लोगों की माइंड प्रोग्रामिंग आज का बौद्धिक हथियार : Yogesh Mishra

टी.वी. इन्टरनेट, मोबायल, फिल्म, रेडियो, प्रिंट मिडिया में पत्र-पत्रिका, अखबार आदि की सूचना के आधार पर हर एक आदमी अपनी दिनचर्या में बहुत से निर्णय लेता है और इन्हें क्रियान्वित करने के लिये वह विभिन्न संसाधनों का प्रयोग करता है !

यह साधन एक ओर तो उसे सुविधा देते हैं लेकिन दूसरी ओर उसे किसी भी स्तर तक स्वतन्त्र चिंतन न करने के लियह बाध्य भी करते हैं ! पर इस बात पर अपनी व्यस्त दिनचर्या में प्राय: सामान्य व्यक्ति का ध्यान नहीं जाता है ! और हम इस अप्रत्यक्ष षडयंत्र में अज्ञानता वश फंसते जाते हैं और इससे हो रही क्षति को नहीं समझ पाते हैं !

टी.वी. तो आज के समय में लगभग हर घर में मौजूद है और अधिकतर लोग घर में डिश या केवल कनेक्शन है ! और उस पर लोगों के सामने 400 से 500 चैनल दिखायह जाते हैं ! जिन्हें बदलते हुयह भी अगर 2 मिनट भी हर चैनल को देखते हैं तो पूरा दिन निकल जाता है ! यह टीवी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है और उन्हें बांधे रखने का काम करती है ! यह मनोरंजन का सबसे सरल साधन माना जाता है और लोगों तक किसी समाचार या सूचना को पहुंचाने का सबसे सस्ता, अच्छा और प्रभावशाली माध्यम है !

परंतु समस्या तब खड़ी होती है ! जब इसका दुरुपयोग होने लगता है ! आज के समय में टीवी का प्रयोग जन सामान्य की सोच पर असर डालने के लियह किया जा रहा है ! जिससे उसकी सोच को किसी विशेष दिशा की ओर मोड़ा जा सके ! सैकड़ों न्यूज़ चैनलों में जो समाचार दिखायह जाते हैं ! वह सभी किसी न किसी उद्देश्य के लियह प्रायोजित होते हैं !

इन समाचारों के माध्यम से व्यक्ति के विशेष दिशा में सोचने के लियह बाध्य किया जाता है ! जिससे व्यक्ति का स्वाभाविक, सहज व स्वतन्त्र चिंतन नष्ट हो जाता है और व्यक्ति प्रायोजित सूचना के आधार पर निर्णय लेने लगता है ! इस तरह न्यूज़ चैनल और मीडिया, इनके पास वो शक्ति होती है ! जिससे यह किसी को भी खबरों के माध्यम से बुरा या अच्छा बना सकते हैं ! और उसी के अनुसार हम किसी व्यक्ति के बारे में निर्णय लेते हैं !

इस प्रकार यह सूचना के साधन सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक निर्णयों पर भी हमारी सोच पर प्रभाव डालते हैं ! इसके साथ ही प्रत्येक दिन नयह-नयह प्रकार के चैनलों पर आने वाले रोजाना के धारावाहिक भी हमारे विचारों पर असर डालते हैं !

प्राय: देखा गया है कि यह धारावाहिक समाज में किसी न किसी एक खास वर्ग के लियह ही बनायह जाते हैं ! उदाहरण के लियह सास बहू वाले सीरियल ही देख लीजियह ! यह सीरियल उन लोगों को अधिक अपनी ओर आकर्षित करते हैं जो अपने परिवार को मुख्य रूप से चलते हैं ! जैसे कि महिलाओं को ! कुछ घरों में तो स्त्रियां इतनी बेसुध हो जाती है कि घर परिवार के सारे काम छोड़ कर इन्हें देखने के लिये ही बैठी रहती हैं !

लेकिन यह सब अगर मनोरंजन तक ही सीमित रहता तो ठीक है ! लेकिन यह सीरियल परिवार की स्त्रियों पर खास असर छोड़ते हैं और वह धीरे धीरे उनके पात्रों को अपना आदर्श बना कर अपने अंदर धारण कर लेती हैं और कोई उनके हेयर स्टाइल को काँपी करने लगती हैं तो कोई उनके जैसे बात करने की कोशिश करने लगती हैं ! और अपने बहुमूल्य समय को नष्ट करके इन पात्रों पर घंटों बातचीत करती रहती हैं !

