रूस की क्रांति से भारत सबक ले : Yogesh Mishra

उस समय 18 वीं शताब्दी में साम्राज्यवादी ताकतों ने पूरी पृथ्वी पर अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए थे ! विश्व के हर देश के प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक से अधिक कब्जा करने की होड़ यूरोप के सभी देशों के बीच एक प्रतिस्पर्धा के रूप में पैदा हो गई थी !

फ्रांसीसी, डच, ब्रिटिशर्स, पुर्तगाली, स्पेनिशज आदि देशों के लुटेरे पूरी दुनिया को अपने अपने तरीके से कंपनी के नाम पर संगठित गिरोह बनाकर लूट रहे थे !

इन सभी लुटेरों को पृथ्वी के दूसरे देश के रजवाड़ों से सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा था, क्योंकि उस समय तक की जीवन शैली में राजा ही अपने राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार था !

अत: इन लुटेरों ने योजनाबद्ध तरीके से पूरी दुनिया से रजवाड़ों को खत्म करने की योजना बनाई ! जहाँ से लोकतंत्र का जन्म हुआ ! जहां पर रजवाड़े और नागरिक कमजोर थे वहां पर बल से और जहां पर रजवाड़े और नागरिक मजबूत वहां पर छल से काम लिया गया ! जो क्रम आज भी चल रहा है ! विश्व के सभी युद्ध इसी षडयंत्र का हिस्सा हैं !

भारत के अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के दौरान भारत के जिन बड़े-बड़े राजे रजवाड़ों ने सहजता से यूरोपीय आक्रमणकारियों को अपनी संपत्ति नहीं दी, उनके साथ भीषण युद्ध हुये और युद्ध में विजय प्राप्त कर लेने के बाद यूरोपीय आक्रमणकारियों ने उन हारे हुए राजाओं के राज्य को हड़पने के साथ ही वहां के राष्ट्रभक्त युवाओं को सार्वजनिक स्थल पर पेड़ों पर उल्टा लटका कर उनके नीचे आग लगाकर उन्हें जिंदा ही भून डाला !

जिसका वर्णन भारत के किसी भी सरकारी ऐतिहासिक पुस्तक में पाठ्यक्रम में नहीं मिलता है, बल्कि यूरोपियों के बर्बरता पूर्ण शासन व्यवस्था का विरोध करने वालों को आज भी यूरोपीय शासकों की सोच के अनुसार आतंकवादी ही घोषित किया जाता है !
इसी क्रम में आज हम रूस के अंतिम राजा के बलिदान की इतिहास पर विचार करेंगे ! आज रूस के राजा निकोलस द्वितीय और उनके परिवार की हत्या को 104 वर्ष हो गये हैं ! रूस के राजा कम्युनिस्टों की कैद में थे !

कम्युनिस्ट जो कि कार्ल मार्क्स की ओट में यूरोप के यहूदी व्यवसाईयों द्वारा इजाद की गई काल्पनिक विचारधारा थी नही, वह चाहते थे कि राजा के हितैषी उन्हें कैद से निकालकर फिर से राजा बना दे ! इसलिए कम्युनिस्ट नेता व्लादिमीर लेनिन और याकोव स्वेर्डलव ने उन्हें परिवार समेत मरवाने का निर्णय लिया !

याकोव युरोस्की की देख रेख में राजा को इपाटिव हाउस में बंदी बनाया गया था ! इपाटिव हाउस का अर्थ है “विशेष कार्य के लिये बना घर” ! इस घर को बाहर से लकड़ियों से ढक दिया गया था और 100 से 200 लोग इसकी सुरक्षा में तैनात थे !

युरोस्की का व्यवहार बहुत गंदा था सम्राट निकोलस ने लिखा है हम उससे प्रतिदिन ज्यादा नफरत करते है ! रूसी भाषा के अतिरिक्त अन्य भाषा बोलने की आजादी थी, खाने को लिमिटेड खाना मिलता था ! जैसे ही युरोस्की को लेनिन का आदेश मिला 17 जुलाई 1918 को वो राजा को सपरिवार बेसमेंट में ले गया !

