विश्व सत्ता के इशारे पर नई वैश्विक शिक्षा व्यवस्था : Yogesh Mishra

न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव “बान की मून” ने सितंबर 2012 में वैश्विक शिक्षा व्यवस्था के पहल की शुरुआत कर दी है ! क्योंकि अब विश्व सत्ता के इशारे पर “वैश्विक नागरिकता” को बढ़ावा देना है ! उनकी प्राथमिकताओं में एक “हर बच्चे को स्कूल में भर्ती करना” और दूसरा विश्व सत्ता के प्रति निष्ठा पैदा करने वाली शिक्षा के पाठ्यक्रम का निर्धारण !

श्री बान ने कहा, “शिक्षा का अर्थ महज रोजगार के बाजार में प्रविष्टि होने से कहीं अधिक है ! इसमें एक संवहनीय भविष्य और बेहतर दुनिया को आकार देने की शक्ति भी हो ! जो विश्व सत्ता के नये पाठ्यक्रम की शिक्षा नीतियों में सुधार करके प्राप्त किया जा सकता है !

अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैसे-जैसे 2015 के पश्च्यात के विकास एजेंडा, जिन्हें आमतौर पर सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के रूप में जाना जाता है, को अपनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है ! यह वैश्विक नागरिकता के लिये शिक्षा का नया स्वरूप होगा ! जिससे इस नये पाठ्यक्रम की महत्ता काफी तेजी से बढ़ेगी !

क्योंकि पृथ्वी और उसके निवासियों को प्रभावित करने वाला कोई भी लक्ष्य, दुनिया भर के लोगों और सरकारों द्वारा संकीर्ण राष्ट्रीय हितों से ऊपर उठ कर होना चाहिये ! जिसे राष्ट्र हित से ऊपर सम्पूर्ण ग्रह हित में कार्य किये बिना हासिल नहीं किया जा सकता है !

ब्राजील में जून 2012 में संवहनीय विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि संधारणीय विकास लक्ष्य 2030 (SDGs) को 2015 के बाद के संयुक्त राष्ट्र के सार्वभौमिक भलाई के विकास एजेंडे के साथ सुसंगत किया जाना चाहिये और उसमें इसका एकीकृत भी किया जाना चाहिये !

“रियो” निष्कर्ष दस्तावेज़ द्वारा स्थापित ओपन वर्किंग ग्रुप इसी बीच 17 उद्देश्यों और 169 लक्ष्यों पर सहमत हो गया है ! जिनका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, खपत और उत्पादन के असंवहनीय पैटर्न को बदलना और संवहनीय पैटर्न को प्रोत्साहित करना है और आर्थिक एवं सामाजिक विकास के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और प्रबंधन करना है !

यह 4 दिसंबर 2014 को जारी की गयी श्री बान की “सिंथेसिस रिपोर्ट”, ‘2030 तक आत्मसम्मान का मार्ग” में वर्णित के अनुसार सतत विकास के व्यापक उद्देश्य और अनिवार्य आवश्यकतायें हैं !

श्री बान छः विश्व शिक्षा के लिये आवश्यक तत्वों के एक एकीकृत सेट का प्रस्ताव करते हैं ! जो एक साथ मिलकर सतत विकास हेतु विशेष संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के पहले सदस्य देशों को विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करेंगे और फिर उनको रियो सम्मेलन द्वारा अनिवार्य किये गये ! संक्षिप्त एवं आकांक्षापूर्ण एजेंडे पर पहुंचने में सक्षम रणनीति बनाने के लक्ष्य को पूरा करेंगे ! जिससे समय के अन्दर ही लक्ष्य प्राप्त हो सके !

विश्व सत्ता द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के छह छद्म आवश्यक तत्व हैं ! (1) गरीबी को मिटाना और असमानताओं से लड़ना; (2) स्वस्थ जीवन, ज्ञान और महिलाओं तथा बच्चों का समावेश सुनिश्चित करना; (3) एक मजबूत, समावेशी और परिवर्तनकारी अर्थव्यवस्था विकसित करना; (4) सभी समाजों और अपने बच्चों के लिए हमारे पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना; (5) सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाजों तथा सशक्त संस्थानों को बढ़ावा देना; और (6) सतत विकास के लिए वैश्विक एकजुटता में तेजी लाना !

इनकी ओट में हर देश में राष्ट्र निष्ठा आधारित शिक्षा व्यवस्था ख़त्म करके वैश्विक शिक्षा व्यवस्था लागू की जायेगी ! यह लक्ष्य 2030 तक प्राप्त करना है !

इस नई वैश्विक शिक्षा पाठ्यक्रम में अन्य बातों के साथ-साथ शिक्षा के माध्यम से विश्व का सतत विकास एवं सतत जीवन शैली, मानव अधिकार, लैंगिक समानता, शांति एवं अहिंसा, वैश्विक नागरिकता की संस्कृति को बढ़ावा देना और सतत विकास के लिये विश्व सांस्कृतिक विविधता और विश्व संस्कृति के योगदान को शामिल किया जायेगा !

अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अब शिक्षा में राष्ट्रीय गौरव की बात बीते समय की बात होगी और हमारे जिन पूर्वजों ने राष्ट्र के सम्मान और गौरव के लिये अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया ! वह अब नये वैश्विक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे !

इस नये वैश्विक पाठ्यक्रम में हमारे देश के क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नई विश्व सत्ता की शिक्षा व्यवस्था के तहत आने वाली पीढ़ियों को विद्रोही या आतंकवादी पढ़ाया जायेगा !

अब केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के स्थान पर विश्व शिक्षा बोर्ड होगा ! जो हमें बतलायेगा कि अब विश्व के ज्ञान के आगे हमारी औकात क्या है और क्योंकि हम आधुनिक तकनीकि के आभाव में अपने प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं ! इसलिये हमें अब इस प्राकृतिक संसाधनों को विश्व सत्ता के इशारे पर गैरों के हाँथ में सौंप देना चाहिये और अपने ही देश में उन दूसरे देश के व्यवसायियों के अधीन थोड़े से पैसे के लिये गुलामी करते हुये जीवन निर्वाह करना चाहिये !

जिसके लिये आधुनिक तकनीकि द्वारा हमें शिक्षित किया जायेगा ! जो इंटरनेट और कम्पूटर पर आधारित होगा ! हमारा शिक्षक यहाँ से हजारों किलोमीटर दूर से हमें हमारी भाषा में शिक्षित करेगा !

इसी सत्य के लिये हमारे आने वाली पीढ़ियों को मानसिक रूप से तैयार करने हेतु ही यह नया वैश्विक पाठ्यक्रम बहुत शीघ्र ही लागू किया जायेगा और हम देखते रह जायेंगे ! क्योंकि अब यह नई वैश्विक शिक्षा निति अब हमारे वैश्विक नागरिकता पाने के लिये आवश्यक होगी और नये विकासवादी लोग इसमें विश्वव्यापी षडयंत्र में भी नया धंधा ढूंढ लेंगे !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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