था ! लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हारने वाले देशों पर ब्रिटिश सरकार ने यह दबाव डाला कि जब हम आपके देश पर नियंत्रण करने के लिये आये तो आपने मेरा विरोध क्यों किया ! इस हेतु जो युद्ध मुझे आपके विरुद्ध लड़ना पड़ा ! उस युद्ध में मेरा जो भी व्यय हुआ है ! वह आपको देना पड़ेगा ! इस स्थिति में विश्व के बहुत से देश ब्रिटेन के कर्जदार हो गये !

जिसके परिणाम स्वरूप जर्मन की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई और जर्मन निवासियों ने यह निर्णय लिया कि वह ब्रिटेन द्वारा जबरदस्ती थोपे गये युद्ध के बदले ब्रिटेन को कोई भी क्षतिपूर्ति नहीं देंगे ! उस स्थिति में एडोल्फ हिटलर को उन्होंने अपना नेता माना ! क्योंकि उस समय के जर्मन के राजनैतिक परिवेश में एकमात्र एडोल्फ हिटलर ही वह नेता था ! जो ब्रिटेन के द्वारा लगाये गये ! इस तरह के जबरदस्ती आर्थिक दण्ड का खुले आम सभी मंचों पर विरोध करता था !

इसी का परिणाम था कि जर्मन के नागरिकों ने हिटलर को जर्मन की सत्ता दे दी और हिटलर ने जर्मन का भविष्य बदल दिया ! उसने भारी सैन्य शक्ति का निर्माण किया और ब्रिटेन को कर देना बंद कर दिया ! इसके साथ ही उसने अपने आसपास के ब्रिटिश आधीन राष्ट्रों को भी जीतना शुरु कर दिया ! तब पहले तो अकेला ब्रिटेन हिटलर के खिलाफ लड़ा और हारता चला गया ! फिर ब्रिटेन की मदद के लिये अमेरिका ब्रिटेन के साथ आ गया !

लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन के संयुक्त प्रयास के बाद भी जब हिटलर को नियंत्रित किया जाना संभव नहीं था ! तब अमेरिका का तथाकथित जानी दुश्मन रूस भी अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर हिटलर के विरुद्ध इस युद्ध में आ गया और जर्मन की हार हो गयी !

और दूसरी तरफ पूर्व एशिया में जापान अपना प्रभाव बढ़ा रहा था ! जिसको अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिरा कर नतमस्तक करवा लिया ! और इस तरह द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया !

इस द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम स्वरूप ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था इतनी बुरी तरह से नष्ट हो गई ! अत: उसे मजबूर होकर अपने आधीन बहुत से देशों को आजादी देनी पड़ी ! किंतु उसने ज्यादातर देशों को दो या दो से अधिक हिस्सों में बांटा और उन सभी को उपनिवेश दर्जे की आजादी दी !

लेकिन इसी के समानांतर ही विश्व की महाशक्तियों ने एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया कि भविष्य में पुनः कोई राष्ट्र इतना सशक्त न हो पाये ! इसके लिये एक विश्व स्तर पर संयुक्त संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन होना चाहिये ! जो सभी राष्ट्रों की नीतियों को देखें और नियंत्रित करे !

इसी के तहत 24 अक्तूबर 1945 को सान फ्रांसिस्को, कैलीफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई ! जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्सरकारी संगठन के निर्माण का यह विश्व का दूसरा सार्थक प्रयास था !

पूर्व के राष्ट्र संघ की असफलता ने एक ऐसे नये संगठन की स्थापना के विचार को जन्म दिया ! जो अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक समतापूर्ण व न्यायोचित बनाने में केन्द्रीय भूमिका अदा कर सकेगी ! यह विचार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर के आक्रामक भय के कारण उभरा था ! जिसमें 5 राष्ट्रमंडल के सदस्यों तथा 8 यूरोपीय निर्वासित सरकारों द्वारा 12 जून, 1941 को लंदन में हस्ताक्षरित एक अंतर-मैत्री उद्घोषणा में इसकी पहली बार सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्ति की गयी थी !

इस उद्घोषणा के अंतर्गत एक स्वतंत्र विश्व के निर्माण हेतु कार्य करने का आह्वान किया गया था ! जिसमें लोग शांति व सुरक्षाकी गारेन्टी हो ! इस घोषणा के उपरांत अटलांटिक चार्टर 14 अगस्त, 1941 पर हस्ताक्षर किये गये !

इस चार्टर को संयुक्त राष्ट्र के जन्म का सूचक माना जाता है ! इस चार्टर पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल तथा अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा अटलांटिक महासागर में मौजूद एक युद्धपोत पर हस्ताक्षर किये गये थे !

अटलांटिक चार्टर ने एक ऐसे विश्व की आशा को अभिव्यक्त किया, जहां सभी लोग भय मुक्त वातावरण में रह सकें तथा निजीकरण एवं आर्थिक सहयोग के मार्ग की खोज कर सकें 1 जनवरी, 1942 को वाशिंगटन में अटलांटिक चार्टर का समर्थन करने वाले 26 देशों ने संयुक्त राष्ट्र की घोषणा पर हस्ताक्षर किये !

