हमारे अविकसित विचार ही भारत के विकास में सबसे बड़े अवरोधक हैं ! : Yogesh Mishra

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोई भी राष्ट्र नागरिकों के समूह से बनता है और यदि नागरिकों का समूह अशिक्षित और जाहिल होता है तो उस राष्ट्र का विकास हो पाना असंभव होता है ! इसके अतिरिक्त दूसरी तरफ यदि किसी भी राष्ट्र के नागरिक अध्ययनशील, चिंतनशील, विकासवादी, भविष्यदृष्टा और योजनाकार होते हैं ! तो वह राष्ट्र एक महाशक्ति के रूप में विश्व में अपना स्थान प्राप्त कर लेता है !

इसका सबसे बड़ा उदाहरण विश्व के पटल पर इजरायल है ! जो जमीन पर कहीं नहीं था लेकिन मात्र यहूदी जीवन शैली के लोगों के अध्ययनशीलता, चिंतन और भविष्य की व्यवस्थित योजना का परिणाम है कि आज इसराइल विश्व की महाशक्तियों में गिना जा रहा है !

ठीक इसी तरह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम के हमले के उपरांत जापान पूरी तरह तबाह हो चुका था लेकिन वहां के नागरिकों का राष्ट्र के प्रति समर्पण, कर्मठता और व्यवस्थित योजना के तहत एकजुट होकर ईमानदारी से कार्य करने की प्रवृत्ति ने आज जापान को पुनः सशक्त राष्ट्र के रूप में खड़ा कर दिया !

विश्व की महाशक्ति माना जाने वाला अमेरिका वियतनाम से बीस साल तक युद्ध करने के बाद इसलिये हार गया क्योंकि वहां का आम नागरिक अपने राष्ट्र से प्रेम करता था ! चिंतनशील था और उसमें राष्ट्र के लिये त्याग करने का सामर्थ्य था !

अतः इस तरह स्पष्ट है कि कोई भी राष्ट्र तभी महाशक्ति बन सकता है ! जब उसके नागरिकों के अंदर अध्ययन शीलता, चिंतनशीलता, विश्लेषण करने की सकारात्मक क्षमता, योजना बनाने का उचित सामर्थ और उस योजना को व्यावहारिक रूप में क्रियान्वित करने की समझ हो अन्यथा किसी भी राष्ट्र के विश्व गुरु बनने का ख्वाब एक दिवास्वप्न के अतिरिक्त और कुछ नहीं है !

भारत का दुर्भाग्य यह है कि यहां का आम इंसान या तो बेईमान है या फर्जी आडंबर के द्वारा समाज को आकर्षित करने के लिये बेतहाशा कर्ज में डूबा हुआ है ! वह दूसरे (माता-पिता आदि) के संसाधन का इस्तेमाल करके अपने को बहुत ही योग्य बतलाने की कोशिश करता है ! परन्तु वास्तव में वह अपने और अपने परिवार के लिये योजनाबद्ध तरीके से व्यवस्थित चिंतन के साथ दैनिक आवश्यकता भी पूरा करने में सक्षम नहीं है !

सामान्यतया सफल व्यक्ति के तौर पर कुछ सरकारी नौकरी करने वालों का या बैंकों से लोन लेकर व्यवसाय करने वालों का या फिर राजनैतिक व्यक्तियों का उदाहरण दे सकते हैं ! लेकिन यह तीनों ही लोग चिंतनविहीन परजीवी हैं ! जो भारत के विधिक और सामाजिक व्यवस्था की नाजायज उपलब्धि हैं ! इन्हें भी चिंतनशील या राष्ट्र दिशा निर्देशक नहीं कहा जा सकता है ! हाँ चाटुकार, धूर्त, अवसरवादी, राष्ट्रघाती जरुर कहा जा सकता है !

इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे लोग भी हैं ! जो भारत को अपना राष्ट्र मानते ही नहीं है और उनकी सदा यह निगाह रहती है कि कब उन्हें अवसर मिले और वह भारत की बर्बादी में अपना योगदान कर सकें ! कहने को तो यह लोग अपने को निरीह अल्पसंख्यक बतलाते हैं ! किंतु जब राष्ट्र की बर्बादी का विषय होता है तो लाखों की तादाद में हथियार लेकर सड़कों पर अपराध करने के लिये उतर पड़ते हैं !

प्रशासनिक अधिकारी अपना प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से नहीं कर रहा है ! राजनैतिक व्यक्ति संसद व विधानसभाओं में अपने क्षेत्र के जनता के अनुसार मत को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत नहीं कर रहा है ! जिसका उससे वेतन और भत्ता दिया जाता है ! न्यायपालिका के अंदर बैठा हुआ न्यायाधीश न्याय करने से अधिक निर्णय करने में रुचि ले रहा है ! धर्म संस्थाओं में बैठे हुये लोग भगवान और पाप का भय दिखाकर समाज को लूटने में लगे हैं !

और आम इंसानों की सुनवाई किसी भी स्तर पर नहीं हो रही है ! जो गरीब है वह लाचार और बेसहारा अपने दैनिक उपभोग की वस्तुओं को संग्रह करने में ही लगा हुआ है और जो सक्षम है वह अपने से कमजोर के शोषण की नित नई योजनायें बना रहा है ! समाज में संवाद लगभग ख़त्म हो चुका है ! अपराध पराकाष्ठा पर है ! कोई भी सुरक्षित नहीं है ! ऐसी स्थिति में यदि कहा जाये कि भारत आज नहीं तो कल विश्व गुरु बन जायेगा तो यह एक दिवा स्वप्न के अतिरिक्त और कुछ नहीं है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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