दरिद्रता भी एक हथियार है, राजनीति में सफल होने के लिये : Yogesh Mishra

दरिद्रता मानव द्वारा निर्मित एक योजनाबध्य षडयंत्र है ! दरिद्रता को मिटाना हमारे हाथों में है, लेकिन सभी धूर्त लोग इसे अपने-अपने स्वार्थ के लिये हथियार के तौर पर इस्तमाल कर रहे हैं ! खास तौर पर पूंजीपति, राजनीतिज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी और न्यायलय ! अब तो वैश्विकरण के नाम पर विदेशी षडयंत्रकारी भी इस गिरोह में शामिल हो गये हैं !

सबसे पहला प्रश्न यह है कि दरिद्रता होनी ही क्यों चाहिये ? यह होती है राजनीतिज्ञों और वैश्विक षडयंत्रकारियों के सठ गांठ से ! जिनकी योजनाओं के कारण समाज के एक वर्ग में धन का ढेर लग जाता है और दूसरा वर्ग गरीब होता चला जाता है ! यह सारा खेल कानून और प्रशासन के सहयोग से होता है ! इन्हीं षडयंत्रकारियों के कारण विश्व का एक वर्ग अमीर होता जाता है और दूसरा वर्ग गरीब !

जो भी समाज का उत्पादन है, वह किसी की निजी संपत्ति नहीं है ! इस पर सबका समान अधिकार है ! कोई भी व्यक्ति या विभाग यदि अपना स्वामित्व दिखता है तो वह भी इस षडयंत्र का भगीदार है ! ऐसे में सबसे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि गरीब ही हैं जो सबसे अधिक उत्पादन करता है वह निरंतर गरीब होता चला जाता है ! और अमीर जो बस योजना बनाता है वह उस गरीब के उत्पादन से लागत का कई गुना अधिक लाभ कमा कर अमीर होता चला जाता है !

या दूसरे शब्दों में कहें जो उत्पादन करते हैं, वह गरीबी से भूखों मरते हैं और जो मात्र योजना बनाते हैं, वह धनवान होते चले जाते हैं ! दुनियां के सारे कानून भी पूंजीपतियों को ही सुरक्षा प्रदान करते हैं !

और गरीबों को उतनी ही राहत दी जाती है कि वह बस समाज के न्यूनतम स्तर पर गुलामों की तरह अपना गुजर बसर कर सकें ! मैं इसे समान अर्थनीति नहीं शोषण नीति कहूँगा ! षडयंत्रकारियों की यही योजनायें ही हमारे विनाश का कारण हैं ! जिनके प्रति हम निष्ठा से बंधे रहते हैं !

जिस षडयंत्र में शासन, सत्ता, प्रशासन, नेता और न्यायलय सभी मिले हुये हैं ! जो अपना संवैधानिक कार्य नहीं करते हैं बल्कि पूंजीपतियों के इशारे पर कानून में हेर फेर करके उन्हें ही संरक्षित करते हैं ! और बदले में वह भी राजनैतिक दलों को मोटा चन्दा देकर अपनी सुरक्षा खरीदते हैं !

और फिर वही राजनीतिज्ञ उसी पैसों से गरीबों की मदद के नाम पर उन्हें छोटी मोटी सुविधायें देकर उनसे वोट खरीद लेते हैं और बस यह चक्र चलता रहता है ! हम गरीब होते जाते हैं और पूंजीपति, राजनीतिज्ञ और प्रशासनिक अधिकारी सभी अमीर होते जाते हैं !

लेकिन अब यदि राष्ट्र और समाज को बचाना है तो यह सब नहीं चलेगा ! समाज में कार्य कर रहे अलग-अलग सकारात्मक लोगों को उनके हितों का ध्यान रखते हुये संगठित करना होगा और विश्व के षडयंत्रकारियों को जवाब देने के लिये विस्तृत कार्य योजना बनानी होगी ! तभी हम बच सकेंगे ! जिसकी तैय्यारी चल रही है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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