मूलाधार चक्र कैसे सिद्ध करें ? , मूलाधार चक्र के बारे मे विस्तार से जानें । Yogesh Mishra

मूलाधार चक्र कैसे सिद्ध करें ?

इस चक्र का स्थान मेरु दंड के सबसे निचले  स्थिति होता है ,इसका मूल मंत्र “लं ” है

व्यक्ति को पहले प्राणायाम कर के मूलाधार चक्र पर अपना ध्यान केंद्रित कर मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। धीरे धीरे चक्र जागृत होता है | इससे लाभ यह मिलता है की व्यक्ति के जीवन में लालच नाम की चीज खत्म हो जाता है और एक आत्मिक ज्ञान प्राप्त होता है व्यक्ति अच्छा ज्ञान प्राप्त करता है और जिंदगी में बड़ी से बड़ी जिम्मेवारी लेने की क्षमता बढ़ जाता है। हौसला मजबूत होता है शारीरिक ऊर्जा बढ़ता है |

 

शरीर के अन्दर जिस दिव्य ऊर्जा शक्ति की बात की गई है, उस ऊर्जा शक्ति को कुण्डलिनी शक्ति कहते हैं। यह कुण्डलिनी शक्ति शरीर में जहां सोई हुई अवस्था में रहती है उसे मूलाधार चक्र कहते हैं। मूलाधार चक्र जननेन्द्रिय और गुदा के बीच स्थित है। मनुष्य के अन्दर इस ऊर्जा शक्ति की तुलना ब्रह्माण्ड की निर्माण शक्ति से की जाती है। यही चक्र पूरे विश्व का मूल है। यह शक्ति जीवन की उत्पत्ति, पालन और नाश का कारण है। इसका रंग लाल होता है तथा इसमें 4 पंखुड़ियों वाले कमल का अनुभव होता है जो पृथ्वी तत्व का बोधक है। मनुष्य के अन्दर पृथ्वी के सभी तत्व मौजूद है।

चतुर्भुज का भौतिक जीवन में बड़ा महत्व है, चक्र में स्थित यह 4 पंखुड़ियां वाला कमल पृथ्वी की चार दिशाओं की ओर संकेत करता है। मूलाधार चक्र का आकार 4 पंखुड़ियों वाला है अर्थात इस पर स्थित 4 नाड़ियां आपस में मिलकर इसके आकार की रचना करती है। यहां 4 प्रकार की ध्वनियां- वं, शं, शं, सं जैसी होती रहती है। यह आवाज (ध्वनि) मस्तिष्क एवं हृदय के भागों को कंपित करती रहती है। शरीर का स्वास्थ्य इन्ही ध्वनियों पर निर्भर करता है। मूलाधार चक्र रस, रूप, गन्ध, स्पर्श, भावों व शब्दों का मेल है। यह अपान वायु का स्थान है तथा मल, मूत्र, वीर्य, प्रसव आदि इसी के अधीन है। मूलाधार चक्र कुण्डलिनी शक्ति, परमचैतन्य शक्ति तथा जीवन शक्ति का पीठ स्थान है। यह मनुष्य की दिव्य शक्ति का विकास, मानसिक शक्ति का विकास और चैतन्यता का मूल है।

मूलाधारचक्र पृथ्वी तत्व का प्रतीक है! पृथ्वी तत्व का अर्थ गंध है! संप्रज्ञात का अर्थ मुझे परमात्मा के दर्शन लभ्य होगे या नही होगे ऐसा संदेह होना! इस चक्र मे ध्यान साधक को इच्छा शक्ति की प्राप्ति कराता है! ध्यान फल को साधक को अपने पास नही रखना चाहिये, इसी कारण ‘’ध्यानफल श्री विघ्नेश्वरार्पणमस्तु’’ कहके उस चक्र के अधिदेवता को अर्पित करना चाहिये! मूलाधारचक्र मे आरोग्यवान यानि साधारण व्यक्ति को 24 घंटे 96 मिनटों मे 600 हंस होते है!

 

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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