आज सीरियल में क्या होगा, कल तलाक हुआ था, वो घर छोड़कर भाग गयी होगी, उसका पति बहुत दुष्ट है, उसने खाना नहीं खाया, उसने पानी नहीं पिया बगैरा-बगैरा आदि काल्पनिक कहानी पर चर्चा होती रहती है ! इसका असर यह होता है कि व्यक्ति यथार्थ के सम्बन्धों के प्रति अपने दायित्व को भूल जाता है और माता पिता सास ससुर बच्चे रिश्तेदार आदि की उपेच्छा करने लगता है ! फिर इन सम्बन्धों में दूरियां शुरू होजाती हैं और कुछ समय बाद संवादहीनता के कारण सम्बन्ध ख़त्म हो जाते हैं ! यही उनकी जीत है !

इसी तरह प्राय: देखा जाता है कि लोग इन्हीं सूचनाओं के आधार पर राजनीतिज्ञयों के विषय में अपने दृष्टिकोण बना लेते हैं और वह राजनीतिज्ञ जिससे वह कभी मिले नहीं होते हैं और न ही वह इन्हें जानता है ! उन्हें लेकर लोग अपने निजी व्यक्तिगत संबंधों में लड़ाई झगड़ा करके अपने संबंधों को समाप्त कर लेते हैं ! फिर बाद में पछताते हैं !

इसी तरह फिल्मों के द्वारा लोगों को गुमराह और वाहियात तरीके से अश्लीलता परोसने का काम भी किया जा रहा है ! गन्दे और अंग्रेजी गाने हमारे देश के युवाओं की पहली पसंद बनते जा रहे हैं ! आधुनिकता और फैशन की आड़ में भद्दे और छोटे कपड़े पहनकर यह हीरोइन देश की आधी आबादी को सिर्फ भोग की वस्तु बनाने का काम कर रही हैं ! यह नये तरीके के फैशन शो भी इस अश्लीलता को परोसने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं !

यह सब साजिश केवल और केवल हमारे देश की सनातन परंपरा को तोड़ने के लिये किया जा रहा है और जो इस सब का विरोध करके बरसों पुरानी अपनी संस्कृति को बचाने के लिये प्रयास करते हैं उन्हें अनपढ़ और विकास विरोधी बतलाया जाता है !

और फिर जब ऐसे अश्लीलता भरे गाने और हमारे देश की युवा पीढ़ी के लिये आदर्श बन जाते हैं तो ऐसे में बलात्कार और छेड़छाड़ जैसे संगीन वारदात होना स्वाभाविक ही है ! इन वाहियात और अश्लीलता भरे गाने और धारावाहिकों की इस तरह की घटनाओं में पृष्ठभूमि भूमिका है !

यदि आप गंभीरता से खोजें तो आप पायेंगे कि इनके सबके प्लाट यूरोपीय और अमेरिका जैसे देशों में तैयार किये जाते हैं हमें प्रभावित करने के लिये ! जिनका एक मात्र उद्देश्य हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करना है ! जिससे उनके भोग विलास का मार्केट विकसित हो सके और हम आपने मेहनत का समय और धन उन्हें देकर बर्बाद हो जायें !

यदि यह सब ऐसे ही चलता रह तो एक दिन परिवार की तरह यह देश भी बिखर जायेगा ! जो उनकी जीत होगी ! यह सब भारत की इज्जत के साथ खिलबाड़ हो रहा है !

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इन सब चीजों को अनदेखा कर देते हैं ! मगर अभी समय है इन सब के खिलाफ आवाज हम भारत के लोगों को ही उठानी पड़ेगी ! नहीं तो भारत अपनी प्राचीन सनातन संस्कृति और परम्पराओं को नष्ट कर इन हवस के भूंखे भेड़ियों का देश बनकर रह जायेगा और हम मीडिया की मात्र कठपुतली बनकर रह जायेंगे और यूरोपीय देशों के तरह यहां पर भी बलात्कार, हत्या और भ्रष्टाचार की बाढ़ आ जायेगी ! यदि हमने सहज, स्वाभाविक, मौलिक, सनातन पध्यति से चिंतन न किया तो !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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