अब पर्यावरण ही होगा विश्व सत्ता का “हार्प” हथियार : Yogesh Mishra

परमाणु कार्यक्रम और उसके विनाशकारी प्रभाव को लेकर व्याप्त चिंताओं के बीच पर्यावरण को भी हथियार बनाकर दुनिया को नष्ट करने की एक नई तकनीक अब विश्व सत्ता के नुमायिन्दों द्वारा तैयार हो गई है ! हालांकि इसे शोध का नाम दिया जा रहा है ! लेकिन इसके भयानक परिणामों को लेकर दबी जुबान में इसका विरोध भी विश्व की भयभीत महाशक्तियों द्वारा शुरू हो चुका है ! लेकिन इस प्रोजेक्ट को विश्व सत्ता जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहती है ! जिससे विश्व सत्ता की स्थापना के समय वर्तमान विश्व की महाशक्तियां विश्व सत्ता के विरुद्ध सर न उठा सकें ! इस विश्व की महाशक्तियों को भी भयभीत करने वाली खतरनाक तकनीक का नाम है “हार्प” !

हार्प अर्थात (The High Frequency Active Auroral Research Program (HAARP)) अमेरिका की एक अनुसंधान परियोजना है ! जो आयनमंडल के अनुसंधान से सम्बन्धित है ! इसे अमेरिकी वायुसेना, जलसेना, अलास्का विश्वविद्यालय, डिफेंस ऐडवांस्ड रिसर्च लैबोरेटरी (DARPA) से वित्तीय सहायता प्राप्त है ! इसका उद्देश्य आयनमंडल का अध्ययन करना एवं रेडियो संचार एवं निगरानी के लिये इसके परिवर्धन की सम्भावना का पता लगाना है !

लेकिन अमेरिकी वायुसेना, नौसेना और अलास्का विश्वविद्यालय के सहयोग से अलास्का के गाकोन में वर्ष 1990 में “हार्प कार्यक्रम” को प्रारंभ किया गया था ! अमेरिका ने अपने इस कार्यक्रम को बेहद गोपनीय रखा है लेकिन इसे लेकर उठने वाले हजारों सवालों के कारण अब हार्प कार्यक्रम की वेबसाइट पर कुछ जानकारी साझा होने लगी हैं ! जिससे भ्रम की ओट में गोपनीयता को बनाये रखा जा सके !

अत: इससे जुड़े सवाल और विवादों से भी वेबसाइटे अटी पड़ी हैं ! जिस पर इस कार्यक्रम को पर्यावरण को एक हथियार के रूप में उपयोग करने का आरोप लगाया गया है ! यदि इस शोध का इस्तेमाल कभी सैन्य फायदों के लिये किया गया तो इससे मानव जीवन बुरी तरह तबाह हो सकता है ! खुद वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इससे हजारों जीवन ही नहीं बल्कि धरती के एक बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचाया जा सकता है !

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉक्टर कुमार कृष्ण ने कहा है कि वायुमंडल हमारी धरती पर एक रक्षा कवच के तौर पर काम करता है ! वायुमंडल को नियंत्रित करना आसान नहीं है और न ही जमीनी स्तर ऐसा संभव हो सकता है ! हमारी धरती स्थिर नहीं है क्योंकि इस पर कई प्रकार के दबाव रहते हैं ! इसके अलावा यहां उल्का पिंडों की बारिश आदि हो सकती है ! साथ ही अंतरिक्ष के विकिरण से धरती में कई सौ वर्षों के बाद काफी व्यापक बदलाव आने की आशंका भी है ! अत: पर्यावरण को हथियार बनाने की सोच परमाणु बम से ज्यादा खतरनाक है !

हालां कि डॉ. कृष्ण ने कहा है कि आयन मंडल या पर्यावरण का शोध बदलते पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग तथा इससे होने वाले प्रभावों को कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं ! ऐसे समय में जब दुनिया के कई हिस्सों में बाढ़, सूखा, सुनामी, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है ! तो यह शोध धरती पर जीवन को बचाने के लिये फायदेमंद साबित हो सकता है ! यदि इसका सदुपयोग किया जाये तो !

लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया है कि अगर इस तकनीक का प्रयोग सैन्य इस्तेमाल में किया जाता है तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि इससे न केवल एक क्षेत्र या देश बल्कि पूरी धरती को ही भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है !

क्योंकि हार्प यानी हाई फ्रीक्वेंसी एक्टिव एरोरल रिसर्च प्रोग्राम की मदद से वायुमंडल की ऊपरी परतों में से एक आयन मंडल या आयनोस्फेयर को समझने और उसके बारे में और जानकारी एकत्र की जा रही है ! गौरतलब है कि आयन मंडल हमारे वायुमंडल की वह परत है जिसका उपयोग नागरिक और रक्षा नौवहन प्रणाली में किया जाता है !

हार्प कार्यक्रम की अधिकारिक वेबसाइट पर इस तकनीक के बारे में बताया गया है कि इस तकनीक में विद्युत चुंबकीय तरंगें वायुमंडल में उच्च आवृत्ति के तहत छोड़ी जाती है ! जिससे वायुमंडल का एक सीमित हिस्सा नियंत्रित किया जा सकता है ! जिससे बाढ़, तूफान, बर्फबारी, अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक ठण्ड भूकम्प आदि कुछ भी लाया जा सकता है ! साफ है कि इसमें पर्यावरण को नियंत्रित करके उसे हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ! जिसके परिणाम स्वरूप केदारनाथ आपदा, भुज भूकम्प, आस्ट्रेलिया का जंगल अग्निकाण्ड जैसी भयानक घटना की जा सकती हैं ! जिसे लोग प्राकृतिक आपदा ही मानेंगे !

यह विश्व सत्ता द्वरा वर्तमान के महाशक्तियों को नियंत्रित करने का भविष्य का हथियार भी होगा और विश्व के अवांछित नागरिकों को दुनिया से विदा करने का हथियार भी ! इससे न केवल एक क्षेत्र या देश बल्कि पूरी धरती को भी भारी नुकसान पहुँचाया जा सकता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

क्या विश्व में जैविक युद्ध शुरू हो गया है : Yogesh Mishra

जैविक हथियारों में वायरस, बैक्टीरिया, फंगी जैसे सूक्ष्म जीवों को हथियार की तरह इस्तेमाल किया …