राजा रानी के साथ उनकी 4 बेटियां और 1 बेटा भी था ! 4 बच्चे तो अल्पवयस्क ही थे ! इन सभी की बेरहमी से गोली मारकर हत्या की गई ! युरोस्की के लोगो ने रानी और राजकुमारियों के शव के साथ अभद्रता करने का प्रयास तक किया ! उनके शवो को ट्रक में भरकर ले जाया गया और किसी दलदली जगह दफन कर दिया !

लेनिन ने और एक आदेश निकाला कि रानी की बहन एलिजाबेथ को भी मार दो, एलिजाबेथ रूस की रानी की बहन भी लगती थी तथा चाची सास भी थी ! उनका विवाह निकोलस के चाचा से हुआ था ! एलिजाबेथ ने पति के देहांत के बाद अपनी सारी संपत्ति गरीबो को दान कर दी थी !

हालांकि कृष्ण के कर्म का सिद्धांत शायद उन पर लागू नही हुआ ! कम्युनिस्टों ने उन्हें उनके परिवार समेत एक गड्ढे में फेंक दिया और फिर उस गड्ढे में ग्रेनेड से धमाके किये ! सबसे बड़ी बात इन हत्याओं के बाद लेनिन ने रेडियो पर कहा “आज मानवता की विजय हुई”

यही लेनिन आज कन्हैया कुमार, जेएनयू, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया तथा रविश कुमार जैसे लोगो का आदर्श है ! मैंने निकोलस के बारे में जो पढ़ा वो नही लिखता हूं लेकिन आप सभी अपनी अन्तर्रात्मा से पूछे कि रूस का राजा बुरा होगा रानी बुरी होगी लेकिन उन बच्चों और अन्य सदस्यों का क्या दोष था?

आज कम्युनिस्ट मानवता की बात करते नही थकते, बहुत कम लोग जानते होंगे कि लेनिन ने भारत को मुस्लिम राष्ट्र माना था और भारत से अपनी सहानुभूति जताई थी ! यही कारण है कि उसके बनाये सोवियत संघ को भारत पर बहुत प्यार आता था तथा भारत के कम्युनिस्ट भारत को पहले इस्लामिक देश बनाने का प्रयास करेंगे और बाद में मुसलमानो को मारकर वे एक कम्युनिस्ट राष्ट्र का सपना देख रहे है !

इन्हें लगता है हमने कौन सी रूस की क्रांति पढ़ी है लेकिन ये लोग गलत है हमने उस अमानवीय क्रांति को पढ़ा भी है और हम ये भी जानते है कि यह क्रांति नही अपितु गृहयुद्ध था जिसकी मार रूस 104 वर्ष बाद भी झेल रहा है ! रूस के लोग आज तक आजाद नही है वह 104 वर्षो से सिर्फ तानाशाहों के बंधक हैं !

रूस के इस छोटी सी गलती की सजा आज तक रूस भुगत रहा है इससे भारतीयों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए ! वैसे भारत में भी रजवाड़ों को खत्म करने के लिए जिस तरह से काल्पनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था संविधान के नाम पर लागू की गई, उसके पीछे भी बस सिर्फ भारत के प्राकृतिक संसाधनों और भारतीय अर्थव्यवस्था पर यूरोपीय व्यवसायियों का नियंत्रण ही था जिसे आज तक हम ढोते चले आ रहे हैं !

इस संपूर्ण विषय पर एक बार भारत के पुनः उत्थान के लिए पुनर्विचार की गंभीर आवश्यकता है क्योंकि भारत के कल्याण के सभी रास्ते इन षड्यंत्रकारी व्यवसायियों द्वारा बंद किए जा चुके हैं !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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