नक्षत्रों के अनुसार रोग से कष्ट एवं उसका उपचार : Yogesh Mishra

1- अश्विनी नक्षत्र –
जातक को वायुपीड़ा, ज्वर, मतिभ्रम आदि से कष्ट.
उपाय : दान पुण्य, दीन दुखियों की सेवा से लाभ होता है !

2- भरणी नक्षत्र –
जातक को शीत के कारण कम्पन, ज्वर, देह पीड़ा से कष्ट, देह में दुर्बलता, आलस्य व कार्य क्षमता का अभाव !
उपाय : गरीबों की सेवा करें लाभ होगा !

3- कृत्तिका नक्षत्र –

यह तीसरा नक्षत्र है और सूर्य इसके स्वामी हैं. इस नक्षत्र के अन्तर्गत, सिर, आँखें, मस्तिष्क, चेहरा, गर्दन, कण्ठनली, टाँसिल व निचला जबड़ा आता है. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर आपको इससे संबंधित बीमारी होने की संभावना बनती है!
उपाय: नित्य सूर्योपासना करें ! आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें !

4- रोहिणी नक्षत्र –
ज्वर, सिर या बगल में दर्द, चित्त में अधीरता !
उपाय : चिरचिटे (चिचिढ़ा) की जड़ भुजा में बांधने से मन को शांति मिलती है !

5- मृगशिरा नक्षत्र –
जातक को जुकाम, खांसी, नजला, से कष्ट !
उपाय : पूर्णिमा का व्रत करे लाभ होगा !

6- आर्द्रा नक्षत्र –
जातक को अनिद्रा, सिर में चक्कर आना, आधासीरी का दर्द, पैर, पीठ में पीड़ा !
उपाय : भगवान शिव की आराधना करे, सोमवार का व्रत करे, पीपल की जड़ दाहिनी भुजा में बांधे लाभ होगा !

7- पुनर्वस नक्षत्र –
जातक को सिर या कमर में दर्द से कष्ट !
उपाय: रविवार को पुष्य नक्षत्र में आक के पौधे की जड़ अपनी भुजा में बांधने से लाभ होगा !

8- पुष्य नक्षत्र –
जातक निरोगी व स्वस्थ होता है ! कभी तीव्र ज्वर से दर्द परेशानी होती है !
उपाय: कुशा की जड़ भुजा में बांधने से तथा पुष्प नक्षत्र में दान पुण्य करने से लाभ होता है !

9- अश्लेषा नक्षत्र –
जातक का दुर्बल देह प्राय: रोग ग्रस्त बना रहता है ! देह में सभी अंग में पीड़ा, विष प्रभाव या प्रदूषण के कारण कष्ट !
उपाय : नागपंचमी का पूजन करे, पटोल की जड़ बांधने से लाभ होता है !

10- मघा नक्षत्र –
जातक को अर्धसीरी या अर्धांग पीड़ा, भूत पिचाश से बाधा !
उपाय : कुष्ठ रोगी की सेवा करे ! गरीबों को मिष्ठान्न खिलाये !

11- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र –
जातक को बुखार,खांसी, नजला, जुकाम, पसली चलना, वायु विकार से कष्ट !
उपाय : पटोल या आक की जड़ बाजू में बांधे ! नवरात्रों में देवी माँ की उपासना करे !

12- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र –
जातक को ज्वर ताप, सिर व बगल में दर्द, कभी बदन में पीड़ा या जकडन
उपाय : पटोल या आक की जड़ बाजू में बांधे ! ब्राह्मण को भोजन कराये !

13- हस्त नक्षत्र –
जातक को पेट दर्द, पेट में अफारा, पसीने से दुर्गन्ध, बदन में वात पीड़ा
उपाय: आक या जावित्री की जड़ भुजा में बांधने से लाभ होगा !

14- चित्रा नक्षत्र –
जातक जटिल या विषम रोगों से कष्ट पाता है ! रोग का कारण बहुधा समझ पाना कठिन होता है ! फोड़े फुंसी सूजन या चोट से कष्ट होता है !
उपाय : असंगध की जड़ भुजा में बांधने से लाभ होता है ! तिल चावल जौ से हवन करे !