यहां पहली बार राष्ट्रपति रूजवेल्ट द्वारा अभिकल्पित नाम संयुक्त राष्ट्र का प्रयोग किया गया इंग्लैंड, चीन, सोवियत संघ तथा अमेरिका द्वारा 30 अक्टूबर, 1943 को सामान्य सुरक्षा से सम्बंधित मास्को घोषणा पर हस्ताक्षर किये गये ! यह घोषणा भी शांति बनाये रखने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के विचार का अनुमोदन करती थी !

नवंबर-दिसंबर 1943 में अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट, ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल तथा सोवियत संघ के प्रधान स्टालिन ने तेहरान में मुलाकात की तथा संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना हेतु विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्श किया ! यह द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मुख्य मित्र राष्ट्र नेताओं की प्रथम बैठक थी !

1944 में अगस्त से अक्टूबर तक सोवियत संघ, अमेरिका, चीन तथा ब्रिटेन के प्रतिनिधियों द्वारा वाशिंगटन के डम्बर्टन ओक्स एस्टेट में कई बैठकें आयोजित की गयीं जिनका उद्देश्य एक शांतिरक्षक संगठन की योजना बनाना था वे एक प्राथमिक योजना का खाका खींचने में सफल हुये !

7अक्टूबर, 1944 को संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावित ढांचे को प्रकाशित किया गया ! इनमें प्रस्तावों पर आगे चलकर याल्टा सम्मेलन (फरवरी 1945) में विचार-विमर्श किया गया, जहां सोवियत संघ, अमेरिका एवं ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक हुई थी ! अंत में अंतर्राष्ट्रीय संगठन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में 50 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुये !

25 अप्रैल, 1945 को सेन फ्रांसिस्को में आयोजित इस सम्मेलन को सभी सम्मेलनों की समाप्ति करने वाला सम्मेलन माना जाता है ! जहां नये संगठन का संविधान तैयार किया गया ! 26 जून, 1945 की सभी 50 देशों ने चार्टर पर हस्ताक्षर किये ! पोलैंड सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सका था किंतु थोड़े समय बाद चार्टर पर हस्ताक्षर करके वह भी संस्थापक सदस्यों की सूची में शामिल हो गया ! लिखित अनुमोदनों की अपेक्षित संख्या अमेरिकी विदेश विभाग में जमा हो जाने के बाद 24 अक्टूबर, 1945 से चार्टर प्रभावी हो गया ! 31 दिसंबर, 1945 तक सभी हस्ताक्षरकर्ता देश चार्टर का अनुमोदन कर चुके थे ! 24 अक्टूबर को प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है !

संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्य को सम्हालने के लिये ! कुछ अन्य सहयोगी संस्थायें भी समय समय पर बनाई गयी हैं !जो आज पूरे विश्व के सभी राष्ट्रों की आतंरिक और बाह्य नीतियों को नियंत्रित करती हैं ! जिन संगठनों में से कुछ महत्वपूर्ण संगठनों की सूची स्थापना दिवस और मुख्यालय के पते के साथ नीचे दी जा रही है !

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम स्थापना : 22 नवंबर 1965, मुख्यालय: न्यू यॉर्क, न्यू यॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन स्थापना : 16 अक्तूबर 1945, मुख्यालय क्यूबेक, कनाडा
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष स्थापना : 27 दिसंबर 1945, मुख्यालय ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर, संयुक्त राज्य अमेरिका
विश्व स्वास्थ्य संगठन स्थापना : 7 अप्रैल 1948, मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड
संयुक्त राष्ट्र महिला स्थापना : जुलाई 2010, मुख्यालय: न्यू यॉर्क, न्यू यॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष स्थापना: 11 दिसंबर 1946, मुख्यालय न्यू यॉर्क, न्यू यॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ स्थापना : 1919 मुख्यालय: मुख्यालय पेरिस
यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी स्थापना : 14 दिसंबर 1950 मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम स्थापना: 5 जून 1972, मुख्यालय नैरोबी, केन्या
प्रकृति के लिये वर्ल्ड वाइड फंड स्थापना : 29 अप्रैल 1961, मुख्यालय: स्विट्ज़रलैण्ड
ग्रीनपीस स्थापना : 1971, मुख्यालय: वैंकूवर, कनाडा
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल स्थापना : 1988, मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड
पेटा (पीपल्स फॉर द ईथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एमिनल्स) स्थापना : 22 मार्च 1980, रॉकविल, मेरीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका

अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि आज विश्व में कोई भी राष्ट्र संप्रभु रूप से स्वतंत्र नहीं है ! आज संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों का निर्धारण विश्व सत्ता करती है और विश्व सत्ता की इच्छा के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व के सभी देशों को नियंत्रित और मार्गदर्शित करता है !

जो देश इसकी बात नहीं मानते हैं ! पहले उनके ऊपर आर्थिक प्रतिबंध लगाया जाता है ! फिर विधिक प्रतिबंध लगाया जाता है और इसके बाद भी जो राष्ट्र नहीं मानते हैं ! उन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की संयुक्त सेना आक्रमण करके उन देशों से अपनी बात मनवा लेती है ! इस तरह आज के विश्व में यह विश्व सत्ता राष्ट्रों के संप्रभुता की हत्यारी है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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