15- स्वाती नक्षत्र –
वाट पीड़ा से कष्ट, पेट में गैस, गठिया, जकडन से कष्ट !
उपाय : गौ तथा ब्राह्मणों की सेवा करे, जावित्री की जड़ भुजा में बांधे !

16- विशाखा नक्षत्र –
जातक को सर्वांग पीड़ा से दुःख ! कभी फोड़े होने से पीड़ा !
उपाय : गूंजा की जड़ भुजा पर बांधना, सुगन्धित वस्तु से हवन करना लाभदायक होता है !

17- अनुराधा नक्षत्र –
जातक को ज्वर ताप, सिर दर्द, बदन दर्द, जलन, रोगों से कष्ट !
उपाय : चमेली, मोतिया, गुलाब की जड़ भुजा में बांधने से लाभ होता है !

18- ज्येष्ठा नक्षत्र –
जातक को पित्त बढ़ने से कष्ट ! देह में कम्पन, चित्त में व्याकुलता, एकाग्रता में कमी, काम में मन नहीं लगना !
उपाय : चिरचिटे (चिचिढ़ा) की जड़ भुजा में बांधने से लाभ ! ब्राह्मण को दूध से बने मिष्ठान्न खिलाये !

19- मूल नक्षत्र –
जातक को सन्निपात ज्वर, हाथ पैरों का ठंडा पड़ना, मन्द रक्तचाप , पेट, गले में दर्द, अक्सर रोगग्रस्त रहना !
उपाय : 32 कुओं (नलों) के पानी से स्नान तथा दान पुण्य से लाभ होगा !

20- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र –
जातक को देह में कम्पन, सिर दर्द तथा सर्वांग में पीड़ा !
उपाय: सफ़ेद चन्दन का लेप, आवास कक्ष को सुगन्धित पुष्प से सजाये ! कपास की जड़ भुजा में बांधने से लाभ !

21- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र –
जातक संधिवात, गठिया, वात शूल या कटि पीड़ा से कष्ट, कभी असहनीय वेदना !
उपाय : कपास की जड़ भुजा में बांधे, ब्राह्मणों को भोजन कराये, लाभ होगा !

22- श्रवण नक्षत्र –
जातक अतिसार, दस्त, देह पीड़ा, ज्वर से कष्ट, दाद- खाज- खुजली जैसे चर्म रोग, कुष्ठरोग, पित्त, मवाद बनना, संधि वात, क्षय रोग से पीड़ा !
उपाय : अपामार्ग की जड़ भुजा में बांधने से रोग का शमन होता है !

23- धनिष्ठा नक्षत्र –
जातक मूत्र रोग, खूनी दस्त, पैर में चोट, सूखी खांसी, बलगम, अंग भंग, सूजन, फोड़े या लंगड़ेपन से कष्ट !
उपाय : भगवान मारुति (हनुमानजी) की आराधना करे ! गुड़ चने का दान करे !

24- शतभिषा –

यह चौबीसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी राहु है. घुटनों व टखनों के बीच का भाग, पैर की नलियों की मांस पेशियाँ इस नक्षत्र के अन्तर्गत आती हैं. जब यह नक्षत्र पीड़ित होता है तब इन अंगों से संबंधित रोग होने की संभावना बनती है !
उपाय: माँ दुर्गा की उपासना करें ! कवच-कीलक-अर्गला का पाठ करें !

25- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र –
जातक को उल्टी या वमन, देह पीड़ा, बैचेनी, हृदय रोग, टखने की सूजन, आंतो के रोग से कष्ट होता है !
उपाय : भृंगराज की जड़ भुजा पर बांधे, तिल का दान करने से लाभ होता है !

26- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र –
जातक अतिसार, वातपीड़ा, पीलिया, गठिया, संधिवात, उदरवायु, पाव सुन्न पड़ना आदि से कष्ट हो सकता है !
उपाय : पीपल की जड़ भुजा पर बांधने से तथा ब्राह्मणों को मिष्ठान्न खिलाने से लाभ होगा !

27- रेवती नक्षत्र –
जातक को ज्वर, वात पीड़ा, मति भ्रम, उदर विकार, मादक द्रव्य सेवन से उत्पन्न रोग, किडनी के रोग, बहरापन या कान का रोग, पाँव की अस्थि, माधसपेशियों में खिचाव से कष्ट !
उपाय : पीपल की जड़ भुजा में बांधे लाभ होगा !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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